अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल द्वारा यह तर्क दिया गया है कि एक न्यायाधीश की नियुक्ति से संबंधित जानकारी व्यक्तिगत होती है, इसलिए आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (जे) के तहत ऐसी जानकारी का खुलासा करने से छूट दी गई है.
नई दिल्ली: मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बीते बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुप्रीम कोर्ट द्वारा दायर की गई उस अपील पर सुनवाई शुरू की, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी गई जिसमें कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को आरटीआई एक्ट के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण (पब्लिक अथॉरिटी) माना था.
इस मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा कि आरटीआई के तहत जजों के नियुक्ति की जानकारी का खुलासा करने से कोलेजियम की कार्यप्रणाली प्रभावित होगी.
वेणुगोपाल ने कहा, ‘किसी विशेष कैंडिडेट को जज के रूप में नियुक्त करने/सिफारिश न करने के लिए फाइल नोटिंग और कारणों का खुलासा जनहित के खिलाफ होगा. ऐसी जानकारी पूरी तरह से गोपनीय होनी चाहिए, अन्यथा कॉलेजियम के न्यायाधीश स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर सकते हैं.’
अटॉर्नी जनरल द्वारा यह तर्क दिया गया कि एक न्यायाधीश की नियुक्ति से संबंधित जानकारी व्यक्तिगत होती है, और इसलिए आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (जे) के तहत ऐसी जानकारी का खुलासा करने से छूट दी गई है.
वेणुगोपाल ने न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित जानकारी को एक अलग वर्ग के रूप में मानने पर जोर दिया और कहा कि कोलेजियम को स्वतंत्र रूप से और बिना किसी हानि के कार्य करने की अनुमति देने के लिए ऐसी जानकारी को गोपनीय रखा जाना चाहिए.
फिलहाल इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण अटॉर्नी जनरल द्वारा दिए गए तर्कों के विरोध में पैरवी कर रहे हैं.