याचिका दाखिल करने में अप्रत्याशित देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार पर जुर्माना लगाया, साथ ही सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि देरी के लिए सरकारी कामकाज में सुस्ती को बहाना नहीं बनाया जा सकता है.
नई दिल्ली: विशेष अवकाश याचिका दाखिल करने में अप्रत्याशित देरी करने पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. इसके साथ बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि देरी के लिए सरकारी कामकाज में सुस्ती को बहाना नहीं बनाया जा सकता है.
लाइव लॉ के अनुसार, पटना हाईकोर्ट के एकल पीठ के एक फैसले को चुनौती देते हुए बिहार सरकार ने 367 दिन बाद पटना हाईकोर्ट के दो जजों की पीठ में याचिका दाखिल की थी.
हालांकि, बिहार सरकार की तरफ से की गई 367 दिनों की देरी का कोई आधार नहीं पाते हुए पटना हाईकोर्ट की खंडपीठ ने याचिका खारिज कर दी थी.
इसके बाद पटना हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश के 728 दिनों बाद सुप्रीम कोर्ट के सामने एक विशेष अवकाश याचिका दाखिल की गई थी. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस देरी का कारण बताया कि उन्हें यह देरी संबंधित विभागों से हलफनामा और वकालतनामा प्राप्त करने में लगे समय के कारण हुई.
इस पर जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा, हमारा विचार है कि एक साफ संदेश सरकार के विभागों को भेजा जाना है कि वे अपने अधिकारियों की घोर अक्षमता के कारण और जब भी वे चाहें, अदालत में संपर्क नहीं कर सकते हैं और वह भी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई किए बिना.
पीठ ने आगे कहा, अदालत ने पाया कि इस विशेष अवकाश याचिका को दाखिल करने का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट से खारिज किए जाने का प्रमाणपत्र पाना है. यह पूरी तरह से न्यायिक समय की बर्बादी है और याचिकाकर्ता को निश्चित तौर पर इसकी कीमत चुकानी होगी.
इस विशेष अवकाश याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने बिहार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे कानूनी मामलों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करें. पीठ ने यह भी कहा कि जुर्माने की राशि इस देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से वसूली जाएगी.