सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता की मौत की जांच कर रहे आयोग की कार्यवाही पर लगाई रोक

अन्नाद्रमुक के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने पांच दिसंबर 2016 को अपोलो अस्पताल में जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग गठित किया था. आयोग की जांच के ख़िलाफ़ अपोलो अस्पताल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

अन्नाद्रमुक के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने पांच दिसंबर 2016 को अपोलो अस्पताल में जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग गठित किया था. आयोग की जांच के ख़िलाफ़ अपोलो अस्पताल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

Jayalalithaa PTI

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता की चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में साल 2016 में हुई मृत्यु के कारणों की जांच कर रहे आयोग की कार्यवाही पर शुक्रवार को रोक लगा दी.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता की मृत्यु के कारणों का पता लगाने के लिए चल रही जांच पर आपत्ति ठुकराने के मद्रास उच्च न्यायालय के चार अप्रैल के आदेश के ख़िलाफ़ अपोलो अस्तपाल की अपील पर सुनवाई कर रही थी.

पीठ ने अपने आदेश में तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी करने के साथ ही जांच आयोग की कार्यवाही पर रोक लगा दी.

अन्नाद्रमुक के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने पांच दिसंबर 2016 को अपोलो अस्पताल में जयललिता की मृत्यु की परिस्थितियों की जांच के लिए जस्टिस (सेवानिवृत्त) अरुमुगास्वामी की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग गठित किया था.

जयललिता की मौत पर तमाम लोगों की ओर से संदेह जताए जाने के बाद तमिलनाडु सरकार ने इस जांच आयोग का गठन किया था.

आयोग को यह शक्ति दी गई थी कि वह साल 2016 में 75 दिनों तक जयललिता के अपोलो अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उन्हें दिए गए इलाज की उपयुक्तता, प्रभाव या उसकी कमी की जांच करे.

मद्रास हाईकोर्ट ने आयोग की जांच प्रकिया पर रोक लगाने से मना करते हुए अपोलो अस्पताल की ओर से राज्य सरकार के आदेश को अमान्य घोषित करने के लिए दाख़िल याचिका को ख़ारिज कर दिया था.

हाईकोर्ट ने अस्पताल के उस अनुरोध को भी ठुकरा दिया था, जिसमें उसने आयोग का सहयोग करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड बनाने को कहा था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)