बीते दिनों मद्रास हाईकोर्ट ने यह व्यवस्था दी थी कि पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी केंद्र शासित प्रदेश की निर्वाचित सरकार के रोज़मर्रा के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं.
नई दिल्ली: केंद्र ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस निर्णय के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है जिसमें उसने व्यवस्था दी कि पुदुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी केंद्र शासित प्रदेश की निर्वाचित सरकार के रोजमर्रा के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ के समक्ष सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र की याचिका का उल्लेख करते हुए इस पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया. मेहता ने कहा, ‘वहां (पुदुचेरी में) अब शासन ठप है.’
पीठ ने केंद्र का अनुरोध ठुकराते हुए कहा कि उसने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि अपने मामलों को शीघ्र सूचीबद्ध कराने का अनुरोध करने वाले अधिवक्ता आवश्यक मेमो रजिस्ट्रार को दे सकते हैं.
मद्रास उच्च न्यायालय ने 30 अप्रैल को कांग्रेस के विधायक के. लक्ष्मीनारायणन की याचिका पर केंद्र शासित प्रदेश की प्रशासक के अधिकार बढ़ाने संबंधी केंद्रीय गृह मंत्रालय के जनवरी और जून 2017 के दो संदेशों को निरस्त कर दिया था.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच अधिकारों को लेकर हुई खींचतान पर उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था का ज़िक्र करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि दिल्ली की सरकार पर लगाई गईं पाबंदियां पुदुचेरी सरकार पर लागू नहीं होती हैं.
उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘प्रशासक सरकार के रोज़मर्रा के कामों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. मंत्रिपरिषद और मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए निर्णय सचिवालय और अन्य अधिकारियों पर बाध्यकारी हैं.
कांग्रेस विधायक लक्ष्मीनारायण ने सरकार की दैनिक गतिविधियों में उपराज्यपाल के हस्तक्षेप को लेकर 2017 में याचिका दायर की थी.
लक्ष्मीनारायण ने उस वक्त अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जब किरण बेदी और पुदुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी की सरकार के बीच निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश में कथित घोटाले में हस्तक्षेप के बाद विवाद बढ़ गया था.
गौरतलब है कि पुदुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने फरवरी महीने में उपराज्यपाल किरण बेदी पर राज्य के कार्यों में गतिरोध पैदा करने का आरोप लगाया था. इसके बाद वह विरोध-प्रदर्शन करते हुए राजभवन के सामने धरने पर बैठे थे. उनके साथ इस विरोध प्रदर्शन में उनकी सरकार के सभी पांचों मंत्री, कांग्रेस और द्रमुक के विधायक भी शामिल थे.
उस दौरान उन्होंने बेदी पर चुनी हुई सरकार की अनेक कल्याणकारी कार्यक्रमों को रोकने का आरोप लगाया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)