शीर्ष अदालत ने देश की सभी अदालतों, ट्रिब्यूनलों और आयोगों को निर्देश दिया कि वह आठ फरवरी के बाद न्यायमूर्ति कर्णन द्वारा दिए गए आदेशों पर विचार न करें.
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता में एक सरकारी अस्पताल द्वारा गठित डॉक्टरों के बोर्ड को चार मई को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सीएस कर्णन की मेडिकल जांच करने का आदेश दिया है. मेडिकल बोर्ड जस्टिस कर्णन के मानसिक स्वास्थ्य की जांच करेगा. गौरतलब है कि जस्टिस कर्णन पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मामला चल रहा है.
प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि वह पुलिस का एक दल गठित करें जो न्यायमूर्ति कर्णन की मेडिकल जांच में मेडिकल बोर्ड की मदद कर सकें.
पीठ ने अपने पहले के आदेश का जिक्र करते हुए देशभर की सभी अदालतों, ट्रिब्यूनलों और आयोगों को निर्देश दिया कि वह आठ फरवरी के बाद न्यायमूर्ति कर्णन द्वारा दिए गए आदेशों पर विचार न करें.
अपने पहले के आदेश में पीठ ने न्यायमूर्ति कर्णन को प्रशासनिक और न्यायिक कार्य करने से रोक दिया था.
पीठ ने न्यायमूर्ति कर्णन को अवमानना नोटिस पर उनसे जवाब देने का निर्देश देने के साथ ही यह भी कहा कि अगर 18 मई तक कोई जवाब नहीं आता है तो पीठ यह मान लेगी कि उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है.
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर, न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ की सदस्यता वाली इस संविधान पीठ ने मेडिकल बोर्ड को आठ मई या उससे पहले मेडिकल रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया तथा न्यायमूर्ति कर्णन के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई के लिए 18 मई की तारीख तय की.
इससे पहले न्यायमूर्ति कर्णन 31 मार्च को शीर्ष अदालत के समक्ष पेश हुए थे और उन्होंने न्यायिक तथा प्रशासनिक शक्तियां बहाल करने की मांग की थी. लेकिन न्यायालय ने अपने पहले के आदेश में बदलाव करने से इनकार कर दिया था जिसके बाद न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा था कि वह दोबारा न्यायालय के समक्ष पेश नहीं होंगे.
वहीं, पिछले शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्णन ने नई दिल्ली स्थित एयर कंट्रोल अथॉरिटी को निर्देश दिया था कि केस खत्म होने तक चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट 7 अन्य जजों को देश के बाहर यात्रा करने की इजाजत न दी जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय और शीर्ष न्यायालय के न्यायधीशों के खिलाफ लिखे गए न्यायमूर्ति कर्णन के कई पत्रों पर स्वत: संज्ञान लिया है.
(एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)