आर्थिक संकट से जूझ रही निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज़ ने बुधवार रात अमृतसर से नई दिल्ली के बीच उड़ान सेवा पूरी कर परिचालन बंद किया. कंपनी पर 8,500 करोड़ रुपये से अधिक का क़र्ज़ है.
नई दिल्ली: आर्थिक संकट से जूझ रही निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी जेट एयरवेज़ ने अपनी विमान सेवा अस्थायी तौर पर रोक दी. बैंकों के समूह द्वारा 400 करोड़ रुपये की त्वरित आपात आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने से इनकार करने के बाद एयरलाइन ने बीते बुधवार को यह घोषणा की.
एयरलाइन ने बैंकों से आपात कोष मांगा था, लेकिन वित्तीय मदद नहीं मिलने के बाद उसके समक्ष परिचालन बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.
जेट एयरवेज़ ने बुधवार शाम जारी बयान में कहा, ‘ऋणदाता बैंकों की तरफ़ से आपात ऋण सहायता मुहैया नहीं कराने की वजह से हम परिचालन को जारी रखने के लिए ईंधन और दूसरी ज़रूरी सेवाओं के लिए भुगतान नहीं कर पाएंगे. इसलिए तुरंत प्रभाव से हम अपनी सभी अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों को अस्थायी रूप से निरस्त करने पर मजबूर हैं. आज हमारी आख़िरी उड़ान सेवा का परिचालन होगा.’
With deep sadness and a heavy heart we would like to share that, effective immediately, we will be suspending all our domestic and international flight operations.
More: https://t.co/SaQ2iwIBRJ— Jet Airways (@jetairways) April 17, 2019
लगभग ढाई दशक तक लोगों को विमान सेवाएं देने वाला जेट एयरवेज़ ने बुधवार की मध्य रात्रि को अमृतसर से नई दिल्ली की विमान सेवा पूरी कर परिचालन पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी.
जेट एयरवेज़ का परिचालन बंद करने के फैसले से जहां यात्रियों, एयरलाइन के आपूर्तिकर्ताओं के करोड़ों रुपये फंस गए हैं, वहीं उसके 20 हजार से अधिक कर्मचारियों के समस्या रोज़गार का संकट खड़ा हो गया है.
बेरोज़गार होने वाले इसमें सैकड़ों पायलट और इंजीनियर भी शामिल हैं, जिन्हें कई महीनों से उनकी तनख्वाह भी नहीं मिल रही थी. तक़रीबन तीन से चार महीनों का वेतन नहीं मिलने की वजह से कंपनी के पायलट समेत दूसरे कर्मचारी कई बार प्रदर्शन कर चुके थे.
जेट एयरवेज़ पर बैंकों का 8,500 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है जिसके चलते वह क़र्ज़ में फंसती चली गई. जेट एयरवेज़ को कम से कम पांच से छह हज़ार करोड़ रुपये की ज़रूरत थी ताकि वह सामान्य तौर पर विमानों का परिचालन कर सके.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जेट एयरवेज़ ने क़र्ज़दाताओं से 983 करोड़ रुपये का इमरजेंसी फंड जारी करने की मांग की थी.
नरेश गोयल द्वारा शुरू किए गए जेट एयरवेज़ ने ढाई दशक तक यात्रियों को विमान सेवाएं उपलब्ध कराईं, लेकिन 2010 के बाद इसका क़र्ज़ संकट गहराने लगा. इस दौरान कंपनी को लगातार चार तिमाहियों में घाटा उठाना पड़ा. इसके बाद वह क़र्ज़ के भुगतान में असफल होने लगी. पिछले साल दिसंबर में 123 विमानों के साथ परिचालन करने वाली कंपनी ने बीते 16 अप्रैल को केवल पांच विमानों के साथ परिचालन किया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जेट एयरवेज़ भारत की सबसे बड़ी विमानन कंपनियों में से एक थी. 5 अप्रैल 1993 को कंपनी ने मुंबई और अहमदाबाद के बीच पहली बार अपनी विमान सेवा शुरू की थी.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने जब विमानन उद्योग को निजी कंपनियों को लिए खोला तो जेट एयरवेज़ के संस्थापक नरेश गोयल पहले व्यक्ति जिसे यह मौका मिला.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने जेट की परिचालन बंद करने की घोषणा के कुछ देर बाद जारी ट्वीट में कहा कि वह जेट के समाधान प्रक्रिया का मौजूदा नियमों के दायरे में रहते हुए समर्थन करेगा.
Jet Airways has informed MoCA that it is temporarily ceasing operations. The bank-led resolution process is still underway and expected to end by May 10. During this time, MoCA will support the resolution process within the existing legal and regulatory framework. (1/5)
— MoCA_GoI (@MoCA_GoI) April 17, 2019
विमान कंपनी ने कहा कि वह ऋणदाताओं की ओर से बोलियों को अंतिम रूप दिए जाने की प्रक्रिया का इंतज़ार करेगी. इस महीने की शुरुआत में ऋणदाता बैंकों के समूह की ओर से एसबीआई कैप ने जेट एयरवेज़ की 32.1 से लेकर 75 प्रतिशत तक हिस्सेदारी की बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित की थी. बोलियां 8 अप्रैल से 12 अप्रैल तक आमंत्रित की गईं.
बैंकों ने मंगलवार को चार बोलीदाताओं की पहचान की. इनमें एतिहाद एयरवेज़, राष्ट्रीय निवेश कोष एनआईआईएफ, निजी क्षेत्र के टीपीजी और एक अन्य कोष इंडिगो पार्टनर की पात्र बोलीदाता के तौर पर पहचान की है. इनके पास अंतिम वित्तीय बोली सौंपने के लिए 10 मई तक का समय है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तीन महीने पहले जेट एयरवेज़ अपने क़र्ज़ का भुगतान करने में असफल होने लगी. कंपनी ने फंड के लिए निवेशकों की खोज की लेकिन इसमें सफल नहीं हो सकी.
जेट एयरवेज़ में 24 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाली एतिहाद एयरवेज़ ने भी कंपनी को फंड देने से मना कर दिया था. बीते 25 मार्च को संस्थापक नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनीता गोयल ने कंपनी के बोर्ड से इस्तीफ़ा दे दिया था.
रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने ख़ुद को आर्थिक संकट से बचाने के लिए 1500 करोड़ रुपये के क़र्ज़ की मांग की थी, लेकिन क़र्ज़ देने वाले बैंकों का समूह इतनी बड़ी राशि जारी करने का इच्छुक नहीं था.
एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया, ‘किंगफिशर एयरलाइन मामले में बैंकर बड़ा जोखिम उठा चुके थे. बैंकर जेट एयरवेज़ क़र्ज़ मामले में इसे दोहराना नहीं चाहते थे. किंगफिशर एजरलाइन को जिन बैंक अधिकारियों ने क़र्ज़ जारी किया था, उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज कराया गया है.’
ऋणदाताओं को बोली प्रक्रिया के सफल रहने की उम्मीद
इस बीच जेट एयरवेज़ के ऋणदाताओं ने हिस्सेदारी की बिक्री के लिए बोली प्रक्रिया के सफलतापूर्वक पूरी होने की बृहस्पतिवार को उम्मीद ज़ाहिर की.
नकदी संकट से जूझ रहे एयरलाइन के अपनी सेवाओं को निलंबित करने के बाद कर्ज देने वालों ने ये आशा प्रकट की है.
ऋणदाताओं ने अपने बयान में कहा, ‘काफी विचार-विमर्श के बाद ऋणदाताओं ने तय किया कि जेट एयरवेज़ के अस्तित्व को बचाने का सबसे अच्छा तरीका संभावित निवेशकों से पक्की बोलियां प्राप्त करना है, जिन्होंने ईओआई (रुचि पत्र) जमा कराया है और जिन्हें 16 अप्रैल को बोली दस्तावेज़ जारी किए थे.’
भारतीय स्टेट बैंक (सीबीआई) के नेतृत्व में 26 ऋणदाताओं के एक संघ ने संभावित निवेशकों से बोलियां मंगाई हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बोली की प्रकिया 10 मई 2019 को पूरी होगी.
डीजीसीए ने जेट एयरवेज़ से विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना मांगी
नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने जेट एयरवेज़ को ठोस और विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना पेश करने को कहा है. हालांकि, डीजीसीए ने नियामकीय दायरे में रहते हुए एयरलाइन की मदद का भी भरोसा दिलाया है.
डीजीसीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि नियामक संबद्ध नियमनों के तहत प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए कदम उठाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)