बसपा सुप्रीमो मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मूर्तियों और स्मारकों के निर्माण के पीछे की मंशा जनता के बीच विभिन्न संतों, गुरुओं, समाज सुधारकों और नेताओं के आदर्शों का प्रचार करना है, न कि बसपा के चुनाव चिह्न का प्रचार या ख़ुद का महिमामंडन करना.
नई दिल्लीः बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश में अपनी प्रतिमाओं के निर्माण में ख़र्च का बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर हलफनामे में कहा कि उन्होंने लोगों की इच्छाओं के अनुरूप अपनी और पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी की प्रतिमाओं का निर्माण कराया.
मायावती ने अपने हलफनामे में मूर्तियों के निर्माण में ख़र्च धनराशि पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ‘इन मूर्तियों और स्मारकों के निर्माण के पीछे की मंशा जनता के बीच विभिन्न संतों, गुरुओं, समाज सुधारकों और नेताओं के मूल्यों एवं आदर्शों का प्रचार करना है, न कि बसपा के चुनाव चिह्न का प्रचार या खुद का महिमामंडन करना.
उन्होंने कहा कि मूर्तियों और स्मारकों के निर्माण के लिए धनराशि बजटीय आवंटन और राज्य विधानसभा की मंजूरी के जरिए स्वीकृत की गई.
BSP chief Mayawati files affidavit before the Supreme Court justifying expenses in installation of her statues and elephant statues in Uttar Pradesh. In her affidavit she has stated, 'it was the will of the people'. (file pic) pic.twitter.com/eFAhTdwsqw
— ANI (@ANI) April 2, 2019
मायावती ने अपने हलफनामे में कहा कि उनकी प्रतिमाएं लोगों की इच्छा का मान रखने के लिए राज्य विधानसभा की इच्छा के अनुसार बनवाई गई.
मायावती ने प्रतिमाओं के निर्माण में सार्वजनिक निधि का दुरुपयोग किये जाने का आरोप लगाने वाली याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित और कानून का घोर उल्लंघन बताया.
एनडीटीवी इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मायावती ने इसके साथ ही कहा कि दलित नेताओं द्वारा बनाई गई मूर्तियों पर ही सवाल क्यों? भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों द्वारा जनता के पैसे का इस्तेमाल करने पर सवाल क्यों नहीं? मायावती ने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सरदार पटेल, शिवाजी, एनटी राम राव और जयललिता आदि की मूर्तियों का भी हवाला दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने आठ फरवरी को कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि बसपा सुप्रीमो मायावती को लखनऊ और नोएडा में अपनी और पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियों के निर्माण में ख़र्च धनराशि लौटानी चाहिए. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा था कि यह अस्थाई विचार है और इस मामले पर अंतिम सुनवाई दो अप्रैल को होगी.
मायावती सरकार ने राज्य में 2007 से 2012 के दौरान कई दलित स्मारकों का निर्माण कराया था, जिनमें बसपा संस्थापक कांशीराम और बसपा के चुनाव चिह्न हाथी की प्रतिमाएं भी थीं. इन स्मारकों और प्रतिमाओं का निर्माण लखनऊ, नोएडा और राज्य के कुछ अन्य स्थानों पर 2,600 करोड़ रुपये में कराया गया.
फरवरी में एक वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने यह टिप्पणी की थी. याचिकाकर्ता ने कहा था कि खुद की प्रतिमाओं के निर्माण और राजनीतिक दल के प्रचार-प्रसार के लिए सार्वजनिक निधि का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
सतर्कता विभाग की शिकायत में इसे स्मारक घोटाला बताते हुए कहा गया कि इस तरह के निर्माण के लिए राज्य को 111 करोड़ रुपये का घाटा वहन करना पड़ा.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले की जांच के लिए धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)