गृह सचिव राजीव गौबा का कहना है कि केंद्र सरकार ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस नीति के तहत यह फैसला किया है. जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के ख़िलाफ़ 37 एफआईआर दर्ज हैं.
![Mohammad Yasin Malik, chairman of Jammu Kashmir Liberation Front (JKLF), speaks during a news conference in Srinagar April 18, 2007. JKLF, which declared a ceasefire in 1994 against Indian security forces, says it leads a political struggle for Kashmir's complete independence both from India and Pakistan, who claim the region in full but rule in parts. REUTERS/Fayaz Kabli (INDIAN ADMINISTERED KASHMIR)](https://hindi.thewire.in/wp-content/uploads/2017/05/yasinMalikReuters.jpg)
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने अलगाववादी नेता यासीन मलिक के नेतृत्व वाली जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) को शुक्रवार को आतंकवाद रोधी कानून के तहत प्रतिबंधित कर दिया.
सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने इस अलगाववादी समूह पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया.
केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने कहा कि कई हिंसक कृत्यों और 1988 से कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के कारण यासीन मलिक के नेतृत्व वाले संगठन जेकेएलफ पर प्रतिबंध लगाया गया है.
Union Home Secretary Rajiv Gauba: Central govt has today declared Jammu Kashmir Liberation Front (Yasin Malik faction) as unlawful association under Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967. This is in accordance with policy of zero tolerance against terrorism followed by govt. pic.twitter.com/AmibBNpEQg
— ANI (@ANI) March 22, 2019
गौबा ने कहा कि जेकेएलएफ ने कश्मीर घाटी में अलगाववादी की विचारधारा को बढ़ावा दिया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति के तहत यह कार्रवाई की गई है.
उन्होंने कहा कि 1989 में जेकेएलएफ द्वारा कश्मीरी पंडितों की हत्याओं से घाटी से उनका पलायन शुरू हुआ. यासीन मलिक घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन के षडयंत्रकारी और उनके नरसंहार के लिए जिम्मेदार हैं.
उन्होंने बताया कि संगठन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित किया गया है. इस संगठन के प्रमुख यासीन मलिक फिलहाल जम्मू की कोट बलवल जेल में बंद हैं.
गौबा ने कहा, ‘जेकेएलएफ के खिलाफ कई गंभीर मामले दर्ज हैं. यह संगठन तत्कालीन वीपी सिंह सरकार में गृह मंत्री रहे मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण और वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या के लिए जिम्मेदार है.’
यह जम्मू-कश्मीर में दूसरा संगठन है जिसे इस महीने प्रतिबंधित किया गया है. इससे पहले केंद्र ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर पर प्रतिबंध लगाया था.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह सचिव राजीव गौबा का कहना है कि सरकार अलगाववादी समूहों की गतिविधियों पर रोक लगाने की नीति को लेकर प्रतिबद्ध है, जो देश के लिए खतरा है.
सरकार का यह कदम 23 मार्च को नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायोग में पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर अलगाववादी नेताओं को आमंत्रित करने के बाद आया है, जिसका भारत ने आधिकारिक तौर पर बहिष्कार कर दिया था.
गौबा क कहना है, ‘जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने जेकेएलएफ के खिलाफ 37 एफआईआर दर्ज की हैं.’ उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर स्थित अलगाववादियों की सुरक्षा की समीक्षा जारी रखेगी.
सरकार ने पुलवामा हमले के बाद मीरवाइज उमर फारूक समेत पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)