बीते फरवरी माह में हुए पुलवामा हमले के बाद भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग की थी, लेकिन तब चीन ने इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं दी थी.
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन ‘जैश-ए-मोहम्मद’ के सरगना मसूद अज़हर को बुधवार को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया.
भारत के लिए इसे एक बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है.
सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के तहत उसे ‘काली सूची’ में डालने के एक प्रस्ताव पर चीन द्वारा अपनी रोक हटा लेने के बाद यह घटनाक्रम हुआ.
जम्मू कश्मीर के पुलवामा ज़िले में बीते 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले की ज़िम्मेदारी मसूद अज़हर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी. उस समय भारत ने मसूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग की थी लेकिन चीन इस बात पर राज़ी नहीं हुआ था.
बता दें कि हाल ही में हुए पुलवामा हमले के अलावा जनवरी 2016 में जैश के आतंकियों ने पंजाब के पठानकोट एयरबेस और इसी साल सितंबर में उरी में सेना के हेडक्वॉर्टर पर हमला किया था. इसके अलावा मसूद अज़हर 2001 में संसद पर हुए हमले का भी दोषी है.
1999 में कंधार विमान अपहरण के बाद मसूद को भारत ने छोड़ा था. फरवरी 1994 में उसे जम्मू कश्मीर के अनंतनाग से गिरफ़्तार किया गया था.
मसूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के संबंध में भारत के राजदूत एवं संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने ट्वीट किया, ‘बड़े, छोटे, सभी एकजुट हुए. मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची में आतंकवादी घोषित किया गया है. समर्थन करने के लिए सभी का आभार.’
Big,small, all join together.
Masood Azhar designated as a terrorist in @UN Sanctions list
Grateful to all for their support. 🙏🏽#Zerotolerance4Terrorism
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) May 1, 2019
यह पूछे जाने पर कि क्या चीन ने अपनी रोक हटा ली है, अकबरूद्दीन ने कहा, ‘हां, हटा ली गई है.’
चीन ने उस प्रस्ताव पर से अपनी रोक हटा ली है, जिसे फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अलकायदा प्रतिबंध समिति में फरवरी में लाया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मजूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पिछले 10 साल से लंबित था. इससे पहले चीन ने साल 2009, 2016 और 2017 में इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं दी थी. चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है.
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बलों पर 14 फरवरी को पाक के आतंकी संगठन जैश के आतंकी हमला करने के कुछ ही दिनों बाद यह प्रस्ताव लाया गया था. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे.
मालूम हो कि किसी भी व्यक्ति को वैश्विक आतंकी घोषित करने का फैसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद करती है. किसी को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए सभी स्थायी सदस्यों की सहमति ज़रूरी होती है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस स्थायी सदस्य हैं. इसके अलावा 10 अस्थाई सदस्य परिषद में शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)