सितंबर 2018 में लखनऊ के गोमतीनगर क्षेत्र में चेकिंग के लिए गाड़ी न रोकने पर कॉन्स्टेबल संदीप कुमार और प्रशांत चौधरी ने एप्पल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी पर गोली चलाई थी, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी.
लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एप्पल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या के आरोपी कॉन्स्टेबल संदीप कुमार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को ज़मानत दे दी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस डीके सिंह के नेतृत्व में पीठ ने कॉन्स्टेबल कुमार को ज़मानत का दुरुपयोग न करने और मामले की सुनवाई को प्रभावित नहीं करने के निर्देश दिए हैं.
कॉन्स्टेबल कुमार ने मामले में निर्दोष होने की याचिका डालते हुए कहा था कि पुलिस की चार्जशीट में हत्या के आरोपी के रूप में उनका नाम नहीं थी. संदीप कुमार को 22 मार्च को जेल भेजा गया था.
गौरतलब है कि 28 सितंबर 2018 को एप्पल के 39 वर्षीय कार्यकारी अधिकारी को लखनऊ में उस समय गोली मारी गई थी, जब वह अपनी एसयूवी मे सवार थे और उसने चेकिंग के दौरान अपनी एसयूवी कार रोकने से पर इनकार कर दिया था.
यह घटना 29 सितंबर 2018 की रात तकरीबन डेढ़ से दो बजे के बीच की है. विवेक तिवारी अपनी एक महिला सहकर्मी सना ख़ान के साथ एसयूवी से जा रहे थे.
सना खान ने गोमती नगर थाने में दर्ज एफआईआर में कहा था कि दो पुलिसकर्मी मोटरसाइकिल पर आए. हमने उनसे बचने की कोशिश की लेकिन उन्होंने हमें रोक लिया. अचानक, मैंने गोली चलने की आवाज सुनी, कार चलती रही और अंडरपास के पिलर से जा टकराई. विवेक के सिर से खून बह रहा था. मैं मदद के लिए चिल्लाई और जल्द ही पुलिस की एक टीम आई और विवेक को अस्पताल ले गई. बाद में मुझे बताया गया कि उसकी मौत हो गई है.
लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने पुष्टि करते हुए कहा था कि तिवारी की मौत गोली लगने से हुई थी, गोली लगने से कार का विंडशील्ड टूटा हुआ था और ड्राइवर की सीट खून से सनी हुई थी.
इस मामले में कॉन्स्टेबल संदीप कुमार और प्रशांत चौधरी को गिरफ्तार किया गया था और दोनों को पद से बर्खास्त कर दिया गया था.
दिसंबर 2018 में उत्तर प्रदेश पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी ने बिना किसी उकसावे के विवेक तिवारी पर गोली चलायी थी, जिसके चलते उनकी मौत हुई थी.
चौधरी ने दावा किया था कि चेकिंग के दौरान तिवारी ने कार रोकने का इशारा करने के बावजूद कार नहीं रोकी और गाड़ी उसके पर चढ़ाने की कोशिश की इसकी वजह से उसने आत्मरक्षा में गोली चलाई, लेकिन एसआईटी ने इसे ग़लत पाया था.
एसआईटी रिपोर्ट में संदीप कुमार को हत्या में क्लीनचिट दी गई थी लेकिन उस पर तिवारी की महिला सहकर्मी को जख़्मी करने की धारा लगाई गई थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तिवारी की सहयोगी सना ख़ान को ‘स्वेच्छा से चोट पहुंचाने’ के लिए संदीप पर आईपीसी की धारा 323 के तहत मामला दर्ज़ किया गया था, जबकि चौधरी को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत आरोपी बनाया गया था.