सिंधिया परिवार का गढ़ मानी जाने वाली मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट पर भाजपा के केपी यादव करीब पांच लाख मतों के साथ पहले नंबर पर चल रहे हैं.
भोपाल: मध्य प्रदेश में 29 लोकसभा सीटों में से 26 पर भाजपा उम्मीदवार आगे चल रहे हैं जबकि दो सीटों पर भाजपा उम्मीदवार जीत दर्ज चुके हैं.
वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार केवल एक लोकसभा सीट छिंदवाड़ा पर आगे चल रहे हैं.
गुना में कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के बीच 1 लाख से ज़्यादा मतों का अंतर दिख रहा है. केपी यादव को अब तक 5,88,346 मिले हैं, वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को 4,85,891 मत.
सिंधिया परिवार का गढ़ गुना लोकसभा पर इस बार करीब 20 साल बाद भाजपा का कब्जा होता दिख रहा है. उपचुनाव सहित अब तक 20 चुनाव में सिंधिया राजघराने के प्रतिनिधियों को 14 बार जीत मिली है.
1999 में राजमाता विजया राजे सिंधिया भाजपा के टिकट पर यहां से जीती थीं. इस बार करीब 3 दशक बाद सिंधिया परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति इस सीट पर चुना जायेगा.
2014 के आम चुनाव में मोदी लहर के बीच भी ज्योतिरादित्य सिंधिया यह सीट बचाने में कामयाब रहे थे और एक लाख से अधिक सीटों से जीते थे.
ज्योतिरादित्य की दादी विजयराजे सिंधिया छह बार, पिता माधवराव सिंधिया चार बार और स्वयं ज्योतिरादित्य सिंधिया चार बार जीते हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया इससे पहले चार चुनाव में यहां से लगातार जीत दर्ज कर चुके है और साल 2002 से सांसद रहे हैं.
सिंधिया रियासत के भारत में विलय के बाद यहां राजमाता विजयराजे सिंधिया कांग्रेस में शामिल हुई थीं. इंदिरा गांधी से मतभेद के बाद वे जनसंघ में शामिल हो गईं. समय के साथ सिंधिया परिवार राजनीतिक रूप से बंट गया. उनके बेटे माधवराव सिंधिया भाजपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए.
2002 में माधवराव सिंधिया के निधन के बाद हुए हुए उपचुनाव में ज्योतिरादित्य ने लगभग सवा चार लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी, वहीं 2004 में यह अंतर कम होकर 86 हजार ही रह गया.
उसके बाद के चुनाव में उन्होंने वर्ष 2009 में ढाई लाख और वर्ष 2014 में जीत का अंतर एक लाख 20 हजार रह गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)