पुुदुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी और मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी के बीच अधिकारों को लेकर लंबे समय से टकराव चल रहा है. इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी और कहा गया था कि सरकार के दैनिक कामकाज में उपराज्यपाल का दख़ल केंद्र शासित प्रदेश प्रतिनिधित्व अधिकार के ख़िलाफ़ है.
मद्रास : पिछले कई महीनों से उपराज्यपाल किरण बेदी और पुदुचेरी सरकार के साथ जारी गतिरोध के बीच अब मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है. मंगलवार को एक याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि पुदुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी के पास केंद्र शासित प्रदेश की दैनिक गतिविधियों में दखल देने का अधिकार नहीं है.
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, कांग्रेस विधायक के. लक्ष्मीनारायणन की याचिका की सुनवाई करते हुए, मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने फैसला दिया कि निर्वाचित सरकार के पास सेवा मामलों पर अधिकार है. साथ ही कोर्ट ने उपराज्यपाल की शक्तियों पर 2017 में केंद्र द्वारा दिए गए दो स्पष्टीकरण आदेशों को रद्द कर दिया.
लक्ष्मीनारायण ने सरकार की दैनिक गतिविधियों में उपराज्यपाल के हस्तक्षेप को लेकर 2017 में याचिका दायर की थी.
लक्ष्मीनारायण ने उस वक्त अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जब किरण बेदी और पुदुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी की सरकार के बीच निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश में कथित घोटाले में हस्तक्षेप के बाद विवाद बढ़ गया था.
कांग्रेस नेता के वकील गांधीराजन ने कहा, ‘अदालत ने कहा है कि वित्त, प्रशासन और सेवा मामलों में, वह (किरण बेदी) स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर सकती हैं, लेकिन मंत्रिपरिषद की सलाह पर परामर्श और कार्य कर सकती है.’
अदालत ने उपराज्यपाल को केंद्र द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण आदेशों को खारिज कर दिया है.
केंद्र सरकार ने किरण बेदी द्वारा मांगी गई स्पष्टीकरण के जवाब में अपने दो आदेशों में कहा था कि उपराज्यपाल के पास स्वतंत्र रूप से कार्य करने की शक्तियां हैं और मंत्रियों की परिषद द्वारा बाध्य नहीं है.
केंद्र ने कहा था कि सरकार के सामान्य कामकाज में उन मामलों पर भी उपराज्यपाल को सरकार से दस्तावेज तलब करने का अधिकार है जिन कामों की जिम्मेदारी सीधे तौर पर मंत्रियों की है.
किरण बेदी ने कहा कि वह फैसले से को पढ़ने के बाद ही अपना रुख स्पष्ट करेंगी. उन्होंने कहा कि हम अभी चुनाव अवधि के आदर्श आचार संहिता के दायरे में हैं. जिन फाइलों में उपराज्यपाल की मंजूरी की आवश्यकता होती है, जैसे कि सेवा मामलों, पदोन्नति, नियुक्तियों, अनुशासनात्मक मामलों और सहायता में अनुदान के लिए वित्तीय प्रतिबंध, उसे प्रत्येक केस के मेरिट के आधार पर प्राप्त किया जा रहा है और उन्हें मंजूरी दी जा रही है.
Madras High Court says, "Puducherry Lt Governor Kiran Bedi does not have the power to interfere with the day to day activities of the Union Territory" pic.twitter.com/MSmmpfZEsE
— ANI (@ANI) April 30, 2019
गौरतलब है कि पुदुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने फरवरी महीने में उपराज्यपाल किरण बेदी पर राज्य के कार्यों में गतिरोध पैदा करने का आरोप लगाया था. इसके बाद वह विरोध-प्रदर्शन करते हुए राजभवन के सामने धरने पर बैठे थे. उनके साथ इस विरोध प्रदर्शन में उनकी सरकार के सभी पांचों मंत्री, कांग्रेस और द्रमुक के विधायक भी शामिल थे.
उस दौरान उन्होंने बेदी पर चुनी हुई सरकार की अनेक कल्याणकारी कार्यक्रमों को रोकने का आरोप लगाया था. इन कार्यक्रमों में राशनकार्ड धारकों को मुफ्त चावल और पोंगल बोनस दिया जाना और कॉरपोरेशन, सोसायटी और सरकार द्वारा वित्त पोषित निजी स्कूलों के लिए योजनाएंं लागू किया जाना शामिल था.
मुख्यमंत्री ने ये भी आरोप लगाया था कि उन्होंने 36-चार्टर मांगों को पूरा करने की मांग की थी, लेकिन उन्हें किरण बेदी से कोई जवाब नहीं मिला. इसलिए धरना देने का फैसला लिया.