क़र्ज़ में डूबी निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज़ पिछले चार महीने से कर्मचारियों की वेतन नहीं दे पाई है. कंपनी चेयरमैन नरेश गोयल और उनकी पत्नी ने एयरलाइन बोर्ड से इस्तीफ़ा दे दिया है.
नई दिल्ली: आर्थिक संकट में फंसी निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज़ के एक हज़ार से अधिक पायलटों ने एक अप्रैल से विमान नहीं उड़ाने का फैसला लिया है. पिछले कई महीनों से जेट एयरवेज़ के कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है.
पायलटों ने यह निर्णय ऐसे समय किया जब एयरलाइन शुक्रवार को बैंकों से धन प्राप्त करने में नाकाम रही.
जेट एयरवेज़ के करीब 1100 पायलटों के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाले संगठन ‘नेशनल एविएटर्स गिल्ड’ ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि अगर उनके बकाये वेतन का भुगतान नहीं किया गया और 31 मार्च तक कंपनी के रिवाइवल की योजना पर स्थिति स्पष्ट नहीं की जाती है तो वे एक अप्रैल से विमान नहीं उड़ाएंगे.
इसके कुछ दिन बाद, ऋण से उबारने की योजना के तहत एयरलाइन प्रबंधन एसबीआई नीत बैंक संघ के हाथों में चला गया था.
बता दें कि घाटे में चल रही और नकदी संकट से जूझ रही जेट एयरवेज़ पिछले चार महीने से कर्मचारियों की सैलरी भी नहीं दे पाई है. यह कंपनी गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही है. इसकी वजह से उसे अपने कई विमानों को खड़ा करना पड़ा है.
क़र्ज़ के भारी बोझ से दबी जेट एयरवेज़ नकदी संकट का सामना भी कर रही है. कंपनी पर वर्तमान में 8,200 करोड़ रुपये का ऋण है.
ख़स्ताहाल वित्तीय स्थिति के कारण जेट एयरवेज़ को कई विमान खड़े करने, कुछ स्टेशनों की यात्रा बंद करने और कर्मचारियों को वेतन देने में देरी करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
जेट एयरवेज़ पट्टे पर लिए विमानों का किराया नहीं चुका पाने के चलते अब तक 41 विमानों का परिचालन बंद कर चुकी है. कंपनी ने अबू धाबी से सभी उड़ानें भी अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी है.
दैनिक जागरण के मुताबिक, नेशनल एविएटर्स गिल्ड (एनएजी) के अध्यक्ष करण चोपड़ा ने शुक्रवार शाम कहा कि कर्ज़ रिस्ट्रक्चरिंग के तहत 29 मार्च तक जेट को एसबीआई से फंड मिलने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. मैनेजमेंट की तरफ से वेतन के भुगतान को लेकर भी कोई अपडेट नहीं मिला है. इसलिए मुंबई और दिल्ली के पायलटों को ये फैसला लेना पड़ा.
25 मार्च को जेट एयरवेज़ के चेयरमैन नरेश गोयल और उनकी पत्नी के एयरलाइन बोर्ड से इस्तीफा देने के बाद बैंक जेट को 1,500 करोड़ रुपये देने को तैयार हो गए. एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ के साथ कर्ज़ रिस्ट्रक्चरिंग योजना के तहत यह सहमति बनी थी.
इससे पहले जेट एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन (जेएएमईडब्ल्यूए) ने डीजीसीए को पत्र लिख कर कहा था कि इंजीनियर्स पिछले सात माह से समय से वेतन नहीं मिलने से बहुत दबाव में हैं और विशेष तौर पर तीन महीने से वेतन मिला ही नहीं है. इसके परिणामस्वरूप विमान इंजीनियरों की मनोवैज्ञानिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा है और यह उनके काम को भी प्रभावित करता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)