चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि उनका यह आदेश सात दिन बाद से लागू होगा, तब तक पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार की गिरफ़्तारी नहीं होगी. इन सात दिन की अवधि में राजीव कुमार चाहे तो अपने लिए जमानत की अर्जी अदालत में दायर कर सकते हैं.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सारधा चिटफंड मामले में कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर लगी अंतरिम रोक शुक्रवार को हटा दी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उनका यह आदेश आज से सात दिन बाद लागू होगा, तब तक वह (राजीव कुमार) अपनी ओर से कानूनी कदम उठाने के लिए स्वतंत्र हैं.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने सीबीआई से कहा कि वे मामले में कानून के अनुसार काम करें.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि उनका यह आदेश आज से सात दिन बाद से लागू होगा, तब तक पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार की गिरफ्तारी नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन सात दिन की अवधि में राजीव कुमार चाहे तो अपने लिए जमानत की अर्जी अदालत में दायर कर सकते हैं. यदि उन्हें अग्रिम जमानत नहीं मिलती है तो सीबीआई उन्हें गिरफ्तार कर सकती है.
Supreme Court vacates interim protection given to former Kolkata Police Commissioner Rajeev Kumar from arrest by CBI over his alleged role in destroying evidence in Saradha chit fund case. Court gives seven days to Rajeev Kumar to seek legal remedies. pic.twitter.com/qw9uphvpdQ
— ANI (@ANI) May 17, 2019
दरअसल सीबीआई ने सारधा चिटफंड घोटाले में सबूतों को मिटाने के मामले में उन्हें गिरफ्तार कर पूछताछ करने की इजाजत मांगी है और पांच फरवरी के आदेश को वापस लेने की मांग की जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने दो मई को फैसला सुरक्षित रखा था. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि कोलकाता के पूर्व कमिश्नर को मिली राहत को खत्म किया जाए.
सीबीआई ने कहा कि ये बात सिर्फ राजीव कुमार की नहीं बल्कि सारधा चिट फंड घोटाले में जो भी शामिल है उनसे पूछताछ करना जरूरी है.
पीठ के सामने सीबीआई की ओर से पेश सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘बंगाल सरकार और पुलिस हमारी ये छवि बनाना चाह रही है कि सीबीआई सिर्फ हवाहवाई बातें कर रही है. मानो सीबीआई का मकसद सिर्फ राजीव कुमार को दबोचना है और जांच से हमें कोई लेना-देना ही नहीं है जबकि सच्चाई ये है कि राजीव कुमार के अलावा अन्य चार अधिकारियों को भी हमने पूछताछ के लिए नोटिस भेज रखा है.’
सीबीआई ने कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ सीलबंद लिफाफे में कुछ दस्तावेज और केस डायरी सुप्रीम कोर्ट को दी और यह दावा किया कि घोटाले की तह तक जाने के लिए सीबीआई राजीव कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस केस के महत्वपूर्ण सबूत मोबाइल फोन और लैपटॉप राजीव कुमार के निर्देश पर आरोपियों को वापस दिए गए और ये सबूत नष्ट करने के समान है.
उन्होंने मोबाइल और लैपटॉप पर जांच एजेंसी के सामने जांच अधिकारी के बयान का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि राजीव कुमार पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं और उनकी हिरासत में पूछताछ जरूरी है.
वहीं पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि सीबीआई राजनीतिक कारणों से आईपीएस अधिकारी की हिरासत में पूछताछ करना चाहती है. अब तक सबूत नष्ट करने के लिए राजीव कुमार के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं की गई.
इससे पहले राजीव कुमार से शिलांग में सीबीआई ने करीब 40 घंटे तक पूछताछ की थी.
गौरतलब है कि फरवरी में सारधा चिटफंड घोटाले की जांच को लेकर सीबीआई कोलकाता में पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ के लिए पहुंची थी लेकिन पुलिस ने यहां न सिर्फ सीबीआई को रोक दिया था बल्कि सीबीआई के पांच अफसरों को भी हिरासत में लेकर थाने चली गई थी. इसके बाद सीबीआई के खिलाफ ममता बनर्जी धरने पर बैठ गईं थीं.