यह आरोप रिलायंस ग्रुप से जुड़ी कंपनी के तीन पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार करने वाली नीदरलैंड की जांच एजेंसी ने लगाया है. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और ईस्ट वेस्ट पाइपलाइन लिमिटेड ने बयान जारी कर किसी भी तरह का गलत काम करने से इनकार किया है.
नई दिल्ली: नीदरलैंड के अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि डच पाइपलाइन कंपनी ए हक एनएल ने साल 2006 से 2008 के बीच बनी गैस पाइपलाइन की सामग्री के दाम बढ़ा-चढ़ाकर वसूले और फिर मुनाफे में से 110 करोड़ रुपये सिंगापुर स्थित कंपनी बायोमेट्रिक्स लिमिटेड के खाते में ट्रांसफर कर दिए.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, नीदरलैंड के अधिकारियों का आरोप है कि ए हक एनएल कंपनी रिलायंस गैस ट्रांसपोर्टेशन के तहत ही काम करती है और सिंगापुर स्थित बायोमेट्रिक्स कंपनी भी रिलायंस से जुड़ी हुई है.
बता दें कि रिलायंस गैस ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरजीटीआईएल) का नाम अब बदलकर ईस्ट वेस्ट पाइपलाइन लिमिटेड (ईडब्ल्यूपीएल) हो गया है. यह एक निजी कंपनी है.
मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले की जांच नीदरलैंड की जांच एजेंसी द फिस्कल इंटेलीजेंस एंड इन्वेस्टीगेशन सर्विस एंड इकॉनमिक इन्वेस्टीगेशन सर्विस (एफआईओडी-ईसीडी) कर रही है.
जांच एजेंसी ने इस मामले में ए हक एनएल के तीन पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. शुक्रवार को उन तीनों को अदालत में पेश किया था.
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और ईडब्ल्यूपीएलने बयान जारी कर किसी भी तरह का गलत काम करने से इनकार किया है.
डच अभियोजन वकील ने एक बयान जारी कर बताया है कि डच कंपनी ए हक एनएल ने इस तरह कुल 10 मिलियन डॉलर की रकम हासिल की.
रिपोर्ट के अनुसार, सिंगापुर को भेजी गई रकम चार बीमा कंपनियों द्वारा भेजी गई, जिसके लिए फर्जी बीमा किया गया था.
जांच में पता चला है कि इस पूरी धांधली के पीछे सिंगापुर स्थित कंपनी बायोमेट्रिक्स मार्केटिंग के मालिक जेम्स वालफेंजो शामिल हैं. वालफेंजों नीदरलैंड का निवासी है.
जेम्स वालफेंजों का नाम इससे पहले 2005 में हुए स्विस लीक में भी रिलायंस समूह के साथ जुड़ चुका है. उस मामले में पता चला था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का ऑफशोर कॉरपोरेट स्ट्रक्चर जेम्स वालफेंजो द्वारा ही बनाया गया था.
वहीं पैराडाइज पेपर्स लीक मामले में भी जेम्स वालफेंजो का नाम सामने आ चुका है.
डच अभियोजन वकील ने अपने बयान में कहा है कि डच कंपनी द्वारा गैस पाइपलाइन के लिए सामग्री के दाम बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने से रिलायंस अपने ग्राहकों ने सेवा के बदले ज्यादा दाम वसूल सकती है.
इस तरह इस पूरी धांधली का सीधा नुकसान भारतीय नागरिकों को उठाना पड़ेगा. इसका कारण है कि गैस के उत्पादन की कीमत भारतीय नागरिकों को ही चुकानी पड़ेगी.