चुनाव आयोग ने ‘मोदीजी की सेना’ बयान पर योगी आदित्यनाथ को आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया

कांग्रेस की प्रस्तावित न्यूनतम आय योजना (न्याय) की आलोचना करने को लेकर चुनाव आयोग ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को भी आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी ठहराया.

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Moradabad: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath attends a function at Dr BR Ambedkar Police Academy, in Moradabad on Monday, July 9, 2018. (PTI Photo) (PTI7_9_2018_000114B)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस की प्रस्तावित न्यूनतम आय योजना (न्याय) की आलोचना करने को लेकर चुनाव आयोग ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को भी आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी ठहराया.

Moradabad: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath attends a function at Dr BR Ambedkar Police Academy, in Moradabad on Monday, July 9, 2018. (PTI Photo) (PTI7_9_2018_000114B)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: ‘मोदीजी की सेना’ वाले बयान पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जवाब से चुनाव आयोग संतुष्ट नहीं है और उन्हें चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया है. हालांकि आयोग ने उन्हें नसीहत देते हुए छोड़ दिया.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आगामी चुनावी भाषणों में सेना के उल्लेख को लेकर अधिक सावधानी बरतने की नसीहत दी.

शुक्रवार को चुनाव आयोग को दिए अपने जवाब में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 31 मार्च को गाजियाबाद में एक रैली के दौरान दी गई अपनी एक टिप्पणी का बचाव किया. अपने जवाब में आदित्यनाथ ने कहा कि ‘मोदीजी की सेना’ से उनका मतलब देश की सेना से था.

आदित्यनाथ ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा क्योंकि सैन्य बलों के सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की सलाह पर कार्रवाई की थी और इसलिए उनकी टिप्पणी दूसरे शब्दों में भारतीय सेना का उल्लेख करने को लेकर थी.

आदित्यनाथ ने अपना यह जवाब बुधवार को उन्हें जारी किए गए उस कारण बताओ नोटिस के जवाब में दिया जिसमें सेना से जुड़ी गतिविधियों को राजनीतिक इस्तेमाल के लिए उन्हें प्रथमदृष्टया आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया था.

उल्लेखनीय है कि योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद से सांसद, केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष वीके सिंह के पक्ष में रविवार को चुनावी सभा के दौरान यह टिप्पणी की थी. इसमें योगी ने कहा, ‘कांग्रेस के लोग आतंकवादियों को बिरयानी खिलाते थे और मोदी जी की सेना आतंकवादियों को गोली और गोला देती है.’

अपने आदेश में आयोग ने पाया कि आदित्यनाथ के बयान ने उसके उन दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है जिसमें उसमें राजनीतिक दलों से अपील की थी कि वे राजनीतिक फायदे के लिए सैन्य बलों से जुड़ी हुई गतिविधियों का इस्तेमाल न करें.

आदित्यनाथ को वरिष्ठ नेता कहते हुए चुनाव आयोग ने उनसे भविष्य के राजनीतिक संबोधनों में अधिक सावधानी बरतने की अपील की.

बता दें कि आदित्यनाथ की इस टिप्पणी पर नौसेना के पूर्व सेनाध्यक्ष एडमिरल एल. रामदास, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एचएस पनाग और उत्तरी कमांड के पूर्व प्रमुख जनरल डीएस हुड्डा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी.

वहीं आदित्यनाथ ने जिस पूर्व सेनाध्यक्ष और भाजपा नेता वीके सिंह के लिए चुनाव प्रचार करते हुए यह टिप्पणी की थी उन्होंने कहा था कि बीजेपी के प्रचार में सब लोग अपने आप को सेना भी बोलते हैं. लेकिन हम किस सेना की बात कर रहे हैं? क्या हम भारत की सेना की बात कर रहे हैं या पॉलिटकल वर्कर्स की बात कर रहे हैं?

उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि क्या संदर्भ है. अगर कोई कहता है कि भारत की सेना मोदी जी की सेना है तो वो ग़लत ही नहीं, वो देशद्रोही भी है. भारत की सेनाएं भारत की हैं, ये पॉलिटिकल पार्टी की नहीं हैं.’

वहीं कांग्रेस की प्रस्तावित न्यूनतम आय योजना (न्याय) की आलोचना करने को लेकर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के जवाब से भी संतुष्ट नहीं है. आयोग ने उन्हें चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के लिए नोटिस दिया था.

इस मामले में नीति आयोग इस नतीजे पर पहुंचा कि न्याय को लेकर उनकी टिप्पणी ने चुनाव आचार संहिता के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है. आयोग ने उन्हें भविष्य में सावधानी बरतने की चेतावनी दी.

राजीव कुमार ने सबसे गरीब 20 फीसदी लोगों को 6,000 रुपये प्रतिमाह देने के कांग्रेस के वादे को खारिज करते हुए कहा था कि पार्टी (कांग्रेस) चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कह या कर सकती है.

आयोग के नोटिस का जवाब देते हुए कुमार ने कहा था कि उन्होंने एक अर्थशास्त्री होने के कारण व्यक्तिगत तौर पर यह बात कही थी. उन्होंने कहा था कि उनकी इस टिप्पणी को कांग्रेस की घोषणा पर आयोग के रूख के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए.

इस दौरान उन्होंने योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलुवालिया का उदाहरण भी दिया जिसमें अप्रैल, 2014 को उन्होंने लोकसभा चुनाव में चुनाव आचार संहिता लागू होने के दौरान गुजरात मॉडल को लेकर अपनी टिप्पणी की थी.