पिछले साल जून में विस्थापन एवं मानव तस्करी के विरुद्ध जागरूकता फैलाने के अभियान के तहत पांच महिलाएं खूंटी ज़िले के कोचांग गांव गई थीं. उनका आरसी मिशन स्कूल से कथित तौर पर अपहरण कर सामूहिक बलात्कार किया गया था. मामले में 15 मई को सज़ा सुनाई जाएगी.
नई दिल्ली: पिछले साल पांच आदिवासी महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में झारखंड की एक स्थानीय अदालत ने मंगलवार को एक मिशनरी स्कूल के प्रमुख और पांच अन्य लोगों को दोषी ठहराया है.
लोक अभियोजक सुशील कुमार जायसवाल ने बताया कि अतिरिक्त जिला न्यायाधीश राजेश कुमार ने उन छह व्यक्तियों को दोषी पाया और 15 मई को इस मामले में उन्हें सजा सुनाएंगे.
Jharkhand: Six convicted by court in the case where five girls of an NGO were raped in Kochang, Khunti last year. Sushil Jaiswal, Public Prosecutor says, "Father Alfonso Aind & 5 others have been convicted. Alfonso Aind was identified as the conspirator in the case." (7.5.19) pic.twitter.com/6dCnjiKOjm
— ANI (@ANI) May 7, 2019
उन्होंने बताया कि अदालत द्वारा दोषी ठहराये जाने के तुरंत बाद फादर अल्फोंसो आइंद को हिरासत में ले लिया गया, जो 14 मार्च से जमानत पर थे.
आइंद को पिछले साल 19 जून को हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद गिरफ्तार किया गया था.
पिछले साल 19 जून को विस्थापन एवं मानव तस्करी के विरुद्ध जागरूकता फैलाने के अभियान के तहत पांच महिलाएं खूंटी ज़िले के कोचांग गांव गई थीं. उनका आरसी मिशन स्कूल से कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया और बाद में बंदूक का भय दिखाकर उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया.
फादर पर आरोप था कि उन्होंने घटना की जानकारी पुलिस को नहीं दी जबकि उनके स्कूल परिसर से ही महिलाओं और युवतियों का हथियार के बल पर अगवा कर ले जाया गया था.
इस संबंध में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, पीड़िताओं को रोंगटे खड़े कर देने वाले खौफनाक हालात से गुजरना पड़ा था. नुक्कड़ नाटक में शामिल पुरुष सदस्यों को पेशाब पीने तक के लिए मजबूर किया गया था, जबकि युवतियों से बेहद ही अमानवीय सलूक किया गया था. उनकी तस्वीरें उतारी जाती रही तथा वीडियो भी बनाया गया था.
प्राथमिकी के अनुसार, पीड़िताओं ने दावा किया था कि स्कूल के फादर ने अपराधियों के साथ षड्यंत्र रचकर इस खौफनाक घटना को अंजाम दिलाया. झारखंड पुलिस ने घटना के पीछे पत्थलगड़ी समर्थकों का हाथ होने की बात कही थी, हालांकि आदिवासियों ने पुलिस के इस आरोप को खारिज कर दिया था.
पुलिस के मुताबिक खूंटी में कार्यरत एक स्वयंसेवी संस्था आशा किरण की टीम 19 जून को खूंटी ज़िले के अड़की थाना क्षेत्र के कोचांग गांव गई थी.
गौरतलब है कि आशा किरण संस्था में मानव तस्करी से बचाई या छुड़ाई गईं लड़कियों के अलावा पलायन से मजबूर लड़कियों को आश्रय दिया जाता है. इस संस्था की कई युवतियां इन विषयों पर गांवों में जागरूकता के लिहाज़ से कार्यक्रम करती रहती हैं.
इस टीम में 11 लोग थे. यह कोचांग गांव खूंटी ज़िला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर है. कोचांग में इस टीम ने नुक्कड़ नाटक किया. इसके बाद सभी लोग स्थानीय मिशन स्कूल चले गए.
पुलिस ने बताया कि इस दौरान कुछ असामाजिक तत्व मोटरसाइकिल से स्कूल परिसर पहुंचे और बंदूक की नोंक पर पांच आदिवासी युवतियों का अगवा कर अपने साथ जंगल में ले गए और वहीं पर अपराध का अंजाम दिया.
राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपनी तीन सदस्यीय दल को खूंटी भेजकर मामले की जांच कराई थी. दल ने स्कूल के प्रबंधक फादर अल्फांसो आइंद के आचरण पर गंभीर संदेह व्यक्त किया था. प्रबंधक नुक्कड़ नाटक दल की इन पांच सदस्यों के अपहरण की अधिकारियों को जानकारी देने में कथित तौर पर विफल रहे.
आयोग ने कहा था, ‘उन्होंने (प्रबंधक ने) पीड़िताओं से कहा था कि वह तथ्यों का किसी के समक्ष खुलासा न करें. लिहाज़ा यह विचार किया गया कि उसने कानूनी आवश्यकताओं के ठीक विपरीत काम किया तथा अपराध को अंजाम देने में संभवत: आरोपियों के साथ सांठगांठ की.’
आयोग की ओर गए दल ने उन सिस्टरों एवं ननों से भी बातचीत की जो कोचांग क्षेत्र में पीड़िताओं के साथ थीं.
जांच ने राज्य प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों की भी समीक्षा की थी. बातचीत के आधार पर दल ने घटना में फादर अल्फांसो आइंड की भूमिका पर सवाल उठाया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)