मनोविज्ञान के प्रख्यात प्रोफेसर आशीष नंदी सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज़ (सीएसडीएस) के निदेशक रह चुके हैं.
नई दिल्ली: सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज़ (सीएसडीएस) के पूर्व निदेशक और मनोविज्ञान के प्रख्यात प्रोफेसर आशीष नंदी को कोहलर फाउंडेशन का इस साल का हैंस किलियन पुरस्कार दिया जाएगा.
हैंस-किलियन पुरस्कार मानव जाति के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अस्तित्व व लगातार विकसित हो रहे मानस को गहरी अंतर्दृष्टि देने वाली उत्कृष्ट वैज्ञानिक उपलब्धियां पाने वाले शोधार्थियों को दिया जाता है.
कोहलर फाउंडेशन द्वारा शुरू किया गया यह पुरस्कार दिवंगत सामाजिक मनोवैज्ञानिक और मनोविश्लेषक हैंस किलियन के नाम पर दिया जाता है. इसका उद्देश्य सामाजिक मनोविज्ञान और मनोविश्लेषण की वृद्धि को बढ़ावा देना है
सीएसडीएस के निदेशक संजय कुमार की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि आशीष नंदी ने मनोविज्ञान जैसी जैसी पाश्चात्य चिंतन-परंपरा को ग़ैर-पश्चिमी देशों पर लागू करके औपनिवेशिक और उत्तर-औपनिवेशिक समाज के तजुर्बों को समझने-समझाने का सफल कार्य किया.
आशीष नंदी वर्ष 1992-97 के बीच सीएसडीएस के निदेशक रहे और अब भी इस संस्था के मानद सीनियर फेलो हैं. आशीष अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी के कई विश्वविद्यालयों में फेलो रह चुके हैं.
इसके अलावा वह ट्रायर विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर यूरोपियन स्टडीज़ के यूनेस्को चेयर रह चुके हैं. जापान के फुकुओका पुरस्कार (2007) से नवाजे़ गए और फॉरेन अफेयर्स पत्रिका द्वारा 2008 के 100 सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक माने गए. उनकी कृतियां भारत और विश्व की कई भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं.
आशीस नंदी ने ऐट दी एज ऑफ सायकॉल्जी, ऑल्टर्नेटिव साइंसेज़, द इंटिमेट एनमी (हिंदी में जिगरी दुश्मन), ऐन एम्बीगुअस जर्नी टू द सिटी, द रोमांस ऑफ द स्टेट जैसी किताबें लिख चुके हैं.
इसके अलावा उन्होंने द सीक्रेट पॉलिटिक्स ऑफ आर डिज़ायर्स, द फ्यूचर ऑफ नॉलेज एंड कल्चर: अ ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी जैसी किताबों का संपादन कर चुके हैं.