पैलेट विक्टिम वेलफेयर ट्रस्ट की ओर से श्रीनगर में किया गया प्रदर्शन. प्रदर्शन में पैलेट गन से घायल सबसे छोटी बच्ची दो साल की हिबा निसार भी शामिल हुईं. कश्मीर घाटी में लोगों के प्रदर्शन को नियंत्रण के लिए सेना द्वारा अक्सर पैलेट गन का इस्तेमाल किया जाता है.
श्रीनगरः कश्मीर घाटी में बीते कुछ सालों में पैलेट गन से घायल हुए लोगों ने बीते सोमवार को श्रीनगर में प्रदर्शन किया और सुरक्षाबलों द्वारा इसके इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की.
प्रदर्शनकारियों ने पैलेट विक्टिम वेलफेयर ट्रस्ट (पीवीडब्ल्यूटी) के बैनर तले घाटी में पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा पैलेट गन के लगातार इस्तेमाल के ख़िलाफ़ श्रीनगर के प्रेस एनक्लेव में प्रदर्शन किया.
उन्होंने पैलेट गन पर प्रतिबंध की मांग करते हुए कहा कि उनका लगातार हो रहा इस्तेमाल और लोगों को नेत्रहीन बना सकता है.
इन प्रदर्शनकारियों में कश्मीर में पैलेट गन की शिकार हुई सबसे छोटी पीड़िता दो साल की हिबा निसार भी शामिल थी. वह पिछले साल नवंबर में दक्षिण कश्मीर के शोपियां में कपरन इलाके में अपने घर के अंदर थी तभी पैलेट गन का छर्रा उसे लग गया था. हिबा के साथ उसकी मां भी आई थी.
ग्रेटर कश्मीर की रिपोर्ट के मुताबिक, हिबा की मां मार्सला जान ने कहा, ‘हिना की आंखों के इलाज के लिए अब तक हम चार लाख रुपये खर्च कर चुके हैं. हम चाहते हैं कि पैलेट गनों का इस्तेमाल बंद हो. मैं एक मां होने के नाते उन सभी मांओं के दर्द को महसूस कर सकती हूं, जिनके बेटे और बेटियां पैलेट गन का शिकार हुए हैं.’
उन्होंने कहा कि हिबा को हर पंद्रवें दिन इलाज के लिए श्रीनगर के अस्पताल जाना पड़ता है. पैलेट गन ने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी. वह दर्द की वजह से दिन-रात रोती है.
ट्रस्ट ने कश्मीर के लोगों से पैलेट पीड़ितों के समर्थन में आने और उनकी चिकित्सा जरूरतों के लिये दान करने की अपील की.
पीवीडब्ल्यूटी के अध्यक्ष मुहम्मद अशरफ वानी ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में पैलेट गन के लगातार इस्तेमाल से सिर्फ युवाओं के आंखों की रोशनी ही नहीं छिन रही बल्कि इससे उनकी आजीविका भी प्रभावित हो रही है.’
उन्होंने कहा, ‘हजारों युवा पैलेट गन की वजह से आंखों की रोशनी जाने से अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पीवीडब्ल्यूटी कश्मीर में पैलेट गन पर तुरंत प्रतिबंध लगाए जाने की मांग करता है, क्योंकि इसके लगातार इस्तेमाल से न सिर्फ और युवा अंधे होंगे, बल्कि इससे पैलेट गन पीड़ितों और उनके परिवारवालों पर वित्तीय और मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ेगा.’
गौरतलब है कि घाटी में पथराव की घटनाओं के दौरान भीड़ पर नियंत्रण के लिए सेना द्वारा अक्सर पैलेट गन का इस्तेमाल किया जाता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)