तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने इस्तीफा तो दे दिया लेकिन अब वे बगावत पर उतर आए हैं. उनके बागी रुख के बाद अन्नाद्रमुक में दो धड़े हो गए हैं और दोनों बहुमत का दावा ठोक रहे हैं.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम के इस्तीफे के बाद तेजी से बदलते घटनाक्रम की वजह से राज्य में सियासी संकट खड़ा हो गया है. मंगलवार रात अन्नाद्रमुक में वीके शशिकला के खिलाफ उस समय बगावत की चिंगारी फूट पड़ी, जब मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि उन्हें रविवार को इस्तीफे के लिए मजबूर किया गया ताकि शशिकला के इस पद पर काबिज होने का रास्ता साफ हो सके.
पन्नीरसेल्वम ने कहा कि अगर तमिलनाडु की जनता और पार्टी कार्यकर्ता चाहेंगे तो वह अपना इस्तीफा वापस ले सकते हैं. आमतौर पर शांत रहने वाले और जयललिता के भरोसेमंद रहे पन्नीरसेल्वम ने पांच दिसंबर को जयललिता के निधन के बाद पार्टी की घटनाओं पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि वरिष्ठ मंत्रियों और नेताओं द्वारा उनका ‘अपमान’ किया गया और इन लोगों ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के बाद उन्हें ‘कमतर’ करने का प्रयास किया.
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष भी बगावत पर उतरे
पन्नीरसेल्वम के साथ वरिष्ठ अन्नाद्रमुक नेता और तमिलनाडु विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पीएच पांडियन ने भी शशिकला के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया. पांडियन ने जे. जयललिता की मृत्यु पर संदेह वयक्त करते हुए जयललिता की करीबी रहीं शशिकला के मुख्यमंत्री बनने का कड़ा विरोध किया है.
पूर्व मुख्यमंत्री एवं अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता की मृत्यु को लेकर पूर्व विधानसभाध्यक्ष ने षड्यंत्र का संदेह जताते हुए कहा कि उनकी मृत्यु अप्राकृतिक परिस्थितियों में हुई. उन्होंने जयललिता को अस्पताल में भर्ती कराये जाने की भी जांच की मांग की. जयललिता को 22 सितंबर को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 75 दिन के इलाज के बाद पांच दिसम्बर को उनका निधन हो गया था.
पांडियन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘22 सितंबर की रात में घर के लोगों के बीच बहस हुई. वह परिवार के दूसरे पक्ष यानी शशिकला के परिवार और जयललिता के बीच हुई और उन्हें नीचे धक्का दे दिया गया. वह नीचे गिर गईं और बेहोश हो गईं… यह दूसरे दिन अखबारों में प्रकाशित हुआ.’
अम्मा की समाधि का दौरा
पन्नीरसेल्वम ने बुधवार को जयललिता की ‘समाधि’ का अप्रत्याशित दौरा किया और करीब 40 मिनट तक वहां बैठकर ध्यान लगाया, जिसके बाद सूबे के सियासी गलियारे में हलचल मच गई.
इसके बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा कि शशिकला को मुख्यमंत्री बनाने के लिए उन्हें मजबूर करने का प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि जयललिता के निधन के बाद उनका मुख्य काम पार्टी और सरकार की छवि की रक्षा करना था जैसा कि दिवंगत मुख्यमंत्री छोड़कर गई थीं, लेकिन उनके प्रयासों को ‘ध्वस्त’ करने की कोशिश की गई.
पन्नीरसेल्वम के मुताबिक, ‘बीते रविवार को मुझे जयललिता के निवास पर बुलाया गया, जहां फिलहाल शशिकला रह रही हैं. वहां पार्टी के वरिष्ठ नेता, विधायक, मंत्री और उनके परिजन मौजूद थे. मुझे बैठक के लिए बुलाया गया जिसके विषय के बारे में मुझे पता नहीं था. मैं गया तो उन लोगों ने मुझसे कहा कि मुझे शशिकला को मुख्यमंत्री बनाने के लिए इस्तीफा देना चाहिए. मैंने उनसे पूछा कि विधायकों की बैठक की क्या जरूरत है तो उन्होंने कहा कि पार्टी महासचिव और मुख्यमंत्री पद एक व्यक्ति के पास होने चाहिए.’
दोनों धड़े का बहुमत का दावा
इस बीच शशिकला और पन्नीरसेल्वम दोनों ने एक-दूसरे पर पार्टी के साथ गद्दारी करने का आरोप लगाया है. शशिकला ने पन्नीरसेल्वम पर आरोप लगाया कि पार्टी नेतृत्व के खिलाफ पनीरसेल्वम की बगावत के पीछे द्रमुक का हाथ है. इसके साथ ही पन्नीरसेल्वम को कोषाध्यक्ष पद से हटा दिया गया. इसके जवाब में पनीरसेल्वम ने पार्टी महासचिव शशिकला के इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि उनके पास उन्हें कोषाध्यक्ष पद से हटाने का कोई अधिकार नहीं है.
पन्नीरसेल्वम की बगावत के बाद पार्टी मुख्यालय में वीके शशिकला के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक विधायकों की आपात बैठक बुलाई गई. उधर, कुछ विधायकों समेत कुछ नेताओं ने पनीरसेल्वम को समर्थन देने की घोषणा कर दी है.
अम्मा के नाम से मशहूर जयललिता की सियासी विरासत हथियाने की इस जंग में दोनों धड़े विधानसभा में बहुमत साबित करने का दावा कर रहे हैं. शशिकला गुट 134 में से 131 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है, जबकि बगावत पर उतरे पन्नीरसेल्वम ने भी 50 विधायकों के समर्थन की घोषणा के साथ बहुमत साबित करने का दावा किया है.
(एजेंसी से इनपुट के साथ)