बीते 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के एक काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद प्रशासन द्वारा कई राजनीतिक और अलगाववादियों नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली गई थी.
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य के 400 से ज्यादा नेताओं की सुरक्षा बहाल कर दी है. पुलवामा हमले के बाद प्रशासन द्वारा 900 से ज्यादा लोगों की सुरक्षा हटा ली गई थी.
राज्य के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम के इस विवादित फैसले का जम्मू कश्मीर में कई राजनीतिक दलों ने विरोध किया था. राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने गृह मंत्रालय के इस फैसले पर नाराजगी भी जाहिर की थी.
एनडीटीवी खबर के मुताबिक राज्य के राजनीतिक दलों ने निर्वाचन आयोग से शिकायत की थी कि चुनाव के दौरान इस फैसले से मुख्यधारा के नेताओं की जान को खतरा बढ़ गया है. साथ ही आरोप लगाया था कि ये कदम चुनावी प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने की साजिश है.
शनिवार को श्रीनगर में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई थी. जहां कश्मीर के सुरक्षा हालातों पर चर्चा हुई थी जिसके बाद यह फैसला लिया गया.
इसकी पुष्टि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एनडीटीवी से बातचीत में की.
मलिक ने कहा, ‘यह हमारे लिए किसी तरह की प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं है इसे केवल तर्कसंगत बनाने की जरूरत है. हम किसी की भी सुरक्षा को खतरे में नहीं डालेंगे.’
राज्यपाल ने कहा कि सभी योग्य लोगों की सुरक्षा फौरी तौर से बहाल की जा रही है.
पिछले महीने केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक बयान में कहा गया था कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षा पर समीक्षा करने के बाद 919 मुख्यधारा और अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली है. उनमें 22 अलगाववादी नेता शामिल थे.
गौरतलब है कि 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के एक काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ था जिसमें 40 जवानों की मौत हो गई थी. उसके बाद प्रशासन द्वारा कई नेताओं और अलगाववादियों की सुरक्षा वापस ले ली गई थी. जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल, पीडीपी नेता वाहिद परा, अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक आदि नेता शामिल थे.
पिछले एक साल से जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है. यहां 11 अप्रैल से 6 मई तक पांच चरणों में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होगा, जिनके नतीजे 23 मई को आएंगे.