लोकसभा चुनाव में मिली क़रारी हार के बाद राजस्थान कांग्रेस में इसकी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी तय किए जाने की मांग उठी. कृषि मंत्री के इस्तीफ़ा देने की चर्चा. पार्टी पदाधिकारियों और नेताओं की बयानबाज़ी से संकट और गहराया.
जयपुर/नई दिल्ली: राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में संकट गहराता नजर आ रहा है. पार्टी के कुछ पदाधिकारियों और नेताओं ने पार्टी की स्पष्ट सलाह के बावजूद लोकसभा चुनाव में करारी हार के लिए आत्ममंथन और विस्तृत विश्लेषण की मांग उठाकर इस संकट को हवा देने का काम किया है.
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक सचिव की राय है कि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को अशोक गहलोत की जगह मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए, क्योंकि दरअसल उन्होंने पांच साल तक जो कड़ी मेहनत की उसी की वजह से विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत हासिल हुई थी.
जयपुर से पार्टी उम्मीदवार और जयपुर की पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल ने भी खराब चुनावी प्रबंधन पर अपना विरोध जताते हुए कहा कि इसी के चलते उनकी हार हुई. उन्होंने जयपुर सीट पर विस्तृत विश्लेषण की मांग की है.
प्रदेश सचिव सुशील आसोपा ने अपने फेसबुक पोस्ट पर मंगलवार को कहा कि यदि पार्टी ने पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बना दिया होता तो लोकसभा चुनाव के परिणाम भिन्न होते.
आसोपा ने बताया कि सचिन पायलट ने पांच साल तक बहुत मेहनत की. पिछले साल विधानसभा चुनावों के दौरान युवाओं के बीच उनकी व्यापक स्वीकार्यता थी, युवाओं ने उन्हें राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखा था, लेकिन वे निराश हो गए जब उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया.
जयपुर सीट पर कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव हार चुकीं ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि उन्होंने जयपुर सीट की कार्यप्रणाली का विस्तृत विश्लेषण करने की मांग को लेकर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को एक पत्र लिखा है.
खंडेलवाल ने कहा कि जयपुर लोकसभा सीट पर 2014 के चुनाव के मुकाबले कांग्रेस के वोट शेयर में वृद्धि हुई है और यहां मोदी लहर का कोई प्रभाव नहीं था, लेकिन जयपुर लोकसभा क्षेत्र के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सक्रियता नहीं दिखाई और बूथ प्रबंधन भी कमजोर था. उन्होंने इसकी जवाबदेही और जिम्मेदारी तय किए जाने की भी मांग की.
बीते सोमवार को अशोक गहलोत मंत्रिमंडल के दो मंत्रियों- सहकारिता मंत्री उदयलाल अंजना और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि पार्टी को हार का विस्तृत आकलन करके राज्य में होने वाले स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए पार्टी को फिर से मजबूती के साथ तैयार करना चाहिए.
अंजना ने सोमवार को जयपुर में संवाददाताओं से कहा कि लोकसभा चुनावों के परिणाम आशाओं के विपरीत थे. भाजपा द्वारा उठाए गए राष्ट्रवाद के मुद्दे से मतदाताओं को प्रभावित किया गया था. हमारे नेताओं ने भी पूरे प्रयास किए लेकिन यह लोगों को स्वीकार्य नहीं था.
उन्होंने कहा, ‘पार्टी के वरिष्ठ नेता दिल्ली में विचार-मंथन कर रहे हैं और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने इस्तीफे की पेशकश की. नेताओं द्वारा आत्ममंथन किया जाना चाहिए.’
अंजना ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत की सीट के चुनाव पर भी प्रश्न उठाते हुए कहा कि जालौर उनके लिए उपयुक्त सीट थी. उन्होंने कहा कि वैभव गहलोत की सीट के चुनाव के आकलन करने में कोई न कोई त्रुटि रही है और उसमें चूक हुई है उसी का खामियाजा हम सब भुगत रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैं जोधपुर के पक्ष में नहीं था, मैंने उनसे (अशोक गहलोत) कहा कि वैभव को जालौर से लड़वाना चाहिए. जालौर होता तो यह नतीजे नहीं आते.’
वैभव गहलोत ने जोधपुर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा था जहां उनके सामने भाजपा के गजेंद्र सिंह शेखावत चुनाव मैदान थे और शेखावत ने गहलोत को हरा कर जीत दर्ज की. वैभव को तकरीबन 2.7 लाख वोटों से हार का सामना करना पड़ा है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या राज्य में पार्टी की हार के लिए किसी वरिष्ठ नेता को त्यागपत्र देना चाहिए तो अंजना ने कहा कि वह इस पर टिप्पणी करने के लायक नहीं है.
वहीं, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा ने भी कहा कि ब्लॉक स्तर से लेकर सभी स्तरों के नेताओं से फीडबैक लिया जाना चाहिए.
उन्होंने बताया कि इस समय पार्टी के उम्मीदवारों ,वर्तमान और पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों और पदाधिकारियों से विस्तृत समीक्षा कर फीडबैक लिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि पार्टी के समक्ष चुनौतियां हैं और पार्टी को आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के मद्देनजर प्रदर्शन बेहतर करना है.
उन्होंने कहा कि हार एक सामूहिक जिम्मेदारी है, किसी भी व्यक्तिगत नेता के बारे में नहीं और हार की स्थिति का आकलन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा किया जाना चाहिए. मंत्री ने कहा कि विस्तृत फीडबैक जमीन से लिया जाना चाहिए और रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को सौंपी जानी चाहिए और रिपोर्ट के आधार पर किसी प्रकार का फैसला उन पर छोड़ देना चाहिए.
राज्य के कृषि मंत्री के इस्तीफ़ा देने की चर्चा
उधर, लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने रविवार को मंत्रिमंडल से त्याग-पत्र देने की घोषणा की थी. सोशल मीडिया पर कटारिया के त्याग-पत्र देने की खबर चर्चा में है, जिसमें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के कारण उन्होंने त्याग-पत्र दिया जाना बताया गया था.
हालांकि मुख्यमंत्री कार्यालय और राजभवन ने मंत्री के त्याग-पत्र की पुष्टि नहीं की थी. मंत्री से अब तक संपर्क नहीं किया जा सका है.
कटारिया, कृषि के अलावा एनिमल हसबैंडरी और मत्सय पालन विभाग भी संभालते हैं. पिछले साल जोठवाड़ा से उन्हें विधायक चुना गया था.
यह विधानसभा सीट जयपुर ग्रामीण संसदीय सीट के अंतर्गत आती है. हाल ही में इस सीट से कांग्रेस की लोकसभा उम्मीदवार कृष्णा पूनिया को केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने 3,93,171 मतों के अंतर से हराया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कटारिया के विधानसभा क्षेत्र में राठौड़ को 1,86,911 वोट मिले, जबकि पूनिया को 71,117 वोट ही मिल सके.
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में कटारिया ने जोठवाड़ा सीट से 1,27,185 वोटों से जीत दर्ज की थी. यह कुल वोटों का 48.67 प्रतिशत था. उन्होंने इस सीट पर भाजपा के राजपाल सिंह शेखावत को मात दी थी. शेखावत को यहां से 1,16,438 वोट मिले थे.
कांग्रेस नेताओं से बयानबाज़ी से परहेज़ करने की अपील
इन परिस्थितियों में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे ने पार्टी नेताओं से अपील करते हुए कहा है कि हमारा संघर्ष जारी रहेगा. कांग्रेस पार्टी नफरत फैलाने वाली विभाजनकारी ताकतों से लोहा लेने के लिए सदैव कटिबद्ध है.
पांडे ने कहा कि लोकसभा चुनावों के नतीजों को लेकर सभी कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं को सार्वजनिक बयानबाजी से परहेज रखना चाहिए और पार्टी अनुशासन के तहत मीडिया में प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि शीघ्र ही परिणामों के संदर्भ में समीक्षा बैठक का आयोजन किया जाएगा जिसमें सभी कांग्रेसजनों को अपने विचार रखने का अवसर मिलेगा. उन्होंने कहा कि हम सबका दायित्व है कि पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को कायम रखने में अपना सहयोग प्रदान करें.
पिछले वर्ष दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद सत्ता में आई कांग्रेस को राज्य की सभी 25 लोकसभा सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा. भाजपा ने 24 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि भाजपा के गठबंधन सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने एक सीट पर दर्ज की है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट पहले से ही दिल्ली में डेरा डाले हुए है.
क़रारी हार के बाद राजस्थान के कई मंत्रियों-विधायकों ने की जवाबदेही तय करने की मांग
मालूम हो कि लोकसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर नाराजगी जताए जाने के बाद प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों एवं विधायकों ने मांग की है कि इस चुनावी शिकस्त के लिए जवाबदेही तय करने के साथ कार्रवाई होनी चाहिए.
सूत्रों के मुताबिक गांधी ने 25 मई को हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के नामों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन नेताओं ने पार्टी से ज्यादा अपने बेटों को महत्व दिया और उन्हीं को जिताने में लगे रहे.
इसके अलावा राहुल गांधी ने इस संदर्भ में वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम का भी नाम लिया था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं पर उन मुद्दों को न उठाने का आरोप लगाया, जिन मुद्दों को उन्होंने भाजपा और नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव प्रचार के दौरान उठाया था.
सूत्रों के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा था कि राहुल गांधी ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में पार्टी नेताओं से हाथ उठाकर यह बताने को कहा था कि किन-किन लोगों ने रफाल सौदे और उससे जुड़े उनके नारे ‘चौकीदार चोर है’ को चुनाव प्रचार के दौरान उठाया था.
रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी पार्टी में जवाबदेही चाहते थे. राहुल ने लोकसभा चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी ली और पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने की घोषणा कर दी.
इंडियन एक्सप्रेस ने भी सीडब्ल्यूसी की बैठक में शामिल नेताओं के हवाले से पुष्ठि की है कि राहुल गांधी ने बहन और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने भी यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि वरिष्ठ नेतृत्व की ओर से राहुल गांधी को उनके अभियान ‘चौकीदार चोर है’ को लेकर पर्याप्त सहयोग नहीं मिला.
दरअसल, गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत चुनाव लड़े थे, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा. खबरों के मुताबिक गहलोत जोधपुर में अपने पुत्र के पक्ष में प्रचार के लिए कई दिनों तक डटे रहे.
दूसरी तरफ, पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि उनकी बात को संदर्भ से अलग करके पेश किया गया, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि संगठन या पार्टी शासित राज्यों की सरकारों में बदलाव के लिए कांग्रेस अध्यक्ष कोई भी फैसला करने के लिए अधिकृत हैं.
राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सीडब्ल्यूसी ने संगठन में बदलाव के लिए राहुल गांधी को अधिकृत किया है और वह बदलाव करेंगे.
कुछ नेताओं द्वारा पार्टी से ज्यादा अपने बेटों को महत्व दिए जाने पर गांधी की नाराजगी के बारे में पूछे जाने पर खाचरियावास ने कहा, ‘राहुल गांधी जी को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है. उनसे ऊपर कोई नहीं है और उन्होंने पूरा सोच-समझकर यह कहा होगा. कांग्रेस के सभी नेता और कार्यकर्ता उनके शब्दों का सम्मान करते हैं. मुझे भी इस बारे में मीडिया के जरिये पता चला है.’
उन्होंने कहा, ‘अगर राहुल गांधी जी वरिष्ठ नेताओं की कमी पाते हैं तो उनका पूरा अधिकार है कि वह जवाबदेही तय करें और कार्रवाई करें.’
राजस्थान सरकार के एक और मंत्री भंवरलाल मेघवाल ने भी कहा कि पार्टी की हार के लिए तत्काल जवाबदेही तय होनी चाहिए.
नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कई विधायकों ने कहा कि जवाबदेही तय करना प्राथमिकता होनी चाहिए.
हनुमानगढ़ जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष केसी बिश्नोई ने चुनावी हार के लिए गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, ‘संगठन ने कड़ी मेहनत की और पार्टी को राज्य की सत्ता में वापस लेकर आए. परंतु तीन महीनों के भीतर लोग सरकार से नाराज हो गए. मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी होनी चाहिए. उन्हें इस्तीफे की पेशकश करनी चाहिए.’
कांग्रेस के हित में संगठन और राज्य सरकारों में बदलाव के लिए अधिकृत हैं राहुल: गहलोत
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सफाया होने के बाद से आलोचनाओं का सामना कर रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते सोमवार को राजधानी दिल्ली में कहा कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी की कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने अधिकृत किया है कि पार्टी के हित में वह जरूरी बदलाव कर सकते हैं.
गहलोत ने एक साक्षात्कार में कहा कि किसी भी नेता को किसी पद के पीछे नहीं पड़े रहना चाहिए और प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि राहुल गांधी के पीछे खड़े होकर पार्टी में नई जान फूंकी जाए.
सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल गांधी की नाराजगी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनकी बात को संदर्भ से अलग करके पेश किया गया, हालांकि मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के पास यह पूरा अधिकार है कि पार्टी के हित में अपनी बात रखें.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह राजस्थान में हार की जिम्मेदारी के लिए इस्तीफा देंगे तो गहलोत ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया.
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस अध्यक्ष के पास पूरा अधिकार है कि वह संगठन या सरकार में जो चाहें वो बदलाव कर सकते हैं. कार्य समिति ने यह फैसला उन पर छोड़ दिया है.’
गहलोत ने कहा, ‘सीडब्ल्यूसी ने राहुल गांधी जी को अधिकृत किया है कि वह पार्टी के हित में फैसले करें, चाहे वह संगठन में सभी स्तर पर बदलाव हो या फिर पार्टी शासित राज्यों की सरकारों में बदलाव हो. उन्हें अधिकृत किया गया है कि वह पार्टी और देश के हित में फैसले करें. मैं आशा करता हूं कि फैसला जल्द किया जाएगा.’
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में पूरे राजस्थान में 125 से अधिक सभाएं कीं. इनमें से तीन से पांच सभाएं हर लोकसभा क्षेत्र में की.’
गहलोत ने कहा कि यह चुनावी हार कल्पना से परे है, क्योंकि देश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ.
उन्होंने कहा, ‘यही वजह है कि लोगों को ईवीएम पर संदेह होता है. लोकतंत्र में इस तरह की हार कभी नहीं हुई.’ राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘सिर्फ राहुल गांधी ही भाजपा से लड़ सकते हैं और आखिरकार उनकी जीत होगी.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)