ठाकुर बनाम दलित के झगड़े में जमकर उपद्रव हुआ. 15 दिन के भीतर जुलूस को लेकर उपद्रव की यह दूसरी घटना है.
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जुलूस और शोभायात्राओं को लेकर 15 दिन के भीतर दूसरी बार उपद्रव हुआ. ताज़ा मामले में 5 मई, शुक्रवार को महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा को लेकर दो पक्ष आपस में भिड़ गए. मारपीट और दंगे के दौरान ठाकुरों ने दलितों के साथ जमकर मारपीट की और क़रीब दो दर्जन घरों में आग लगा दी. इस उपद्रव में एक व्यक्ति की मौत हो गई और 15 से ज़्यादा लोग घायल हैं. पुलिस ने अब तक 17 लोगों को गिरफ्तार किया है.
इसके पहले, 20 अप्रैल को सहारनपुर सड़क दूधली गांव में आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में निकली शोभायात्रा के दौरान भी दो गुटों में जमकर पत्थरबाज़ी, आगज़नी, फायरिंग व लूटपाट हुई थी. इस मामले में स्थानीय सांसद राघव लखनपाल शर्मा समेत करीब 400 लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किय गया था. यह शोभायात्रा प्रशासन की इजाज़त के बिना निकाली गई थी.
शुक्रवार को सहारनपुर ज़िले के शिमलाना गांव के ठाकुरों ने महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर जुलूस निकला था. जुलूस शब्बीरपुर की दलित बस्ती में पहुंचा तो दलितों ने डीजे बजाने पर ऐतराज किया, जिसे लेकर दोनों पक्षों में विवाद हो गया. इसके बाद जमकर मारपीट और उपद्रव हुआ. देखते ही देखते पूरे गांव में आगजनी शुरू हो गई. दलितों के दो दर्जन घरों को आग के हवाले कर दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ‘एक 35 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि 16 लोग गंभीर रूप से घायल हैं. कम से कम 25 घरों में आग लगा दी गई. ठाकुर और दलित समुदाय के लोगों के बीच यह झगड़ा महाराणा प्रताप की शोभायात्रा को लेकर हुआ. अधिकारियों का कहना है कि विवाद तीन महीने पुराना है जब गांव में आंबेडकर की मूर्ति स्थापना की जानी थी. जितने घर जलाए गए हैं वे सभी दलितों के हैं.’
अमर उजाला के मुताबिक, ‘बताया गया है कि यह बवाल आंबेडकर की मूर्ति तोड़ने को लेकर हुआ है.’
पुलिस का कहना है, ‘घायलों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पर रसूलपुर गांव के सुमित राजपूत की मौत हो गई.’
सहारनपुर रेंज के डीआई जितेंद्र कुमार साही के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है, ‘सुमित सिमलाना गांव में महाराणा प्रताप के माल्यार्पण कार्यक्रम में भाग लेने गया था. उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि शरीर पर कोई चोट का निशान नहीं है. उसकी मौत घुटन से हुई है.’
ठाकुरों की तरफ से दलितों के ख़िलाफ़ चार अलग अलग एफआईआर दर्ज कराई गई है. हालांकि, अभी तक कोई पकड़ा नहीं गया है.
इंडियन एक्सप्रेस का कहना है, ‘पुलिस पर भी हमला किया गया. क़रीब दो हज़ार ठाकुरों ने शब्बीरपुर के 25 घर जला दिए. शब्बीरपुर की तरफ़ जा रही पुलिस को रास्ते में ही ठाकुरों ने रोड जाम करके रोक दिया. पुलिस और फायर ब्रिगेड को शब्बीरपुर पहुंचने में दो घंटे लग गए.’
अमर उजाला की ख़बर के मुताबिक, ‘सूचना मिलने पर पुलिस मौक़े पर पहुंची और मामले को शांत कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस के सामने ही हंगामा जारी रहा. दूसरे समुदाय के लोगों ने दलितों के घर में लगा दी. इससे दलितों में आक्रोश बढ़ गया और उन्होंने पथराव और लाठी-डंडों से हमला बोल दिया. फिलहाल पूरे इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है.’
अख़बार ने पुलिस पर सवाल उठाते हुए लिखा है, ‘सब्बीरपुर में शोभायात्रा के दौरान हुए उपद्रव ने एक बार फिर पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है. उपद्रवियों ने अफसरों के सामने फायरिंग और आगजनी की. पुलिस एक बार फिर तमाशबीन बनकर खड़ी रही. इन बवालों के पीछे पुलिस सीधे तौर पर ज़िम्मेदार है क्योंकि उपद्रवियों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से गांव से लेकर शहर तक के अवांछनीय तत्व और बवाली ब़ेखौफ़ होते जा रहे हैं.
एबीपी न्यूज़ के मुताबिक, ‘स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस के सामने ही हिंसा और आगजनी होती रही. गांव में फिलहाल तनाव बना हुआ है और पूरे गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है. पुलिस के आला अधिकारी हालात पर खुद नज़र बनाए हुए हैं. फिलहाल शांति बनी हुई है.’
पुलिस ने 17 लोगों को गिरफ्तार किया
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, इस मामले में अभी तक छह मुकदमे दर्ज हुए हैं और पुलिस ने 17 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. मृतक सुमित के पिता ब्रहमसिंह की तहरीर पर ग्राम प्रधान सहित सात लोगों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने इस तहरीर के आधार पर ग्राम प्रधान शिवकुमार सहित सात लोगों के ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज की है.
एसएसपी सुभाष चंद दुबे ने बताया कि उपद्रवियों की पहचान की जा रही है और जल्दी ही उन्हें भी गिरफ़्तार किया जाएगा. फिलहाल पूरे गांव मे पुलिस पीएसी तैनात है. किसी राजनैतिक दल से जुडे व्यक्ति को प्रशासन गांव में प्रवेश नही करने दे रहा.