नमाज़ के लिए मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस

पुणे के एक दंपति द्वारा शीर्ष अदालत में दायर याचिका में महिलाओं को मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की इजाज़त देने और उनके प्रवेश पर पाबंदी को ग़ैर-क़ानूनी और असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया है.

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New Delhi: A view of the Supreme Court, in New Delhi, on Thursday. (PTI Photo / Vijay Verma)(PTI5_17_2018_000040B)
(फोटो: पीटीआई)

पुणे के एक दंपति द्वारा शीर्ष अदालत में दायर याचिका में महिलाओं को मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की इजाज़त देने और उनके प्रवेश पर पाबंदी को ग़ैर-क़ानूनी और असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया है.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की इजाजत देने के लिए दायर याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.

जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने पुणे निवासी एक दंपति की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. पीठ ने स्पष्ट किया कि वह सबरीमला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से ही इस याचिका की सुनवाई करेंगे.

पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, ‘हम सिर्फ सबरीमला मंदिर मामले में हमारे फैसले की वजह से ही आपको सुन सकते हैं.’

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने 28 सितंबर, 2018 को 4:1 के बहुमत के फैसले में केरल स्थित सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश का मार्ग प्रशस्त कर दिया था.

पीठ ने कहा था कि मंदिर में प्रवेश पर किसी भी प्रकार की पाबंदी लैंगिक भेदभाव के समान है.

मुस्लिम महिलाओं को नमाज़ पढ़ने के लिए मस्जिद में प्रवेश की अनुमति हेतु याचिका दायर करने वाले दंपति ने मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को गैरकानूनी और असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है.

याचिकाकर्ताओं ने संविधान के प्रावधान का हवाला देते हुए कहा कि देश के किसी भी नागरिक के साथ धर्म, जाति, वर्ग, लिंग या जन्मस्थान को लेकर भेदभाव नहीं होना चाहिए.

याचिका में कहा गया कि गरिमा के साथ जीना और समता सबसे अधिक पवित्र मौलिक अधिकार हैं और किसी भी मुस्लिम महिला के मस्जिद में प्रवेश करने पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता.

याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से जानना चाहा कि क्या विदेशों में मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश की इजाजत है.

इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को पवित्र मक्का की मस्जिद और कनाडा में भी मस्जिद में प्रवेश की अनुमति है.

पीठ ने अधिवक्ता से सवाल किया कि क्या आप संविधान के अनुच्छेद 14 का सहारा लेकर दूसरे व्यक्ति से समानता के व्यवहार का दावा कर सकते हैं.

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि भारत में मस्जिदों को सरकार से लाभ और अनुदान मिलते हैं.

लाइवलॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह नोटिस केंद्र सरकार के साथ वक्फ बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को भी जारी किया गया है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने मस्जिद में महिलाओं के नमाज़ पढ़ने की मंजूरी देने के लिए पुणे के बोपोडी के मोहमदिया जामा मस्जिद को भी पत्र लिखा था लेकिन मस्जिद प्रशासन ने जवाब दिया कि पुणे और अन्य इलाकों में मस्जिद में महिलाओं को प्रवेश की मंजूरी नहीं है. याचिकाकर्ताओं ने इसके बाद दाउद काजा और दारुल उलूम देवबंद को भी पत्र लिखा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)