जेट एयरवेज़ के घरेलू पायलटों के संगठन नेशनल एविएटर्स गिल्ड ने नागर विमानन के महानिदेशक और जेट एयरवेज़ के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को लिखा पत्र. नागर विमानन सचिव ने बताया कि जेट एयरवेज़ के 15 से भी कम विमान परिचालन में हैं.
मुंबई/नई दिल्ली: आर्थिक संकट में फंसी निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज़ के घरेलू पायलटों के संगठन नेशनल एविएटर्स गिल्ड (एनएजी) ने समय पर वेतन के साथ बकाया वेतन पर ब्याज देने की मांग की है. संगठन ने कहा कि पायलटों के विमान उड़ाने के लिहाज़ से मौजूदा स्थिति आदर्श नहीं है.
नागर विमानन के महानिदेशक बीएस भूल्लर और जेट एयरवेज़ के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विनय दूबे को दो अलग-अलग पत्र लिखकर गिल्ड ने मंगलवार को कहा है कि उन्हें अपने ईएमआई और अन्य वित्तीय प्रतिबद्धताएं पूरे करने में दिक्कत आ रही है.
अपनी प्रस्तावित हड़ताल को टालने के दो दिन बाद गिल्ड के अध्यक्ष करण चोपड़ा ने मंगलवार को ये पत्र लिखे.
चोपड़ा ने कहा, ‘वेतन का भुगतान नहीं होने के कारण हम बहुत अधिक तनाव और निराशा के दौर से गुज़र रहे हैं, जो विमान उड़ाने के लिहाज़ से किसी भी पायलट के लिए आदर्श स्थिति नहीं है. ईएमआई, स्कूल और कॉलेज की फीस और हमारे बुज़ुर्ग माता-पिता के मेडिकल बिल का भुगतान किया जाना है.’
गिल्ड ने पहले 31 मार्च तक बकाया वेतन का भुगतान नहीं किए जाने की स्थिति में एक अप्रैल से हड़ताल पर जाने का आह्वान किया था.
क़र्ज़ के भारी बोझ से दबी जेट एयरवेज़ नकदी संकट का सामना भी कर रही है. कंपनी पर वर्तमान में 8,200 करोड़ रुपये का ऋण है. 25 मार्च को जेट एयरवेज़ के चेयरमैन नरेश गोयल और उनकी पत्नी के एयरलाइन बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था.
ख़स्ताहाल वित्तीय स्थिति के कारण जेट एयरवेज़ को कई विमान खड़े करने, कंपनी को कुछ स्टेशनों की यात्रा बंद करनी पड़ी और कर्मचारियों कई महीनों से वेतन तक नहीं मिल पा रहा है.
इससे पहले जेट एयरवेज़ में आए वित्तीय संकट के बीच कंपनी के विमान रखरखाव इंजीनियरों के संघ ने विमानन क्षेत्र के नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को अपनी परेशानियों की जानकारी दी थी.
जेट एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन (जेएएमईडब्ल्यूए) ने डीजीसीए को लिखे पत्र में कहा था, ‘हमारे लिए अपनी वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करना मुश्किल हो गया है. इसके परिणामस्वरूप विमान इंजीनियरों की मनोवैज्ञानिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा है और यह उनके काम को भी प्रभावित करता है. ऐसे में देश और विदेश में उड़ान भरने वाले जेट एयरवेज़ के विमानों की सुरक्षा जोखिम में है.’
जेट एयरवेज़ के 15 से भी कम विमान परिचालन में: नागर विमानन सचिव
जेट एयरवेज़ के 15 से भी कम विमान अब परिचालन में हैं. नागर विमानन सचिव पीएस खरोला ने बुधवार को इसकी जानकारी दी.
सचिव ने कंपनी के सक्रिय विमानों की संख्या पूछे जाने पर कहा कि कल (मंगलवार को) 28 विमान परिचालन में थे.
खरोला ने कहा, ‘कंपनी ने मंगलवार शाम शेयर बाज़ार को बताया कि अन्य 15 विमान खड़े किए गए हैं. अत: अब कंपनी के बेड़े में 15 से भी कम विमान रह गए हैं.’
कंपनी के बेड़े में करीब 119 विमान थे. हालांकि, विमान के लीज़ की किस्तें नहीं चुकाने के कारण कंपनी को हालिया समय में अधिकांश विमान खड़े करने पड़े हैं.
खरोला ने कंपनी के वित्त पोषण के बारे में कहा, ‘मामला बैंकों और जेट एयरवेज़ के प्रबंधन के बीच है. वे आपस में बातचीत कर रहे हैं.’
मालूम हो कि इस ख़बर के बाद बुधवार को कंपनी के शेयर चार प्रतिशत तक गिर गए. बीएसई में कंपनी का शेयर गिरकर 257.80 रुपये पर खुला. कारोबार के दौरान यह 3.90 प्रतिशत गिरकर 254.55 रुपये पर चल रहा था. इसी तरह एनएसई में कंपनी का शेयर चार प्रतिशत गिरकर 254.40 रुपये के निचले स्तर पर चल रहा था.
इससे पहले मंगलवार को कंपनी ने बताया था कि विमान पट्टे का किराया नहीं चुका पाने के चलते उसे 15 और विमान खड़े करने पड़े हैं. इस तरह उसके कुल 69 विमान अब तक परिचालन से बाहर हो चुके हैं.
अब कंपनी के बेड़े के सिर्फ़ 20 विमान ही नियमित परिचालन में इस्तेमाल किए जा रहे हैं. विमानन कंपनी ने किराया चुकाने में चूक करने के चलते मार्च अंत तक कुल 54 विमानों को परिचालन से हटा दिया था.
जेट एयरवेज़ ने शेयर बाजारों को दी सूचना में कहा, ‘विमानों को पट्टे पर देने वाली कंपनियों का बकाया नहीं चुका पाने के चलते 15 और विमानों को खड़ा कर दिया गया है.’
पिछले सप्ताह कंपनी ने सरकार को बताया था कि उसके 35 विमान परिचालन में हैं.
उल्लेखनीय है कि जेट एयरवेज के निदेशक मंडल ने 25 मार्च को भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई में तैयार ऋणदाताओं की समाधान योजना को मंज़ूरी दी थी. इस योजना के तहत , ऋणदाता कंपनी का नियंत्रण अपने हाथों में लेने और उसमें 1,500 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का फैसला किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)