25 साल में पहली बार देश में घटी पुरुष कामगारों की संख्या: रिपोर्ट

एनएसएसओ की रिपोर्ट के अनुसार 1993-94 के बाद 2017-18 देश में पुरुष कामगारों की संख्या में गिरावट आई है, साथ ही 2011-12 की तुलना में रोज़गार अवसर बहुत कम हुए हैं. यह एनएसएसओ की वही रिपोर्ट है, जिसे केंद्र सरकार ने हाल ही में जारी होने से रोका था.

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फोटो: रॉयटर्स

एनएसएसओ की रिपोर्ट के अनुसार 1993-94 के बाद 2017-18 देश में पुरुष कामगारों की संख्या में गिरावट आई है, साथ ही 2011-12 की तुलना में रोज़गार अवसर बहुत कम हुए हैं. यह एनएसएसओ की वही रिपोर्ट है, जिसे केंद्र सरकार ने हाल ही में जारी होने से रोका था.

फोटो: रॉयटर्स
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नई दिल्ली: देश में 1993-1994 के बाद पहली बार पुरुष कामगारों की संख्या घटी है. नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में पुरुष कामगारों की संख्या घट रही है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में यह आंकड़े सामने आये हैं. इस रिपोर्ट में एनएसएसओ द्वारा साल 2017-2018 में किए गए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के हवाले से बताया गया है कि देश में पुरुष कामगारों की संख्या तेजी से घट रही है.

2017-18 में पुरुष कामगारों की संख्या में 28.6 करोड़ थी, जो कि 2011-12, जब एनएसएसओ द्वारा पिछले सर्वे किया गया था, में 30.4 करोड़ थी. उससे पहले साल 1993-94 में यह संख्या 21.9 करोड़ थी.

यानी आंकड़े दिखाते हैं कि पिछले पांच सालों की तुलना में 2017-18 में देश में रोजगार अवसर बहुत कम हुए हैं.

बता दें कि यह एनएसएसओ की वही रिपोर्ट है, जिसे केंद्र सरकार ने हाल में जारी होने से रोक दिया था. इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने इसे प्रकाशित किया है.

अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार 1993-94 के बाद ऐसी गिरावट पहली बार देखी गयी है.

शहरी क्षेत्रों के मुकाबले यह गिरावट ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है. जहां शहरी क्षेत्र में पुरुषों को काम न मिलने की दर में 4.7 प्रतिशत की गिरावट आयी, वहीं ग्रामीण इलाकों में यह 6.4 प्रतिशत रही.

एनएसएसओ की जारी नहीं हुई रिपोर्ट के मुताबिक शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में पुरुषों की बेरोजगारी दर क्रमशः 7.1% और 5.8% है.

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साभार: इंडियन एक्सप्रेस

इस रिपोर्ट पर रोक लगाने के सरकार के फैसले का विरोध करते हुए एनएसएसओ के कार्यकारी अध्यक्ष पीसी मोहन और सदस्य जेवी मीनाक्षी ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था.

इस जानकारी को सार्वजनिक नहीं करने को लेकर अर्थशास्त्रियों ने सरकार की आलोचना की है. एक विशेषज्ञ ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि इस डेटा पर और गहराई से अध्ययन करने की जरूरत है लेकिन ये साफ है कि देश में नौकरियां घटी हैं और रोजगार के अवसर कम हुए हैं.

एनएसएसओ के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2011-12 से लेकर साल 2017-18 के बीच देश के ग्रामीण इलाकों में 4.3 करोड़ नौकरियां कम हुईं. इसी अवधि में शहरी इलाकों में 40 लाख नौकरियां कम हुई हैं.

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साभार: इंडियन एक्सप्रेस

रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण इलाकों में महिला रोजगार में 68 प्रतिशत की कमी आई है, वहीं शहरों में पुरुष कामगारों को रोजगार में 96 प्रतिशत की कमी आई है. साल 2011-12 से अब तक देश में कुल 4.7 करोड़ रोजगार कम हुए हैं, जो सऊदी अरब की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरुष कर्मियों की संख्या में गिरावट पहली बार 1993-94 में ही देखने को मिली थी. तब ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में इनकी संख्या 6.4 फीसदी और 4.7 प्रतिशत की कमी आई थी. उसके बाद 1999-2000, 2004-05 और 2011-12 की रिपोर्टों में यह बढ़ी थी. लेकिन अब यह संख्या फिर एक बार घटी है.

पीएलएफएस की रिपोर्ट के मुताबिक, औपचारिक व्यावसायिक/तकनीकी प्रशिक्षण लेने वाले (15-59 उम्र) के कामकाजी कामगारों की संख्या में 2011-12 में 2.2 फीसदी की तुलना में 2017-18 में दो फीसदी हो गई है. वहीं, (15-29) आयुवर्ग के कामगारों में 0.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.