शीर्ष अदालत ने कहा फ़ैज़ाबाद में होगी मध्यस्थता. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एफएम खलीफुल्ला की अध्यक्षता में बनी तीन सदस्यीय समिति में श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले को सुलझाने के लिए शुक्रवार को मध्यस्थता पैनल को सौंप दिया है.
उच्चतम न्यायालय के रिटायर्ड जज एफएम खलीफुल्ला मामले में मध्यस्थता करने वाले पैनल के मुखिया होंगे. तीन सदस्यीय इस समिति में श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्री राम पंचू भी शामिल हैं.
अदालत ने यह भी कहा कि मध्यस्थता की कार्रवाई कैमरा के सामने होगी, हालांकि प्रक्रिया गोपनीय रखी जाएगी और मीडिया में इसकी रिपोर्टिंग नहीं की जाएगी.
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court says, mediators can co-opt more on the panel if necessary. Uttar Pradesh government to provide mediators all the facilities in Faizabad. Mediators can seek further legal assistance as and when required.
— ANI (@ANI) March 8, 2019
शुक्रवार को अदालत ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार फैज़ाबाद में सभी सुविधाएं मुहैया करवाए. साथ ही यह भी कहा कि अगर मध्यस्थों को किसी तरह की कानूनी मदद की ज़रूरत हो तो वे इसे ले सकते हैं.
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court in its order also said that the reporting of the mediation proceedings in media will be banned. https://t.co/QpjYDyemmS
— ANI (@ANI) March 8, 2019
कोर्ट ने यह भी कहा है कि चार हफ्तों के भीतर इस मामले में हुई प्रगति की रिपोर्ट अदालत को दी जाए.
मालूम हो कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इससे पहले शीर्ष अदालत ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था.
तब निर्मोही अखाड़ा के अलावा उत्तर प्रदेश सरकार समेत अन्य हिंदू संगठनों ने इस विवाद को मध्यस्थता के लिये भेजने के शीर्ष अदालत के सुझाव का विरोध किया था, जबकि मुस्लिम संगठनों ने इस विचार का समर्थन किया था.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 याचिकाएं दायर हुई हैं. उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि तीनों पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बांट दी जांए.
हालांकि बुधवार की सुनवाई के बाद निर्मोही अखाड़ा जैसे हिंदू संगठनों ने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों – जस्टिस कुरियन जोसफ, जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस जीएस सिंघवी के नाम मध्यस्थ के तौर पर सुझाए जबकि स्वामी चक्रपाणी धड़े के हिंदू महासभा ने पूर्व प्रधान न्यायाधीशों – जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस (सेवानिवृत्त) एके पटनायक का नाम प्रस्तावित किया था.
KP Maurya,Dy CM on SC refers Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case for court appointed&monitored mediation:Won't question SC order. In the past,efforts made to arrive at a solution,but with no success. No LordRam devotee or saint wants delay in construction of Ram Mandir pic.twitter.com/aNUy1eqdj1
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 8, 2019
शुक्रवार को अदालत के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि वे शीर्ष अदालत के फैसले पर सवाल नहीं उठाएंगे. हालांकि इससे पहले भी बातचीत से समाधान निकालने के प्रयास किये गए थे, लेकिन उनका कोई नतीजा नहीं निकला. कोई भी राम भक्त या संत राम मंदिर के निर्माण में देरी नहीं चाहता.
AIMPLB member & convener of Babri Masjid Action Committee Zafaryab Jilani, on SC order on Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: We have already said that we will cooperate in the mediation. Now, whatever we have to say, we will say it to the mediation panel, not outside pic.twitter.com/sEAcBDPP7z
— ANI (@ANI) March 8, 2019
अदालत के मध्यस्थता के फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा, ‘हम पहले ही कह चुके हैं कि हम मध्यस्थता में सहयोग करेंगे. अब हमें जो भी कहना है, हम बाहर न कहकर, मध्यस्थता समिति से कहेंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)