हरियाणा पुलिस ने यह जानकारी हलफ़नामा दायर कर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को दी. हाईकोर्ट ने पुलिस की मौजूदगी और खुफिया जानकारी के बावजूद आरोपियों को पकड़ने में नाकामी के लिए राज्य के पुलिस प्रमुख को तलब किया था.
चंडीगढ़ः पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि हरियाणा के नूह जिले में स्थिति बहुत चिंताजनक है, जहां राज्य पुलिस ने 2015 से अब तक गोहत्या निषेध अधिनियम के तहत 792 एफआईआर दर्ज की हैं लेकिन अब तक सिर्फ 13 मामलों में फैसला आया है. उन 13 मामलों में भी सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गोहत्या के खिलाफ कानून हरियाणा गोवंश संरक्षण और गोसंवर्धन अधिनियम 2015 में लागू हुआ था.
डीजीपी मनोज यादव ने इन मामलों से संबंधित आंकड़े शुक्रवार को हाईकोर्ट में पेश किए. हाईकोर्ट ने पुलिस की मौजूदगी और खुफिया जानकारी के बावजूद आरोपियों को पकड़ने में नाकामी के लिए राज्य के पुलिस प्रमुख को तलब किया था.
जस्टिस महाबीर सिंह सिंधू ने बरी किए गए 13 मामलों की जांच और अभियोजन पक्ष की विफलता का कारण बताने के लए शुक्रवार को हरियाणा के डीजीपी और एडवोकेट जनरल को निर्देश दिया था.
अदालत के आदेश में कहा गया, ‘हलफनामे का अध्ययन करने पर पता चलता है कि नूह में स्थिति बहुत चिंताजनक है और राज्य पुलिस के नियंत्रण से लगभग बाहर है क्योंकि इस अपराध को पूर्ण रूप से प्रशिक्षित तस्करों ने बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया था.’
हलफनामे में पुलिस ने कहा कि 19 नवंबर 2015 से 31 मार्च 2019 के बीच जिले में 792 एफआईआर दर्ज की गई.
अदालत को बताया गया कि अब तक 386 मामलों में 856 आरोपियों को गिरफ्तार किया जाना बाकी है. जिले में अदालतों द्वारा कुल 13 मामलों पर फैसला किया गया लेकिन अब तक एक भी शख्स को दोषी नहीं ठहराया गया.
डीजीपी यादव द्वारा पेश की गई सूचना पर सख्त रुख अपनाते हुए एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘यह स्पष्ट है कि स्थिति बहुत चिंताजनक है और 2015 के अधिनियम के तहत अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज की गई इसके परिणामस्वरूप निचली अदालतों द्वारा 100 फीसदी लोगों को ही बरी कर देने को पुलिस के लिए स्वर्ग कहा जा सकता है.’
डीजीपी ने कहा कि जब भी पुलिस ने आरोपी को पकड़ने का प्रयास किया, आरोपी ने उन पर हमला कर दिया. इस दौरान आरोपियों के पास अवैध हथियार भी होते हैं और इस तरह की घटनाएं जिले में लगातार हो रही है.