फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव 27 फरवरी को पेश किया था.
नई दिल्ली/वॉशिंगटन: आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने की भारत की कोशिश को एक और झटका लगा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अजहर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित करने की प्रक्रिया में चीन ने तकनीकी रूप से रोक दिया है.
फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ‘1267 अल कायदा सैंक्शन्स कमेटी’ के तहत अजहर को आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव 27 फरवरी को पेश किया था.
कमेटी के सदस्यों को इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताने के लिए 10 दिन दिए गए थे और यह अवधि बुधवार 13 मार्च 2019 को (न्यूयॉर्क के) समयानुसार दोपहर 3 बजे (भारतीय समय के अनुसार गुरुवार रात साढ़े 12 बजे) खत्म होनी थी.
संयुक्त राष्ट्र में एक राजनयिक ने बताया कि इस समयसीमा के खत्म होने से ठीक पहले चीन ने प्रस्ताव पर ‘तकनीकी रोक’ लगा दी. राजनयिक ने कहा कि चीन ने प्रस्ताव की पड़ताल करने के लिए और वक्त मांगा है.
मालूम हो कि यह रोक छह महीनों के लिए वैध है और इसे तीन महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, ‘हम निराश हैं, लेकिन सभी उपलब्ध विकल्पों पर काम करते रहेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय नागरिकों पर हुए हमलों में शामिल आतंकवादियों को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाए.’
इस बयान में यह भी कहा गया, ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने जेईएम नेता को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की कार्रवाई रोक दी है. यह एक आपराधिक और सक्रिय आतंकवादी संगठन है, जिसने 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले की ज़िम्मेदारी ली है.’
अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए यह कदम जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए फिदायीन हमले के बाद फ्रांस द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन के समर्थन के साथ उठाया गया था। इस हमले की जिम्मेदारी जेईएम ने ली थी, हमले में सीआरपीएफ के 40 सैनिकों की जान गई थी.
भारत की ओर प्रस्ताव लाने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों के प्रति आभार भी व्यक्त किया गया, साथ ही चीन का नाम लिए बिना कहा गया कि परिषद एक सदस्य देश के अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर रोक के कारण ऐसा नहीं हो सका.
संयुक्त राष्ट्र परिषद में बीते 10 सालों में ऐसा चौथी बार हुआ जब चीन द्वारा मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव में अवरोध डाला गया. ज्ञात हो कि इस परिषद के सभी निर्णय आम सहमति से लिए जाते हैं.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों की चेतावनी, अन्य कदम उठाने को हो सकते हैं मजबूर
मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने के प्रस्ताव को चीन द्वारा चौथी बार बाधित करने से नाराज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने चेतावनी दी कि यदि चीन अपनी इस नीति पर अड़ा रहा तो जिम्मेदार सदस्य परिषद में ‘अन्य कदम उठाने पर मजबूर’ हो सकते हैं.
सुरक्षा परिषद के एक दूत ने चीन को असामान्य कड़ी चेतावनी देते हुए समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से कहा, ‘यदि चीन इस कार्य में बाधा पैदा करना जारी रखता है, तो जिम्मेदार सदस्य देश सुरक्षा परिषद में अन्य कदम उठाने पर मजबूर हो सकते हैं. ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होनी चाहिए.’
दूत ने अपनी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर यह कहा. सुरक्षा परिषद में एक अन्य दूत ने एक सवाल के जवाब में पीटीआई से कहा, ‘चीन ने चौथी बार सूची में अजहर को शामिल किए जाने के कदम को बाधित किया है. चीन को समिति को अपना वह काम करने से रोकना नहीं चाहिए, जो सुरक्षा परिषद ने उसे सौंपा है.’
संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति में होने वाला विचार-विमर्श गोपनीय होता है और इसलिए सदस्य देश सार्वजनिक रूप से इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते, इसलिए दूतों ने भी अपनी पहचान गोपनीय रखे जाने का आग्रह किया.
दूत ने कहा, ‘चीन का यह कदम आतंकवाद के खिलाफ लड़ने और दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के उसके स्वयं के बताए लक्ष्यों के विपरीत है.’
उन्होंने पाकिस्तान की जमीन पर सक्रिय आतंकवादी समूहों और उसके सरगनाओं को बचाने के लिए चीन पर निर्भर रहने को लेकर पाकिस्तान की भी आलोचना की.
अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य ब्रैड शेरमैन ने चीन के इस कदम को अस्वीकार्य करार दिया और कहा, ‘चीन ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र को उस जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने से रोक दिया, जिसने फरवरी में भारत में पुलवामा हमला किया था. मैं चीन से अपील करता हूं कि वह संयुक्त राष्ट्र को अजहर पर प्रतिबंध लगाने दे.’
हेरिटेज फाउंडेशन के जेफ स्मिथ और अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के सदानंद धुमे समेत अमेरिकी थिंक टैंक के कई सदस्यों ने भी चीन के इस कदम की निंदा की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)