दोनों आरोपी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व कर्मचारी हैं. उन्होंने कोर्ट की वेबसाइट पर कथित रूप से एक आदेश अपलोड किया था, जिसके अनुसार कोर्ट की अवमानना मामले में अंबानी को उपस्थिति से छूट की बात कही गई जबकि अदालत ने आदेश दिया था कि अगली सुनवाई के दौरान वह मौजूद रहें.
नई दिल्लीः रिलायंस कम्युनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर कथित रूप से गलत सूचना डालने के आरोप में कोर्ट के दो पूर्व कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी. दोनों को सोमवार को पटियाला हाउस अदालत में पेश किया गया. अदालत ने उन्हें सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया.
सूत्रों ने बताया कि दोनों ने वेबसाइट पर कथित रूप से एक आदेश अपलोड किया था, जिसके अनुसार इस मामले में अंबानी को उपस्थिति से छूट की बात कही गई जबकि अदालत ने आदेश दिया था कि अगली सुनवाई के दौरान वह मौजूद रहें.
वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. सूत्रों के अनुसार, आरोपी मानव शर्मा और तपन कुमार चक्रवर्ती को रविवार को गिरफ्तार किया गया था.
इससे पहले इस मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने दोनों को बर्ख़ास्त कर दिया था. दोनों को सोमवार को पटियाला हाउस अदालत में पेश किया गया. अदालत ने उन्हें सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया.
शर्मा और चक्रवर्ती कोर्ट मास्टर थे. शर्मा की उम्र 40 के आसपास है जबकि चक्रवर्ती अगले साल सेवानिवृत होने वाले थे.
सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार की ओर से शिकायत मिलने के बाद एक मार्च को धोखाधड़ी एवं फर्जीवाड़ा का मामला दर्ज किया गया था. दोनों से पूछताछ की जा रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना मामले में रिलायंस कम्युनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी की पेशी के मुद्दे पर उसके सात जनवरी के आदेश के साथ छेड़छाड़ करने को लेकर इन दोनों अधिकारियों को बर्ख़ास्त कर दिया था.
चीफ जस्टिस गोगोई ने इन दोनों अधिकारियों को बर्ख़ास्त करने का आदेश दिया था, जो जजों के आदेश लिखने और उसे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर डालने के लिए ज़िम्मेदार थे.
जस्टिस आर एफ नरीमन की अगुवाई वाली पीठ एरिक्सन कंपनी की बकाया राशि का भुगतान नहीं के मामले में अनिल अंबानी और अन्य के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के तीन आवेदनों पर सुनवाई कर रही थी.
जस्टिस नरीमन ने चीफ जस्टिस के पास शिकायत भेजी थी कि अवमाननाकर्ता की पेशी के मामले में आदेश उपयुक्त रूप में नहीं है. आदेश में कहा गया था कि कथित अवमाननाकर्ता को पेशी से छूट नहीं दी गई है जिसमें ‘नहीं’ शब्द गायब पाया गया.
एरिक्सन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने इस गलती को 10 जनवरी को पीठ के संज्ञान में लाया, जिसके बाद दोनों कर्मचारियों को बर्ख़ास्त कर दिया गया था.
मालूम हो कि इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी को अदालत की अवमानना का दोषी पाया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)