आमतौर पर यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली आईएएस, आईएफएस या अन्य केंद्रीय सेवाओं की परीक्षा में चयनित अधिकारियों को करिअर में लंबा अनुभव हासिल करने के बाद संयुक्त सचिव के पद पर तैनात किया जाता है.
नई दिल्ली: देश में पहली बार निजी क्षेत्रों के नौ विशेषज्ञों को केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में संयुक्त सचिव के पदों पर तैनाती के लिए चुना गया है.
आमतौर पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा, वन सेवा परीक्षा या अन्य केंद्रीय सेवाओं की परीक्षा में चयनित अधिकारियों को करियर में लंबा अनुभव हासिल करने के बाद संयुक्त सचिवों के पद पर तैनात किया जाता है.
कार्मिक मंत्रालय ने पिछले साल जून में ‘सीधी भर्ती’ व्यवस्था के जरिए संयुक्त सचिव रैंक के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे. इन पदों के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 जुलाई 2018 थी. इससे संबंधित सरकारी विज्ञापन सामने आने के बाद कुल 6,077 लोगों ने आवेदन किए थे.
हालांकि, मंत्रालय ने दिसंबर में इन पदों के लिए उम्मीदवारों के चयन का काम यूपीएससी को सौंपने का फैसला किया था, जो देश के नौकरशाह, राजनयिकों और पुलिस अधिकारियों का चयन करने के लिए सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करता है.
शुक्रवार को घोषित किए गए परिणाम में यूपीएससी ने संयुक्त सचिव पदों के लिए निजी क्षेत्र के नौ विशेषज्ञों की सिफारिश की.
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यूपीएससी ने कहा, ‘नागरिक विमानन मंत्रालय के लिए अंबर दुबे, वाणिज्य मंत्रालय के लिए अरुण गोयल, आर्थिक मामलों के विभाग के लिए राजीव सक्सेना, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के लिए सुजीत कुमार बाजपेयी, वित्तीय सेवा विभाग के लिए सौरभ मिश्रा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के लिए दिनेश दयानंद जगदाले का चयन किया गया है.’
यूपीएससी ने कहा, ‘सुमन प्रसाद सिंह को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के लिए संयुक्त सचिव, भूषण कुमार को जहाजरानी के लिए और कोकोली घोष को कृषि, सहयोग एवं किसान कल्याण के लिए चुना गया है.’
यूपीएससी ने शुक्रवार को कहा कि राजस्व विभाग में चयनित उम्मीदवारों को अनुबंध आधार (लेटरल एंट्री) पर भर्ती किया जाएगा.
कुल 6,077 आवेदनों में से 89 को साक्षात्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था. इसके बाद उन्हें आगे की प्रक्रिया के लिए विस्तृत आवेदन फॉर्म भरने के लिए कहा गया था.
सरकार के थिंक टैंक नीति अयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि यह जरूरी था कि निश्चित अवधि के लिए अनुबंध पर लेटरल एंट्री के जरिए विशेषज्ञों को व्यवस्था में शामिल किया जाए.
बता दें कि, कार्मिक मंत्रालय ने पिछले साल जून में ‘लैटरल एंट्री’ तरीके से संयुक्त सचिव स्तर के पदों पर नियुक्ति के लिए विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले निजी क्षेत्र के लोगों से आवेदन मांगे थे.
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ये आवेदन राजस्व, वित्तीय सेवा, आर्थिक मामले, कृषि एवं किसान कल्याण, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, पोत परिवहन, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, नागर विमानन और वाणिज्य विभाग में खाली पदों के लिए मंगाए गए थे.
तब मोदी सरकार की काफी आलोचना हुई थी. इसके तहत ऐसे लोगों को आवेदन करने योग्य माना गया है, जिन्होंने संघ लोकसेवा आयोग की सिविल सर्विस परीक्षा पास नहीं की.
विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस प्रस्ताव का विरोध शुरू करते हुए आरोप लगाया था कि अस्थायी प्रकृति की इस बहाली में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया जाएगा तथा यह एक और संवैधानिक संस्था को बर्बाद करने की साजिश है.
प्रशासनिक सुधार आयोग के अध्यक्ष रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री एम. वीरप्पा मोइली कहा था कि यह संस्थाओं के भगवाकरण का वर्तमान सरकार का प्रयास है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)