चुनाव आयोग अब तक प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ आचार संहिता के उल्लंघन की पांच अन्य शिकायतों को गलत बताते हुए उन्हें क्लीनचिट दे चुका है.
नई दिल्लीः चुनाव आयोग (ईसी) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात के पाटन में चुनाव प्रचार के समय नियमों का उल्लंघन करने वाला बयान देने मामले में क्लीनचिट देते हुए इस बारे में की गई शिकायत खारिज कर दी.
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, ईसी ने शनिवार को गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) की रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस द्वारा की गई शिकायत को गलत करार दिया.
आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मोदी द्वारा 21 अप्रैल को पाटन में चुनाव प्रचार के दौरान सेना का जिक्र करने वाला बयान देकर चुनाव आयोग के परामर्श और चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने की शिकायत की गई थी.
इस मामले में गुजरात के सीईओ से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई थी. सीईओ की रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने इस मामले में चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन से जुडे़ विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जांच के आधार पर शिकायत को सही नहीं पाया.
सूत्रों के अनुसार, सीईओ की रिपोर्ट में मोदी के भाषण से चुनाव आचार संहिता अथवा आयोग के दिशानिर्देशों और परामर्श का उल्लंघन होने की पुष्टि नहीं हुई है.
गौरतलब है कि इससे पहले मोदी के ख़िलाफ़ आचार संहिता के उल्लंघन की पांच अन्य शिकायतों को भी गलत बताते हुए आयोग उन्हें क्लीनचिट दे चुका है. इनमें लातूर और वर्धा में मोदी के भाषणों में सेना के शौर्य का जिक्र चुनावी लाभ के लिए करने की शिकायत की गयी थी.
चुनाव आयोग ने सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी को वर्धा में दिये उनके उस भाषण के लिए क्लीनचिट दी थी, जिसमें उन्होंने वायनाड सीट से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की आलोचना की थी और संकेत दिया था कि केरल के इस संसदीय क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं की संख्या अधिक है.
चुनाव आयोग ने वर्धा के बाद महाराष्ट्र के लातूर में दिए बयान पर भी प्रधानमंत्री मोदी को क्लीनचिट दी थी.
इसके बाद चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री मोदी को आचार संहिता उल्लंघन को लेकर तीसरे मामले में भी क्लीनचिट दी थी. मोदी के ख़िलाफ़ राजस्थान के बाड़मेर में चुनावी भाषण के दौरान आचार संहिता उल्लंघन की शिकायत की गई थी. मोदी ने अपनी चुनावी सभा में सशस्त्र बलों का आह्वान करते हुए कहा था कि भारत के परमाणु हथियार दिवाली के लिए इस्तेमाल किए जाने के लिए नहीं रखे गए हैं.
हालांकि एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि आचार संहिता के उल्लंघन मामलों में प्रधानमंत्री मोदी को चुनाव आयोग से क्लीनचिट मिलने का फैसला सर्वसम्मति से नहीं लिया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी को वर्धा और लातूर में उनके भाषणों को लेकर क्लीनचिट दी गई लेकिन इन मामलों में एक चुनाव आयुक्त ने मोदी का क्लीनचिट दिए जाने का विरोध किया था.
इन दोनों मामलों में फैसला 2-1 के बहुमत से लिया गया. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के अलावा दो अन्य चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा ने इस संबंध में वोटिंग की थी. इनमें से एक आयुक्त की राय प्रधानमंत्री के पक्ष में नहीं थी.