दूसरी शादी से पैदा हुआ बच्चा अनुकंपा नियुक्ति का हक़दार: कर्नाटक उच्च न्यायालय

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बेंगलुरु विकास प्राधिकरण के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसके तहत एक व्यक्ति की अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति इसलिए ख़ारिज कर दी गई थी क्योंकि आवेदक मृतक कर्मचारी की दूसरी शादी से पैदा हुआ था.

कर्नाटक हाईकोर्ट. (फोटो: पीटीआई)

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बेंगलुरु विकास प्राधिकरण के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसके तहत एक व्यक्ति की अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति इसलिए ख़ारिज कर दी गई थी क्योंकि आवेदक मृतक कर्मचारी की दूसरी शादी से पैदा हुआ था.

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कर्नाटक उच्च न्यायालय. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बेंगलुरु विकास प्राधिकरण के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसके तहत एक व्यक्ति की अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति इसलिए खारिज कर दी गई थी क्योंकि आवेदक मृतक कर्मचारी के दूसरे विवाह से पैदा हुआ था.

प्राधिकरण का आदेश उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच के 2013 के एक फैसले पर आधारित था जिसमें कहा गया था कि सरकारी कर्मचारी या कर्मचारी की दूसरी शादी से पैदा हुआ बच्चा अनुकंपा के आधार पर नौकरी की मांग नहीं कर सकता है.

लाइव लॉ की खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के 2018 के एक फैसले को आधार बनाते हुए, हाईकोर्ट के एक जज की पीठ ने आदेश को खारिज कर दिया और नियुक्ति के लिए आवेदन पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि दूसरी शादी से पैदा हुआ बच्चा वैध है और उसके माता या पिता के निधन पर दी जाने वाली नौकरी (अनुकंपा नियुक्ति) से मना नहीं किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा था कि अगर कानून बच्चे को वैध मानता है, तो इसकी इजाज़त नहीं हो सकती कि ऐसे बच्चे को अनुकंपा के आधार पर नौकरी से वंचित किया जाए.

कोर्ट ने कहा, ‘बच्चे अपने माता-पिता नहीं चुनते हैं. अनुकंपा नियुक्ति से वंचित करना उनकी गरिमा के लिए गहरा अपमानजनक है और भेदभाव के खिलाफ संवैधानिक गारंटी के लिए अपमानजनक है.