पाटीदार समुदाय के लिए शिक्षा और नौकरी में आरक्षण की मांग को लेकर 2015 में हार्दिक पटेल ने मेहसाणा में आंदोलन किया था, जिसमें हिंसा भड़क गई थी. हार्दिक को हिंसा के एक मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल क़ैद की सज़ा मिली थी.
अहमदाबाद: पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की अगले महीने लोकसभा चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. गुजरात उच्च न्यायालय ने 2015 के हिंसा मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की याचिका को ख़ारिज कर दिया.
जनप्रतिनिधित्व क़ानून के तहत एक दोषी व्यक्ति तब तक चुनाव नहीं लड़ सकता, जब तक उसकी दोषसिद्धि पर रोक न लगाई जाए.
गुजरात में चार अप्रैल नामांकन दाख़िल करने की अंतिम तारीख है. फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के लिए हार्दिक के पास कुछ ही दिन हैं.
12 मार्च को कांग्रेस में शामिल होने वाले हार्दिक ने जामनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जतायी थी.
पहले की सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने उनकी याचिका पर कड़ा विरोध प्रकट करते हुए कहा था कि हार्दिक का आपराधिक अतीत रहा है. उनके ख़िलाफ़ 17 प्राथमिकी दर्ज हैं, इसमें राजद्रोह के दो मामले हैं.
उच्च न्यायालय के फैसले के बाद हार्दिक के वकील ने कहा कि सबसे पहले वे आदेश को पढ़ेंगे और फिर उच्चतम न्यायालय जाने का फैसला करेंगे.
हार्दिक पटेल ने चुनाव न लड़ पाने के लिए भाजपा को ज़िम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के लिए पूरे देश में प्रचार करेंगे.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक हार्दिक ने कहा, ‘हम डरेंगे नहीं. हम सत्य, अहिंसा और ईमानदारी के साथ आम आदमी के मुद्दे उठाते रहेंगे. हम यह सुनिश्चित करेंगे की कांग्रेस अपनी सरकार बनाए. पार्टी के लिए मैं गुजरात और पूरे देश में प्रचार करूंगा. मेरी सिर्फ़ इतनी गलती है कि मैं भाजपा के सामने नहीं झुका. यह सरकार के ख़िलाफ़ लड़ने का परिणाम है.’
जस्टिस एजी उरैजी ने गुजरात सरकार की दलीलें सुनने के बाद सत्र अदालत द्वारा हार्दिक की दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया.
अपने आदेश में जस्टिस उरैजी ने कहा कि असाधारण मामले में ही दोषसिद्धि पर रोक लगाई जा सकती है और हार्दिक का मामला इस श्रेणी में नहीं आता.
पिछले साल जुलाई में गुजरात की एक अदालत ने पाटीदार अनामत आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को 2015 के विसनगर हिंसा मामले में दोषी ठहराते हुए उसे दो साल क़ैद की सज़ा सुनाई थी.
पिछले साल अगस्त में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा हार्दिक को दो साल की जेल की सज़ा पर रोक लगा दी थी लेकिन उनकी दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई थी.
मालूम हो कि पाटीदार समुदाय के लिए शिक्षा और नौकरी में आरक्षण की मांग को लेकर 2015 में हार्दिक पटेल ने मेहसाणा में आंदोलन किया था, जिसमें हिंसा भड़क गई थी.
रैली के हिंसक रूप लेने के बाद भीड़ ने मेहसाणा के विसनगर में संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही मीडिया के कुछ लोगों पर भी हमला किया था. इस मामले में मेहसाणा ज़िले के विसनगर में 23 जुलाई 2015 को दर्ज कराई गई प्राथमिकी में हार्दिक भी एक आरोपी थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)