भारतीय कंपनियां पहले बुलेटप्रूफ जैकेटों के निर्माण के लिए कच्चा माल अमेरिका और यूरोप से मंगाया करती थीं. नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने कहा कि वे चीनी माल के ख़िलाफ़ तभी हस्तक्षेप कर सकते हैं, जब गुणवत्ता का कोई प्रश्न हो पर इस तरह की कोई बात नहीं आई है.
नई दिल्ली: नीति आयोग के एक सदस्य ने कहा कि भारतीय थलसेना के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने वाली भारतीय कंपनियां किफायती होने के कारण चीन से कच्चे माल का आयात कर रही हैं. उन्होंने कच्चे माल की गुणवत्ता पर शक को खारिज किया.
नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने कहा कि वे चीनी माल के खिलाफ तभी हस्तक्षेप कर सकते हैं, जब कि गुणवत्ता का कोई प्रश्न हो पर इस तरह की कोई बात नहीं आई है. सारस्वत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख रहे हैं.
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने नीति आयोग को हल्के बुलेटप्रूफ जैकेट के घरेलू स्तर पर निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए एक रुपरेखा तैयार किया है. सारस्वत के मुताबिक भारतीय मानक ब्यूरो (बीएसआई) ने भारतीय बलों द्वारा इस्तेमाल में लाए जाने वाले बुलेट प्रुफ जैकेट की गुणवत्ता के मानक भी तय कर लिए हैं.
नीति आयोग के सदस्य भारतीय सशस्त्र बलों के बुलेटप्रूफ जैकेट के निर्माण में इस्तेमाल में लाए जाने वाले चीनी कच्चे माल के इस्तेमाल को लेकर उठती चिंताओं से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे.
उन्होंने चिंताओं को अधिक तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि चीन से कच्चे माल का आयात बाजार आधारित है और वह अन्य की तुलना में किफायती है.
डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख ने कहा, ‘यह बाजार की जरूरतों पर आधारित है. हम इसमें कुछ नहीं कर सकते. चीनी सामानों से बने बुलेटप्रूफ जैकेट की गुणवत्ता मानक के हिसाब से नहीं होने पर ही हम कुछ कर सकते हैं लेकिन अब तक इस तरह की कोई खबर नहीं मिली है.’
सारस्वत ने कहा, सरकार के अनुमान के अनुसार, भारतीय सैन्य बलों को तीन लाख से अधिक बुलेटप्रूफ जैकेटों की आवश्यकता होगी. इसके आधार पर सैन्य बलों ने पहले ही बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने का ठेका देश में निजी कंपनियों को दे दिया है.
भारतीय कंपनियां पहले बुलेटप्रूफ जैकेटों के निर्माण के लिए कच्चा माल अमेरिका और यूरोप से मंगाया करती थीं. लेकिन, अब उनमें से अधिकतर कंपनियां सस्ता दाम होने के कारण चीन से कच्चा माल आयात कर रही हैं.
भारतीय सेनाएं फिलहाल जिन बुलेटप्रूफ जैकेटों का इस्तेमाल करती हैं वे बहुत भारी होती हैं जिसके कारण हल्के बुलेटप्रूफ जैकेट के निर्माण का विचार किया गया था. कानपुर स्थित एमकेयू और टाटा एडवांस्ड मैटेरियल्स जैसी भारतीय कंपनियां कई देशों के सैन्य बलों को रक्षा कवच उपलब्ध कराती हैं.
अगर भारी मात्रा में हल्के बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट देश में बनाए जाएंगे तो इससे वे सस्ते दामों में मिलेंगी और इससे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं द्वारा होने वाली देरी के लिए भी इंतजार नहीं करना पड़ेगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)