मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से पिछले महीने लोकसभा सांसद निर्वाचित होने के बाद प्रज्ञा ठाकुर की एनआईए अदालत में यह पहली पेशी थी. बीते गुरुवार को स्वास्थ्य कारणों की वजह से वह अदालत में पेश नहीं हुई थीं, लेकिन गुरुवार को ही उन्हें भोपाल में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में देखा गया था.
मुंबई: भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर शुक्रवार को 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले के सिलसिले में मुंबई की एक विशेष अदालत के समक्ष पेश हुईं. इस सप्ताह वह अदालत के सामने दो बार हाजिर नहीं हो सकीं थीं.
जब एनआईए की विशेष अदालत के न्यायाधीश वीएस पडालकर ने भगवाधारी ठाकुर से पूछा कि धमाके के बारे में उन्हें कुछ कहना है तो उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता.’
वह अदालत में अपने दो सहयोगियों के साथ पहुंचीं. वह अदालत के निर्देश के अनुसार विशेष एनआईए न्यायाधीश के समक्ष उपस्थित हुईं. अदालत इस 11 साल पुराने मामले की सुनवाई कर रही है.
उनके अलावा इस मामले में अन्य आरोपी भी अदालत में हाजिर हुए.
न्यायाधीश ने आरोपियों के सामने अपने आदेश को पढ़ा जिसमें उन्हें सप्ताह में कम से कम एक बार अदालत के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया था.
अदालत ने कहा कि डॉक्टरों और ‘पंच’ (गवाहों की एक श्रेणी) समेत 116 गवाहों का परीक्षण किया जा चुका है. पिछली ज्यादातर सुनवाई की तारीखों के दौरान आरोपी गैरहाजिर रहे और उनके वकीलों ने उनका प्रतिनिधित्व किया.
उन्होंने प्रज्ञा ठाकुर और दूसरे आरोपी सुधाकर द्विवेदी को कठघरे में बुलाया और पूछा कि क्या उन्हें मालूम है कि उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव में सितंबर 2008 को बम धमाका हुआ था, जिसमें छह लोग मारे गए थे. इस पर ठाकुर ने कहा, ‘मुझे जानकारी नहीं है.’
द्विवेदी ने भी यही उत्तर दिया.
जब उनसे मामले की कार्यवाही के बारे पूछा गया तो 49 साल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि अदालत ने कितने गवाहों का परीक्षण किया है.
ठाकुर के बेंच पर आराम से बैठने के लिए एक लाल वेलवेट का कपड़ा बिछाया गया था. जब न्यायाधीश ने उनसे कठघरे में आकर खड़े होने को कहा तो उन्होंने जवाब दिया कि वह अदालत के द्वारा दी गई कुर्सी पर बैठने के बजाए खिड़की की तरफ खड़ी रहेंगी.
भोपाल से पिछले महीने लोकसभा सांसद निर्वाचित होने के बाद ठाकुर की एनआईए अदालत में यह पहली पेशी है. इससे पहले वह तब अदालत में पेश हुई थी जब बीते साल अक्टूबर में उनके खिलाफ आरोप तय किए गए थे
न्यायाधीश ने ठाकुर सहित सभी आरोपियों को निर्देश दिया था कि वे सप्ताह में कम से कम एक बार अदालत के सामने हाजिर हों. न्यायाधीश ने कहा था कि केवल ठोस कारण दिए जाने पर ही पेशी से छूट दी जाएगी.
इस मामले में अदालत गवाहों के बयान दर्ज कर रही है.
मामले में प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सात लोग आरोपों का सामना कर रहे हैं.
विशेष अदालत ने सोमवार को ठाकुर की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने इस हफ्ते पेशी से छूट की मांग की थी.
ठाकुर (49) ने इस आधार पर छूट मांगी थी कि उन्हें संसद में अपने निर्वाचन से संबंधित कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी हैं, लेकिन अदालत ने कहा कि मामले में इस चरण में उनकी मौजूदगी आवश्यक है.
उनके वकील प्रशांत मागू ने बृहस्पतिवार को अदालत को बताया था कि उनकी मुवक्किल उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं और भोपाल से मुंबई आने में असमर्थ हैं.
अदालत ने उन्हें उस दिन पेशी से छूट दे दी और कहा कि वह उसके समक्ष शुक्रवार को पेश हों.
न्यायाधीश ने कहा था, ‘आज (बृहस्पतिवार) पेशी से छूट दी जाती है. लेकिन उन्हें शुक्रवार को पेश होना होगा, अन्यथा उन्हें परिणाम भुगतने होंगे.’
ठाकुर बुधवार की रात पेट में तकलीफ के चलते भोपाल में अस्पताल में भर्ती कराया गया और बृहस्पतिवार की सुबह उन्हें छुट्टी दे दी गई.
हालांकि बीमारियों के चलते अस्पताल में भर्ती होने का हवाला देकर अदालत में पेशी से छूट पाने के बाद गुरुवार दोपहर को प्रज्ञा ठाकुर भोपाल के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में नज़र आई थीं.
प्रज्ञा ठाकुर गुरुवार को भोपाल के एमपी नगर में महाराणा प्रताप की जयंती पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करती नजर आईं.
वह इससे पहले बुधवार शाम को ईद के मौके पर स्थानीय भाजपा नेताओं के साथ भोपाल शहर के काज़ी सैयद मुश्ताक अली नदवी के घर भी पहुंचीं थीं और उन्हें मिठाइयां और सूखे मेवे भेंट किए थे.
हालांकि बुधवार रात उन्हें रात में केयर अस्पताल में भर्ती किया गया था लेकिन गुरुवार सुबह डिस्चार्ज कर दिया गया.
मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास हुए मोटरसाइकिल से बंधे बमों में विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 100 से अधिक घायल हुए थे.
पुलिस के अनुसार, मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम से पंजीकृत थी ओर इसी आधार पर उनकी 2008 में गिरफ्तारी हुई. बॉम्बे उच्च न्यायालय ने उन्हें 2017 में जमानत दे दी थी.
एनआईए ने ठाकुर को क्लीनचिट दे दी है लेकिन निचली अदालत ने इस मामले में उन्हें आरोप मुक्त करने से इंकार कर दिया.
अदालत ने उनके खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) के तहत लगे आरोप तो हटा दिए लेकिन उन पर गैरकानूनी गतिविधियां (नियंत्रण) कानून (यूएपीए) और अन्य तत्संबंधी कानूनों के तहत मामला चल रहा है.
उन्हें यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कार्रवाई करना) और धारा 18 (आतंकवादी कार्रवाई करने के लिए साजिश रचना) के तहत आरोप लगाए गए हैं. इसके अलावा आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत भी उन पर मुकदमा चलाया जा रहा है.