राजीव गांधी हत्याकांड पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से मांगी रिपोर्ट

पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के दोषी पेरारीवलन ने याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि सीबीआई ने इस हत्याकांड के पीछे की बड़ी साज़िश की जांच नहीं की.

राजीव गांधी. (फोटो: पीटीआई)

पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के दोषी पेरारीवलन ने याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि सीबीआई ने इस हत्याकांड के पीछे की बड़ी साज़िश की जांच नहीं की.

Rajiv Gandhi PTI
(फाइल फोटो: पीटीआई)

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषी पेरारीवलन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से रिपोर्ट मांगी है. पेरारीवलन ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि सीबीआई ने राजीव गांधी की हत्या के पीछे बड़ी साजिश की जांच नहीं की. अदालत मामले में अगली सुनवाई 16 अगस्त को करेगी.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, पेरारीवलन की इस याचिका पर जस्टिस रंजन गोेगोई की अध्‍यक्षता में सर्वोच्‍च न्‍यायालय की एक पीठ ने सुनवाई की. पेरारीवलन ने आरोप लगाया है कि जांच एजेंसी ने कुछ लोगों को बचाने की कोशिश की है और कई लोगों के खिलाफ मामले को बंद कर दिया है जो किसी न किसी तरह से हत्यारों को मदद देने में शामिल थे.

एनडीटीवी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से मामले की आगे जांच के लिए चार हफ्ते में सील कवर में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. शीर्ष अदालत ने पूछा है कि सीबीआई बताए कि इस मामले की आगे जांच कब तक पूरी हो सकती है.

साथ ही यह भी बताएं कि इस केस में फरार आरोपियों के प्रत्यर्पण समेत क्या-क्या कानूनी अड़चनें आ रही हैं. सीबीआई ने इन अड़चनों के लिए क्या कदम उठाए हैं? सीबीआई की ओर से बताया गया कि इस मामले की जांच चल रही है, लेकिन यह नहीं बताया जा सकता कि केस की जांच में कितना वक्त लगेगा.

गौरतलब है कि पेरारीवलन को राजीव गांधी हत्याकांड में साजिश रचने का दोषी करार दिया गया था और वह 26 साल से जेल में है. उसने इस पूरे मामले की शीर्ष अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है.

बता दें कि टाडा कोर्ट ने पेरारीवलन को राजीव गांधी की हत्या का दोषी माना था और फांसी की सज़ा सुनाई थी. इसे शीर्ष अदालत ने बरकरार रखा था. हालांकि बाद में दया याचिका के निपटारे में हुई देरी को आधार बनाते हुए कोर्ट ने फांसी की सज़ा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया.

पेरारीवलन ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि जैन कमीशन की सिफारिश के आधार पर मामले की आगे जांच के लिए सीबीआई की देखरेख में मल्टी डिसिप्लीनरी मॉनीटरिंग अथॉरिटी बनाई गई थी, लेकिन 18 साल बीत जाने पर भी जांच आगे नहीं बढ़ी.