छत्तीसगढ़ में फेसबुक पोस्ट पर निलंबित की जाने वाली जेल अधिकारी वर्षा का कहना है कि उन्होंने सीबीआई, सुप्रीम कोर्ट और सरकार के दस्तावेज़ों के हवाले से ही सब कुछ लिखा था.
नक्सल समस्या को लेकर फेसबुक पर टिप्पणी करने के बाद निलंबित की गई सहायक जेल अधीक्षक वर्षा डोंगरे का कहना है कि उनके जवाब दिए जाने की समय सीमा खत्म होने से पहले ही जेल प्रशासन ने उन्हें निलंबित कर दिया था. जेल प्रशासन ने प्राथमिक जांच अधिकारी की रिपोर्ट की प्रतीक्षा भी नहीं की.
गौरतलब है कि डोंगरे ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में राज्य के आदिवासियों की स्थिति, मानवाधिकार हनन और नक्सल समस्या को लेकर सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए थे.
निलंबित हुई डिप्टी जेलर वर्षा डोंगरे से सरकार ने 32 पन्नों में सवाल पूछा, तो वर्षा ने इसका जवाब 376 पन्नों में दिया है. वर्षा डोंगरे ने यह सारी जानकारी एक बार फिर फेसबुक पोस्ट के जरिए दी है. उन्होंने लिखा है कि हमारे द्वारा निलंबन के विरूद्ध संघर्ष संवैधानिक तरीके से लड़ा जाएगा.
वर्षा का फेसबुक पोस्ट
#मेरा निलंबन पत्र
केन्द्रीय जेल रायपुर में कल 8 मई को 5 दिन बाद मैं स्वस्थता के पश्चात ड्यूटी में उपस्थित हुई. मुझे निलंबन की फोटो कापी दी गई और कहा गया कि मूल कापी मेरे स्थायी गृह निवास कवर्धा भेज दिया गया है जो आजपर्यंत अप्राप्त है.
मेरे शासकीय आवास पर मैने देखा कि मेरे घर के दरवाजे पर निलंबन आदेश चस्पा कर दिया गया था. जिसे समाचार पत्रों में छपने के बाद फाड़ दिया गया है. जिसके कुछ अंश आज भी दरवाजे पर चिपके हुए हैं .
निलंबन आदेश के आरोप इस प्रकार हैंः
‘कु. वर्षा डोंगरे, सहायक जेल अधीक्षक, केन्द्रीय जेल रायपुर द्वारा मीडिया में गैर-जिम्मेदारी तरीके से गलत एवं भ्रामक तथ्यों का उल्लेख करने एवं अनाधिकृत रूप से कर्तव्य से अनुपस्थित रहने के कारण उन्हे तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है. निलंबन काल में इनका मुख्यालय केंद्रीय जेल अम्बिकापुर रहेगा तथा इन्हे नियमानुसार निर्वाह भत्ते की पात्रता रहेगी.’
( गिरधारी नायक )
महानिदेशक
जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं
छत्तीसगढ़ रायपुरयह बेहद आश्चर्य का विषय है कि, प्रारंभिक जांच अधिकारी श्री आरआर राय जी को मेरे सोशल मीडिया पोस्ट की जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए 07 दिवस दिया गया और राय जी के द्वारा मुझे 32 पेज का पुलिंदा थमाकर 02 दिवस के भीतर जवाब प्रतिवेदन मांगा गया. जिसके प्रतिउत्तर में मैने 376 पेज का जवाब भेज दिया था.
यह घोर आश्चर्य की बात है कि प्रारंभिक जांच अधिकारी के प्रतिवेदन और मेरे जवाब के पहले ही मान लिया गया कि मेरे पोस्ट के तथ्य गलत एवं भ्रामक हैं.
इससे यह स्पष्ट होता है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले, सीबीआई रिपोर्ट, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली रिपोर्ट, भारत का राजपत्र, एक्सपर्ट ग्रुप आफ प्लानिंग कमीशन की रिपोर्ट इत्यादि जो कि मेरे जवाब पत्र में संलग्न है पर बिना विचार किए ही मेरे पोस्ट को… मीडिया में गैर-जिम्मेदार तरीके से गलत एवं भ्रामक तथ्यों का उल्लेख करने… का आरोप लगाते हुए निलंबित कर केन्द्रीय जेल अम्बिकापुर में अटैच कर दिया गया है.
हमारे द्वारा निलंबन के विरुद्ध संघर्ष संवैधानिक तरीके से लड़ी जाएगी.
हमारा अब भी भारत सरकार से विनम्र आग्रह है कि आदिवासी क्षेत्रों में 5 वीं अनुसूची के तहत व्यवस्था बहाल किया जाए.
आप सभी के समर्थन और साथ के लिए मैं हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करती हूं.
#जय_जोहार…#जय_संविधान…#जय_भारतवर्ष…