जल क्रांति योजना: पांच सालों में नहीं हुआ कोई काम, पानी की किल्लत से जूझ रहे कई गांव

मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: जल क्रांति योजना के तहत पानी की किल्लत से जूझ रहे क्षेत्रों में जल संरक्षण और जल प्रबंधन के लिए काम होना था, लेकिन आरटीआई के तहत मिली जानकारी बताती है कि इसके अंतर्गत अब तक ऐसा कोई ठोस काम नहीं हुआ है, जिसे देश में जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा सके.

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People gather to get water from a huge well in the village of Natwarghad in the western Indian state of Gujarat on June 1, 2003. Natwargadh is in the midst of the worst drought in over a decade. Dams, wells and ponds have gone dry across the western and northern parts of Gujarat forcing people to wait for hours around village ponds for the irregular state-run water tankers to show up as the temperature sores to over 44 degree Celcius. The United Nation's World Environment Day will be celebrated on Thursday with the theme of "Water - Two Billion People are Dying for It". REUTERS/Amit Dave BEST QUALITY AVAILABLE

मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: जल क्रांति योजना के तहत पानी की किल्लत से जूझ रहे क्षेत्रों में जल संरक्षण और जल प्रबंधन के लिए काम होना था, लेकिन आरटीआई के तहत मिली जानकारी बताती है कि इसके अंतर्गत अब तक ऐसा कोई ठोस काम नहीं हुआ है, जिसे देश में जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा सके.

People gather to get water from a huge well in the village of Natwarghad in the western Indian state of Gujarat on June 1, 2003. Natwargadh is in the midst of the worst drought in over a decade. Dams, wells and ponds have gone dry across the western and northern parts of Gujarat forcing people to wait for hours around village ponds for the irregular state-run water tankers to show up as the temperature sores to over 44 degree Celcius. The United Nation's World Environment Day will be celebrated on Thursday with the theme of "Water - Two Billion People are Dying for It". REUTERS/Amit Dave BEST QUALITY AVAILABLE
फाइल फोटो: रॉयटर्स

पांच जून 2015 को तत्कालीन जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की. योजना का नाम है, ‘जल क्रांति योजना.’ इसे जल संरक्षण और जल प्रबंधन के लिए शुरू किया गया था.

खासकर, उन इलाकों के लिए जहां पानी की भारी किल्लत है. इसके तहत जल ग्राम योजना, मॉडल कमांड एरिया का गठन, प्रदूषण हटाना, जागरूकता अभियान जैसे लक्ष्य शामिल किए गए थे.

नेशनल लेवल एडवाइजरी एंड मॉनिटरिंग कमेटी की पहली बैठक में ये तय किया गया कि जल्द से जल्द जल सुरक्षा योजना तैयार की जानी चाहिए. यह भी तय हुआ कि पूर्व की सरकार द्वारा ‘हमारा जल, हमारा जीवन’ के तहत पहचाने गए गांवों को जल क्रांति अभियान के तहत शामिल किया जाएगा.

शुरुआत में यह तय हुआ था कि इस योजना के तहत हर जिले में पानी की किल्लत से जूझ रहे कम से कम एक गांव को शामिल किया जाएगा और इसमें सभी हितधारकों को भी शामिल किया जाएगा.

नेशनल लेवल एडवाइजरी एंड मॉनिटरिंग कमेटी की दूसरी बैठक के मिनट्स के मुताबिक, 383 जिलों में 452 जल ग्राम चिह्नित किए गए. साथ ही, एक की जगह हर जिले में दो जल ग्राम चिह्नित किए जाने का भी निर्णय लिया गया.

कमेटी की तीसरी बैठक 16 सितंबर 2016 को हुई. इस बैठक में 1,090 जल ग्राम की पहचान हुई. यह भी निर्णय लिया गया कि मॉडल कमांड एरिया, राष्ट्रीय जल अभियान द्वारा शुरू किया जाएगा, लेकिन इसने कोई रिपोर्ट ही नहीं दी.

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मंत्रालय ने 1.20 करोड़ रुपये वर्कशॉप और प्रशिक्षण के लिए जारी किए और कहा गया कि इस राशि का इस्तेमाल 31 मार्च 2017 से पहले कर लिया जाना चाहिए. 

हमने आरटीआई के तहत मॉडल कमांड एरिया के तहत शुरू किए प्रोजेक्ट्स के बारे में जानने की कोशिश की. प्राप्त सूचना के मुताबिक, जल संसाधन मंत्रालय ने 10 मॉडल कमांड एरिया की पहचान की थी.

लेकिन, जुलाई 2016 से कमांड एरिया डेवलपमेंट का काम 99 प्रोजेक्ट्स तक सिमट कर रह गया और ये सारे प्रोजेक्ट नाबार्ड से मिले लोन से चल रहे थे. लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण ये रहा कि मंत्रालय ने जिन 10 मॉडल कमांड एरिया की पहचान की थी, उसमें से किसी पर काम नहीं हुआ.

हमने आरटीआई के तहत पूछा कि कानपुर और उन्नाव में गंगा फ्लड प्लेन के रिचार्ज राज्यों से जुड़े प्रोजेक्ट का क्या हुआ? इसका जवाब था, निल (शून्य). सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड, उत्तरी क्षेत्र, लखनऊ ने बताया कि उसने ऐसा कोई प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं किया है.

‘पॉल्यूशन अबेटमेंट स्कीम ऑफ ग्राउंड वॉटर’ के तहत चार राज्यों, यूपी, बिहार, झारखंड और बंगाल के पांच जिलों के सात ब्लॉक में आर्सेनिक रहित कुएं और ट्यूबवेल का निर्माण किया जाना था. लेकिन, दिसंबर 2017 में सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड से मिले आरटीआई जवाब के मुताबिक, यूपी के 6 जिलों में 69 ट्यूबवेल बनाए गए हैं और पश्चिम बंगाल में केवल 11 ट्यूबवेल बनाए गए है.

झारखंड और बिहार में कोई ट्यूबवेल बनाया ही नहीं गया. आज तक सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड की तरफ से 212 आर्सेनिक रहित कुएं बनाए गए और उसमें से 80 का निर्माण अप्रैल 2014 के बाद से किया गया.

यानी जल क्रांति अभियान के तहत अब तक ऐसा कोई भी ठोस काम नहीं हो सका है, जिसे भारत में जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा सके.

(मोदी सरकार की प्रमुख योजनाओं का मूल्यांकन करती किताब वादा-फ़रामोशी का अंश विशेष अनुमति के साथ प्रकाशित. आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर यह किताब संजॉय बासु, नीरज कुमार और शशि शेखर ने लिखी है.)

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