मध्य प्रदेश के रतलाम-झाबुआ सीट से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार गुमानसिंह डामोर ने कहा कि मोहम्मद जिन्ना एक एडवोकेट और एक विद्वान व्यक्ति थे. अगर उस समय निर्णय लिया गया होता कि हमारा प्रधानमंत्री मोहम्मद अली जिन्ना बनेगा तो इस देश के टुकड़े नहीं होते.
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के छठे चरण के मतदान से एक दिन पहले मध्य प्रदेश के रतलाम-झाबुआ सीट से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार गुमानसिंह डामोर ने कहा कि अगर स्वतंत्रता के दौरान मोहम्मद अली जिन्ना को पहला प्रधानमंत्री बनाया जाता तो देश का बंटवारा नहीं होता.
आज तक के अनुसार, डामोर ने कहा, ‘आजादी के समय अगर जवाहरलाल नेहरू जिद नहीं करते तो देश के दो टुकड़े नहीं होते. मोहम्मद जिन्ना, एक एडवोकेट, एक विद्वान व्यक्ति थे और अगर उस समय निर्णय लिया गया होता कि हमारा प्रधानमंत्री मोहम्मद अली जिन्ना बनेगा तो इस देश के टुकड़े नहीं होते. इस देश के टुकड़े के लिए सिर्फ कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार है.’
#WATCH Gumansingh Damor, BJP candidate from Ratlam-Jhabua LS seat: Azadi ke samay agar Nehru zidd nahi karte, to is desh ke 2 tukde nahi hote. Mohd Jinnah, ek advocate, ek vidwan vyakti, agar us waqt decision liya hota ki hamara PM Md. Jinnah banega, to is desh ke tukde nahi hote pic.twitter.com/w9mRk9K9ju
— ANI (@ANI) May 11, 2019
रैली में डामोर ने कहा, ‘1942 में जब भारत छोड़ो आंदोलन हुआ तो देश में प्रधानमंत्री पद के दावेदारों की होड़ मच गई. कांग्रेस में कई लोग चाहते थे कि वे पीएम बनें. लेकिन आजादी के वक्त जवाहरलाल नेहरू ने जिद नहीं की होती तो भारत का विभाजन नहीं होता.’
डामोर ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी का काम सिर्फ अंग्रेजों का गुणगान करना था. उसका गठन अंग्रेजों की मदद के लिए किया गया था.
डामोर ने कहा, ‘अगर 1952 से पहले के कांग्रेस अधिवेशनों के नोट देखेंगे तो उनमें अंग्रेजों की तारीफ ही दिखाई देंगी.’ तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी की विभाजनकारी नीतियां अब भी चल रही हैं. कश्मीर समस्या कांग्रेस ने ही दी है.
बता दें कि डामोर मध्य प्रदेश के एकमात्र विधायक हैं, जिन्हें बीजेपी की ओर से टिकट मिला है.
इससे पहले नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर उठे विवाद पर बोलते हुए इस साल छह जनवरी को असम के वित्त मंत्री और पूर्वोत्तर के लिए भाजपा के मुख्य रणनीतिकार हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था कि अगर राज्य में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित नहीं किया जाता है, तो असम ‘जिन्ना’ के रास्ते चला जाएगा.
हिमंता बिस्वा शर्मा ने था, ‘लोग चिंतित हैं कि हम किसी (बाहरी व्यक्ति) को लाने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि गलत है. इस विधेयक के बिना, हम खुद को जिन्ना के बताए रास्तों के लिए आत्मसमर्पण कर रहे हैं. यह जिन्ना की विरासत और भारत की विरासत के बीच की लड़ाई है.’