ग्राउंड रिपोर्ट: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बिप्लब कुमार देव पर सरकार बनाने के बाद अब दोनों लोकसभा सीट पहली बार पार्टी की खाते में लाने की चुनौती है. राजेश माली की रिपोर्ट.
अगरतला: मुख्यमंत्री व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बिप्लब कुमार देव सालभर के दौरान ही राजनीति की सबसे बड़ी परीक्षा दे रहे हैं. सरकार बनाने के बाद अब उन पर दोनों लोकसभा सीट पहली बार पार्टी की खाते में लाने की चुनौती है.
मुकाबला कांग्रेस और लेफ्ट के साथ अपनी सरकार में शामिल इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) से है. उनके निशाने पर सीपीएम से ज्यादा कांग्रेस है.
इसकी वजह यह है कि सालभर पहले विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई कांग्रेस अचानक मुकाबले में आ गई है. यह हुआ है त्रिपुरा पश्चिम से सुबल भौमिक और त्रिपुरा पूर्व से प्रज्ञा देव बर्मन की उम्मीदवारी से.
भौमिक 18 मार्च तक भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष थे. हाथ पकड़ते ही कांग्रेस ने उन्हें टिकट थमा दिया. वे भाजपा से बूथ मैनेजमेंट से लेकर पन्ना प्रमुख का अनुभव लेकर आए हैं.
सीपीएम ने दोनों मौजूदा सांसद पश्चिम से शंकर प्रसाद दत्ता व पूर्व से जितेंद्र चौधरी को मौका दिया है. भाजपा का यहां मुकाबला मुख्य रूप से कांग्रेस से है.
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 1.8% वोट ही ले सकी थी. एक साल में ऐसा क्या चमत्कार हो गया कि वह मुकाबले में आ गई?
यह सवाल जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रद्युत देव बर्मन से किया गया तो उनका जवाब था- ‘भाजपा ने जो वादे किए थे, उनमें से एक भी पूरा नहीं किया.’ प्रद्युत भी त्रिपुरा राजघराने से आते हैं. जनजाति के लिए आरक्षित त्रिपुरा पूर्व संसदीय क्षेत्र से उनकी बहन प्रज्ञा उम्मीदवार हैं. यहां भाजपा ने रेवती त्रिपुरा को उतारा है. टीचर रहे रेवती की जमीनी पकड़ मजबूत है.
त्रिपुरा पश्चिम में प्रतिमा भौमिक भाजपा उम्मीदवार है. करीब पांच साल भाजपा में रहकर फिर कांग्रेस में लौटे सुबल भौमिक उन्हें टक्कर देंगे. मुख्यमंत्री बिप्लब देव ने कहा- यहां मोदीजी ही चेहरा हैं, क्या आपको कोई दूसरा दिखता है?
जातिगत समीकरण
- त्रिपुरा पश्चिम : यह सीट अभी सीपीएम के पास है. 1996 से इसी पार्टी का कब्जा. यहां सबसे ज्यादा 60% बंगाली हिंदू वोटर हैं.
- त्रिपुरा पूर्व : 1996 से यह सीट सीपीएम के पास. यहां जनजाति वोट सबसे ज्यादा 40% हैं.
- मुद्दे क्या हैं?
- केब : कांग्रेस नागरिकता संशोधन बिल (केब) को भुनाने की कोशिश में. मतदाताओं को बता रही है- बाहरी लोगों के आने से संस्कृति खतरे में पड़ जाएगी.
- मोदी : भाजपा मोदी के नाम पर लड़ रही है. कांग्रेस के निशाने पर भी मोदी ही.
(दैनिक भास्कर से विशेष अनुबंध के तहत प्रकाशित)