सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार सरकार को चार सप्ताह के भीतर महिला को तीन लाख रुपये देने का आदेश दिया.
बिहार की राजधानी पटना में सड़कों पर रहने वाली महिला को गर्भपात की मंज़ूरी इसलिए नहीं दी क्योंकि उनका गर्भ 26 हफ्ते का हो गया था. एम्स के मेडिकल बोर्ड की ओर से तैयार की गई मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया.
साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि महिला के इलाज का पूरा ख़र्च बिहार की नीतीश सरकार उठाएगी. महिला का इलाज पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज होगा.
कोर्ट ने बिहार सरकार को आदेश दिया कि महिला को रेप विक्टिम फंड से चार सप्ताह के भीतर तीन लाख रुपये दे दिए जाएं.
पटना की सड़कों पर रहने वाली इस 35 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार हुआ था, जिसकी वजह से वह गर्भवती हो गई थीं. वह एचआईवी प्रभावित हैं और उनके पति ने 12 साल पहले ही छोड़ दिया था.
मेडिकल जांच के बाद पता चला की वह गर्भवती हो गई हैं, जिसके बाद एक एनजीओ की मदद से उन्होंने गर्भपात कराने का आदेश देने के लिए पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इसके लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया था. बोर्ड की ओर से दी गई रिपोर्ट में कहा गया था कि गर्भपात करने के लिए एक बड़ी सर्जरी करनी पड़ सकती है.
SC rejects abortion plea of HIV+ rape victim, orders Bihar to pay compensation
Read @ANI_news | https://t.co/gQskPZxkuZ pic.twitter.com/FKhdMmAj49
— ANI Digital (@ani_digital) May 9, 2017
इस पर पटना हाईकोर्ट ने गर्भपात करवाने के लिए मंज़ूरी देने से इंकार कर दिया था. तब महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘26 सप्ताह के गर्भ को हटाया नहीं जा सकता. मेडिकल रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि इस अवस्था में गर्भ हटाने पर महिला की जान को ख़तरा पैदा हो सकता है.’
सुप्रीम कोर्ट मामले की अगली सुनवाई नौ अगस्त को करेगी. इस दिन राज्य सरकार की संस्थाओं और एजेंसियो द्वारा मामले में हुई देरी के लिए महिला के लिए मुआवज़ा तय होगा.
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, महिला का पक्ष रख रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि मामले में बिहार के सरकारी अस्पताल की ओर लापरवाही की गई. उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार की संस्था गर्भपात से संबंधित कानून को सही तरह से नहीं समझ पा रही है इस वजह से महिला के इलाज में देरी हुई और पटना मेडिकल अस्पताल में गर्भपात नहीं किया जा सकता. ऐसे में एक दिशा निर्देश देने की भी ज़रूरत है ताकि गर्भपात संबंधी कानून का सही तरह से अनुपालन हो. राज्य सरकार की एजेंसी की ओर से जो देरी की गई है उसके लिए महिला को मुआवज़ा मिलना चाहिए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘जब महिला को 17 सप्ताह का गर्भ था तब पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उनका गर्भपात इसलिए नहीं किया गया क्योंकि उनके पास कोई आईकार्ड नहीं था.’