जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि यदि ज़िम्मेदारी की गहरी समझ के बिना प्रेस द्वारा स्वतंत्रता का फायदा उठाया जाता है, तो यह लोकतंत्र को कमज़ोर कर सकता है. एक स्वतंत्र व्यक्ति को निडर होना ज़रूरी है.
नई दिल्ली: रफाल मामले में एक अलग लेकिन समान फैसले में सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस केएम जोसेफ ने बुधवार को कहा कि मीडिया के कुछ वर्ग पक्षपात करते हैं. जस्टिस जोसेफ ने इस बात को लेकर चिंता जताई है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने लिखा, ‘यदि जिम्मेदारी की गहरी समझ के बिना प्रेस द्वारा स्वतंत्रता का फायदा उठाया जाता है, तो यह लोकतंत्र को कमजोर कर सकता है. कुछ वर्गों में, पक्षपात करने की एक चिंताजनक प्रवृत्ति दिखाई देती है. व्यावसायिक हितों और राजनीतिक निष्ठाओं की वजह से निष्पक्ष तरीके से सूचनाएं प्रसारित करने में समस्या होती है.’
जस्टिस जोसेफ ने अपने फैसले में आगे लिखा, ‘भारत में मीडिया ने लोकतंत्र की मजबूती में बहुत योगदान दिया है और देश में एक जीवंत लोकतंत्र के लिए प्रेस की हमेशा एक महत्वपूर्ण भूमिका होगी.’ उन्होंने कहा कि विजुअल मीडिया काफी ताकतवर है और इसकी पहुंच काफी दूर तक है. जनसंख्या का कोई भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट जज ने लिखा, ‘मीडिया को ये एहसास होना चाहिए कि दर्शकों/पाठकों को अधिकार है कि उन्हें बिना किसी मिलावट के सच उन तक पहुंचाया जाए. मैं समझता हूं कि आजादी में कई सारी चीजें शामिल होती हैं. एक स्वतंत्र व्यक्ति को निडर होना जरूरी है.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘डर, एक पत्रकार को प्रिय लगने वाली सभी चीजों या किसी भी चीज को खोने का हो सकता है. एक आजाद व्यक्ति पक्षपात नहीं कर सकता है. पक्षपात कई तरीकों का होता है. पक्षपात के खिलाफ नियम जजों द्वारा देखा गया एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है.’
फैसले में कहा गया कि विजुअल मीडिया समेत हर तरीके का प्रेस पक्षपात नहीं कर सकता. बल्कि उसे स्वतंत्र रहना चाहिए.
जज ने लिखा, ‘पक्षपातपूर्ण जानकारी प्रसारित करना, वास्तविक स्वतंत्रता को धोखा देना है. यह अनुच्छेद 19(1) (ए) के तहत लोगों को सही जानकारी देने के महत्वपूर्ण अधिकार का उल्लंघन है. ये अधिकार नागरिकों को दिए गए कई अन्य अधिकारों का आधार भी है.
जस्टिस जोसेफ ने कहा कि महत्वपूर्व बात ये है कि भारत में प्रेस का अधिकार, अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत जनता के अधिकार से बड़ा नहीं है.