इन सफाईकर्मियों को मास्क, सुरक्षा बेल्ट, दस्ताने और जूते मुहैया नहीं कराए गए थे. वहीं पुलिस ने इस मामले में ‘मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम’ के तहत मामला दर्ज करने से मना कर दिया है.
नई दिल्ली: एक आलीशान राजौरी गार्डन रेस्टोरेंट बार के रसोई अपशिष्ट उपचार संयंत्र (किचन वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट) की सफाई करने के दौरान शनिवार दोपहर दो लोगों की मौत हो गई. इन सफाईकर्मियों को मास्क, सुरक्षा बेल्ट, दस्ताने और जूते मुहैया नहीं कराए गए थे.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, पाइरेट्स ऑफ ग्रिल रेस्टोरेंट के हाउसकीपिंग डिपार्टमेंट में कार्यरत राकेश सिंह यादव (42) और अजय कनौजिया (19) को दिल्ली फायर सर्विसेज के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा बेसमेंट में स्थित प्लांट से बाहर निकाला गया.
हालांकि इस घटना में पुलिस ने ‘मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम’ के तहत मामला दर्ज करने से मना कर दिया है. डीसीपी (पश्चिम) मोनिका भारद्वाज ने कहा, ‘आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया है. चूंकि यह एक किचन वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट था, इसलिए मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम के तहत मामला दर्ज नहीं किया गया है.’
अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. एक अधिकारी ने कहा कि रेस्टोरेंट के सह-संस्थापक, जसमीत बंगा, दो सुपरवाइजर्स और महाप्रबंधक से पूछताछ की गई है. भारद्वाज ने कहा कि प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि जहरीली गैस सूंघने की वजह से सफाईकर्मियों की मौत हुई है. उन्हें कोई सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराया गया था.
मामले के बाद रेस्टोरेंट को बंद कर दिया गया है और उन्होंने घटना से संबंधित कोई टिप्पणी नहीं की.
यादव और कनौजिया के अलावा दो और कर्मचारी पंकज वर्मा (21) और राजू राय (28) घायल हो गए थे. जहां वर्मा लाइफ सपोर्ट पर हैं, वहीं राय आईसीयू में हैं.
रेस्तरां कई बार, लाउंज और कुछ जिम से घिरा हुआ है. दक्षिण नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्हें इस घटना की कोई जानकारी नहीं है. वहीं दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘रसोई उपचार संयंत्र बनाना अवैध नहीं है, यह अनिवार्य है. प्रारंभिक जांच जारी है और हम यह पता लगा रहे हैं कि क्या सुरक्षा उपकरण प्रदान किया गया था या नहीं और अंतिम निरीक्षण कब हुआ था.’
कुकरेजा अस्पताल के आपातकालीन वार्ड के अंदर एक बिस्तर पर यादव का शव रखा गया था, और उसके बाहर खड़े उनके 21 वर्षीय बेटे प्रवीण ने कहा, ‘मेरे पिता वर्षों से वहां सुपरवाइजर थे. तीन दिनों में एक बार, संयंत्र को साफ किया जाता था. उन्होंने हमसे बताया था कि उन्हें सुरक्षा उपकरण नहीं दिए गए जाते थे. मैंने उनसे ये काम छोड़ने को कहा था. लेकिन वे कहते थे ‘क्या करे, नौकरी है.’
25,000 रुपये कमाने वाले यादव की पत्नी और तीन बच्चों हैं. वहीं, कनौजिया ने नौ महीने पहले रेस्तरां में शामिल हुए थे और गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था. एक चिकित्सा अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि परिवार का कोई भी सदस्य शव का दावा करने नहीं आया, इसलिए हमने उसे पुलिस को सौंप दिया है. पोस्टमार्टम रविवार को होगा.’ इस घटना में घायल हुए राय को गुरु गोविंद सिंह अस्पताल से डीडीयू अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था क्योंकि अस्पताल के पास आईसीयू नहीं था.