अंबानी की याचिका पर एनसीएलएटी ने शुक्रवार को एसबीआई को 259 करोड़ रुपये जारी करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया. उच्चतम न्यायालय ने रिलायंस कम्युनिकेशंस समूह को एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये 19 मार्च तक चुकाने को कहा था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि यदि समूह ऐसा करने में विफल रहता है तो अनिल अंबानी को जेल जाना पड़ेगा.
नई दिल्ली: एरिक्सन का बकाया चुकाने के लिए अनिल अंबानी को उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई समयसीमा समाप्त होने से कुछ दिन पहले राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने शुक्रवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को 259 करोड़ रुपये का आयकर रिफंड जारी करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया.
एनसीएलएटी ने कहा कि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. कंपनी इस राशि के जरिए एरिक्सन को भुगतान करना चाहती है.
उच्चतम न्यायालय ने आरकॉम समूह को एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये चार सप्ताह में 19 मार्च तक चुकाने को कहा था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि यदि समूह ऐसा करने में विफल रहता है तो अनिल अंबानी को जेल जाना पड़ेगा.
एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय और सदस्य (न्यायिक) न्यायमूर्ति बंसी लाल भट्ट की पीठ ने कहा, ‘दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता की धारा 61 के तहत दायर अपील में किसी भी पक्ष को निपटान के बारे में निर्देश नहीं दिया जा सकता. विशेष रूप से तीसरे पक्ष को ऐसा करने को नहीं कहा जा सकता जिससे अन्य पक्षों के बीच निपटान हो सके.’
पीठ ने कहा कि इस बारे में मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है. एनसीएलएटी उच्चतम न्यायालय द्वारा कोई आदेश पारित किए जाने तक 30 मई, 2018 के अंतरिम आदेश को हटा नहीं रहा है और न ही किसी राशि को वापस करने के बारे में कोई अंतरिम आदेश जारी कर रहा है.
रिलायंस कम्युनिकेशंस ने एनसीएलटी के समक्ष अपील दायर कर एसबीआई को आयकर रिफंड की 259.22 करोड़ रुपये की राशि जारी करने का निर्देश देने का आग्रह किया था. एसबीआई और अन्य ऋणदाताओं ने आरकॉम के इस कदम का विरोध किया.
आरकॉम के वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान कहा कि कंपनी एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए शेष राशि कर्ज लेगी. आरकॉम पहले ही एरिक्सन को 118 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है.
एरिक्सन का पैसा वापस करने के लिए 260 करोड़ रुपये की राशि जारी करने की मांग को लेकर अब अंबानी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं.
एरिक्सन की बकाया राशि को चुकाने के लिए एरिक्सन और अंबानी के बीच 18 महीने से चल रहा विवाद पिछले महीने तब अपने परिणाम पर पहुंचा जब सुप्रीम कोर्ट ने अंबानी और दो अन्य को अवमानना का दोषी ठहराया था.
अदालत ने आदेश दिया था कि चार सप्ताह में अंबानी, एरिक्सन के 550 करोड़ रुपये चुकाएं अन्यथा जेल जाने के लिए तैयार रहें.
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एरिक्सन के वकील ने संकेत दिया था कि रिलायंस कम्युनिकेशंस के पास 260 करोड़ आयकर रिफंड आने वाले हैं और इनका इस्तेमाल वह उसके पैसे चुकाने के लिए कर सकती है.
अनिल अंबानी के लिए समस्या की बात यह है कि ये आयकर रिफंड एक ट्रस्ट एंड रिटेंशन अकाउंट (टीआरए) में आते हैं. इस टीआरए को एसबीआई व ऋणदाता नियंत्रित करते हैं. सामान्य तौर पर कर्ज चुकाने की प्रक्रिया के दौरान किसी कंपनी से मिलने वाली सारी रकम टीआरए खाते में जमा हो जाती है जिस पर ऋणदाताओं का नियंत्रण होता है.
यही कारण है कि पिछले महीने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिलायंस कम्युनिकेशंस ने एनसीएलएटी पीठ का दरवाजा खटखटाया.
इस हफ्ते हुई सुनवाई के दौरान एसबीआई के वकील एनके कौल ने रिलायंस कम्युनिकेशंस की याचिका के खिलाफ बहस की. उन्होंने कहा कि ऐसा करने का मतलब है कि सार्वजनिक पैसे का इस्तेमाल निजी पक्ष का पैसा चुकाने के लिए किया जा रहा है.
कौल ने यह भी कहा कि एसबीआई और अन्य कर्जदाता बैंक यह नहीं मान सकते हैं कि रिलायंस कम्युनिकेशंस अदालत की मानहानि के मामले में अपने चेयरमैन को जेल जाने देगा और इसलिए वह 19 मार्च तक बिना आयकर रिफंड के भी एरिक्सन को बकाया राशि चुका सकता है.
कौल ने कहा, ‘वह यह बात नहीं मान सकते हैं कि इस कंपनी के चेयरमैन जेल जाने को तैयार होंगे और वे पैसे का भुगतान नहीं करेंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)