फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे की भतीजी रूमा ने 60 से अधिक बंगाली और हिंदी फिल्मों में काम किया था. रूमा गुहा ठाकुरता महशूर गायक किशोर कुमार की पहली पत्नी थीं.
कोलकाता: बंगाल की प्रसिद्ध अभिनेत्री एवं गायिका रूमा गुहा ठाकुरता का कोलकता स्थित उनके आवास में सोमवार की सुबह सोते समय निधन हो गया. वह 84 वर्ष की थीं और उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थीं.
उन्हें गंगा, बालिका बधू और 36 चौरंगी लेन जैसी फिल्मों में काम करने के लिए जाना जाता है.
उनके परिवार में गायक अमित कुमार सहित दो पुत्र और एक पुत्री हैं. रूमा ने दो शादियां की थीं. दूसरे विवाह से उनके पुत्र अयान गुहा ठाकुरता ने बताया कि उनकी मां का सोमवार सुबह नींद में ही देहांत हो गया.
अयान ने कहा, ‘उन्होंने (रूमा गुहा) संभवत: सुबह छह बजे से सवा छह बजे के बीच आखिरी सांस ली. हमारे पारिवारिक डॉक्टर ने इस बात की पुष्टि की है.’
कोलकाता में तीन नवंबर 1934 को जन्मीं रूमा नृत्य में गहरी रुचि रखती थीं. 1950 के दशक के शुरू में बॉम्बे (मुंबई) जाने के बाद उन्होंने गायक किशोर कुमार से विवाह किया था. गायक अमित कुमार रूमा और किशोर कुमार की ही संतान हैं.
रूमा और किशोर कुमार 1958 में अलग हो गए थे. बाद में रूमा ने लेखक-निर्देशक अरूप गुहा ठाकुरता से विवाह किया और उनकी दो संतान- स्रोमोना तथा अयान गुहा ठाकुरता हुईं.
अयान ने बताया कि उनकी मां करीब तीन माह तक मुंबई में अमित कुमार के साथ रहने के बाद एक माह पहले ही कोलकाता लौटी थीं.
अयान ने कहा, ‘दादा (अमित) सोमवार शाम यहां आ रहे हैं. मां के अंतिम संस्कार के बारे में सभी निर्णय वही करेंगे.’
फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे की भतीजी रूमा ने 60 से अधिक फिल्मों में काम किया. रूमा ने अपने अभिनय करिअर की शुरुआत 1944 में अमीय चक्रवर्ती की फिल्म ज्वार भाटा से की थी.
उनकी ज्यादातर फिल्मों का निर्माण सत्यजीत रे, तपन सिन्हा, तरुण मजूमदार, राजन तरफदार, अर्पणा सेन और मीरा नायर जैसे प्रख्यात निर्देशकों ने किया.
रूमा की यादगार फिल्में गंगा (1959), पर्सनल असिस्टेंट (1959), अभिजान (1962), निर्जन सैकटे (1962), पोलातक (1963), एंथनी फिरंगी (1967), अशि ते असियो ना (1967), बालिका बधू (1967), दादर कीर्ति (1980), 36 चौरंगीलेन (1981), अमृता कुंभेर सन्धाने (1982), आशा ओ भालोबाशा (1985) और व्हीलचेयर (1994) आदि हैं.
उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में भी काम किया, जिनमें – ‘ज्वार भाटा’ (1944), ‘मशाल’ (1950), ‘अफसर’ (1950), ‘राग रंग’ (1952) और ‘नेमसेक’ (2006) प्रमुख हैं.
‘ज्वार भाटा’ रूमा की पहली और ‘नेमसेक’ आखिरी फिल्म थी.
कई फिल्मों के लिए उन्होंने पार्श्व गायन भी किया. लुकोचुरी (1958), तीन कोन्या (1961), बरनाली (1962), जोरादिघीर चौधुरी परिबार (1966), बाघिनी (1968), बक्सो बादल (1970), जोड़ी जन्तेम (1974), मेरा धरम मेरी मां (1976) और अमृता कुंभेर संधने (1982) जैसी फिल्मों में गीत भी गाए थे.
वर्ष 1958 में रूमा ने गीत और नृत्य समूह ‘कलकत्ता यूथ क्वाइर’ की स्थापना भी की. इस समूह के लोकप्रिय लोक गीतों में ‘आज जोतो जुद्धबाज’, ‘भारतबरषो सुरजेर एक नाम’, ‘ओ गंगा बोइचो केनो’ और ‘वक्त की आवाज’ आदि प्रमुख हैं.
Saddened at the passing away of Ruma Guha Thakurta. Her contribution to the field of cinema and music will always be remembered. My condolences to her family and her admirers
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) June 3, 2019
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रूमा के निधन पर शोक तथा उनके परिजनों के प्रति संवेदना ज़ाहिर की है.
ममता ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘रूमा गुहा ठाकुरता के निधन से दुखी हूं. सिनेमा और संगीत की दुनिया में उनका योगदान अविस्मरणीय है. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मैं संवेदना ज़ाहिर करती हूं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)