जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर की हत्या के दोषियों की उम्रक़ैद की सज़ा बरक़रार

दो बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे चंद्रशेखर की 31 मार्च 1997 को बिहार के सीवान शहर में एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान हत्या कर दी गई थी.

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पेंटिंग: शबनम गिल

दो बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे चंद्रशेखर की 31 मार्च 1997 को बिहार के सीवान शहर में एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान हत्या कर दी गई थी.

पेंटिंग: शबनम गिल
दिवंगत चंद्रशेखर की पेंटिंग. (पेंटर: शबनम गिल)

नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर हत्याकांड मामले में पटना हाईकोर्ट ने सभी चार दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी तथा अपील खारिज कर दी.

हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, दो बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रह चुके चंद्रशेखर की हत्या 31 मार्च 1997 को तब कर दी गई थी जब वह सीवान शहर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान सीपीआई (एमएल) के जिला कमेटी सदस्य श्याम नारायण यादव की भी हत्या कर दी गई थी. इस मामले में जांच सीबीआई ने की थी.

सीबीआई कोर्ट द्वारा चंद्रशेखर हत्याकांड मामले के जिन चार अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी उनके नाम ध्रुव कुमार जायसवाल, इलियास वारिस, शेख मुन्ना और रुस्तम खां हैं.

अदालत ने अपने 56 पेज के फैसले में सीबीआई कोर्ट के फैसले पर हस्तक्षेप से इनकार कर दिया. सीबीआई कोर्ट ने नौ नवम्बर, 2012 को सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाने के साथ ही जुर्माना लगाया था.

निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए दोषियों ने पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. जस्टिस आदित्य कुमार त्रिवेदी तथा जस्टिस विनोद कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई कर अपना फैसला सुरक्षित रखा था.

शुक्रवार को जस्टिस विनोद कुमार सिन्हा और जस्टिस आदित्य कुमार त्रिवेदी की खंडपीठ ने सभी आपराधिक अपील को खारिज करने का आदेश दिया.

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बता दें कि दो अप्रैल, 1997 को सीपीआई (एमएल) द्वारा बुलाए गए बिहार बंद को सफल बनाने के लिए 31 मार्च, 1997 को चंद्रशेखर सहित सीपीआई (एमएल) कार्यकर्ता दोपहर तीन बजे टेम्पो से प्रचार करते हुए सीवान के जेपी चौक के पास पहुंचे तो रिवॉल्वर लिए ध्रुव कुमार जायसवाल उर्फ ध्रुव साह, मुन्ना खान, रेयाजुद्दीन खान तथा स्टेनगन लिए मंटू खान ने उन्हें रोका और अंधाधुंध फायरिंग करने लगे.

फायरिंग में चंद्रशेखर की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि टेम्पो में मौजूद श्याम नारायण यादव और भृगुशन पटेल घायल हो गए.

घटना के बाद मृत चंद्रशेखर प्रसाद तथा घायल श्याम नारायण यादव को उसी टेम्पो से सदर अस्पताल लाया गया, वहीं भृगुशन पटेल घटना की जानकारी देने के लिए पार्टी ऑफिस चले गए थे.

इलाज के दौरान श्याम नारायण ने अभियुक्तों का नाम बताया था. बाद में श्याम नारायण की भी मौत हो गई.

जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष चंद्रशेखर की हत्या के बाद छात्रों के भारी दबाव पर राज्य सरकार ने 31 जुलाई, 1997 को मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई ने जांच के बाद 30 मई, 1998 को अपना आरोप-पत्र दायर किया.

ट्रायल के दौरान सीबीआई ने 20 गवाह तो बचाव पक्ष ने 10 गवाह पेश किए. सीबीआई कोर्ट के एडीजे चौधरी बीके राय ने इन चारों अभियुक्तों को नौ नवम्बर, 2012 को उम्रकैद की सजा सुनाई तथा जुर्माना लगाया.