भारतीय मूल के सांसदों ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए औपचारिक तौर पर माफ़ी मांगने की मांग ब्रिटेन की सरकार से की. ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने कहा कि अगर हम तमाम घटनाओं पर माफ़ी मांगने लगेंगे तो इससे माफ़ी का महत्व कम हो जाएगा.
लंदन: ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने अमृतसर के जलियांवाला नरसंहार कांड की 100वीं बरसी के मौके पर बुधवार को इस कांड को ब्रिटिश भारतीय इतिहास में ‘शर्मसार करने वाला धब्बा’ क़रार दिया लेकिन उन्होंने इस मामले में औपचारिक माफ़ी नहीं मांगी.
हाउस ऑफ कॉमन्स में प्रधानमंत्री के साप्ताहिक प्रश्नोत्तर की शुरुआत में उन्होंने अपने बयान में इस घटना पर ‘खेद’ जताया जो ब्रिटिश सरकार पहले ही जता चुकी है.
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार की घटना ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर शर्मसार करने वाला धब्बा है. जैसा कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1997 में जलियांवाला बाग जाने से पहले कहा था कि यह भारत के साथ हमारे अतीत के इतिहास का दुखद उदाहरण है.’
उन्होंने कहा, ‘जो कुछ हुआ और लोगों को वेदना झेलनी पड़ी, उसके लिए हमें गहरा ख़ेद है. मैं खुश हूं कि आज ब्रिटेन-भारत के संबंध साझेदारी, सहयोग, समृद्धि और सुरक्षा के हैं. भारतवंशी समुदाय ब्रिटिश समाज में बहुत योगदान दे रहा है और मुझे विश्वास है कि पूरा सदन चाहेगा कि ब्रिटेन के भारत के साथ संबंध बढ़ते रहें.’
विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने मांग की कि नरसंहार में मारे गए लोग उस घटना के लिए पूरी तरह स्पष्ट माफ़ी के हक़दार हैं.
पंजाब के अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में 1919 में हुआ नरसंहार अप्रैल माह में बैसाखी के दिन हुआ था. जनरल डायर के आदेश पर ब्रिटिश भारतीय सैनिकों ने पंजाब के अमृतसर शहर स्थित जलियांवाला बाग में स्वतंत्रता के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोली चला दी थी.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, इस गोलीबारी में ब्रिटिश सरकार के रिकॉर्ड में 400 लोगों के मारे जाने की बात दर्ज की गई, लेकिन कहा जाता है कि इसमें एक हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए थे. मरने वालों में पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल थे.
रिपोर्ट के अनुसार भारतीय मूल की लेबर सांसद प्रीत कौर गिल ने इस दौरान कहा, ‘जैसा कि जलियांवाला बाग हत्याकांड के 100 साल पूरे हो रहे हैं इसलिए ब्रिटेन की सरकार को इसके लिए औपचारिक माफी मांगने की ज़रूरत हैं.’
गिल की बात का समर्थन करते हुए लेबर सांसद वीरेंद्र शर्मा ने कहा कि ब्रिटेन की प्रधानमंत्री के लिए यह सही समय है कि वह इस घटना के लिए सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांग लें.
ब्रिटिश सरकार ने जलियांवाला बाग नरसंहार माफ़ी मामले में ‘वित्तीय मुश्किलों’ का दिया हवाला
जलियांवाला बाग नरसंहार कांड की बरसी के मौके पर औपचारिक माफ़ी की मांग को लेकर ब्रिटिश सरकार ने मंगलवार को इस पर विचार करने के लिए ‘वित्तीय मुश्किलों’ के तथ्य को भी ध्यान में रखने को कहा. कांड की बरसी इसी सप्ताह है.
ब्रिटिश विदेश मंत्री मार्क फील्ड ने ‘जलियांवाला बाग नरसंहार’ पर हाउस ऑफ कॉमन्स परिसर के वेस्टमिंस्टर हॉल में आयोजित बहस में भाग लेते हुए कहा कि हमें उन बातों की एक सीमा रेखा खींचनी होगी, जो इतिहास का शर्मनाक हिस्सा हैं. ब्रिटिश राज से संबंधित समस्याओं के लिए बार-बार माफ़ी मांगने से अपनी तरह की दिक्कतें सामने आती हैं.
फील्ड ने कहा कि वह ब्रिटेन के औपनिवेशिक काल को लेकर थोड़े पुरातनपंथी हैं और उन्हें अतीत में हो चुकीं बातों पर माफ़ी मांगने को लेकर हिचकिचाहट होती है.
उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार के लिए यह चिंता की बात हो सकती है वह माफ़ी मांगे. इसकी वजह यह भी हो सकती माफ़ी मांगने में वित्तीय मुश्किलें भी हो सकती हैं.
उन्होंने कहा कि अगर हम तमाम घटनाओं पर माफ़ी मांगने लगेंगे तो इससे इसका महत्व कम हो जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)