पश्चिम बंगाल में मरीज़ के परिजनों द्वारा डॉक्टरों पर किए गए हमले के विरोध में पिछले चार दिनों से राज्य भर के डॉक्टर हड़ताल पर हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने तीन दिवसीय राष्ट्रव्यापी विरोध का आह्वान किया. कई राज्यों में डॉक्टरों ने हड़ताल का समर्थन किया.

कोलकाता/नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में आंदोलनकारी डॉक्टरों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बेशर्त माफी मांगने की मांग की और चार दिनों से चल रहे अपने आंदोलन को वापस लेने के लिए राज्य सरकार के लिए छह शर्तें तय कीं.
डॉक्टरों के इस आंदोलन ने समूचे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित कर दिया है. इस बीच तकरीबन 119 डॉक्टरों के इस्तीफा देने की सूचना है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक दार्जिलिंग स्थित उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के 119 डॉक्टरों ने डॉक्टरों के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर इस्तीफा दे दिया है.
#UPDATE West Bengal: Total 119 doctors of North Bengal Medical College & Hospital, Darjeeling, have resigned over violence against doctors in the state. https://t.co/sW8gc0AWr2
— ANI (@ANI) June 14, 2019
जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त मंच के प्रवक्ता डॉ. अरिंदम दत्ता ने कहा, ‘एसएसकेएम हॉस्पिटल में कल (गुरुवार) जिस तरह से मुख्यमंत्री ने हमें संबोधित किया था, उसके लिए हम उनसे यह मांग करते हैं कि वह बिना शर्त माफी मांगें. उन्हें वह नहीं कहना चाहिए था, जो उन्होंने कहा था.’
ममता ने बृहस्पतिवार को एसएसकेएम हॉस्पिटल का दौरा किया था, जहां उन्होंने कहा था कि बखेड़ा खड़ा करने के लिए बाहरी लोग मेडिकल कॉलेजों में घुसे थे और आंदोलन माकपा एवं भाजपा की साजिश है.
आंदोलनकारियों ने छह शर्तें गिनाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को अस्पताल जाकर घायल डॉक्टरों से मिलना चाहिए और उनके कार्यालय को उन पर (डॉक्टरों पर) हुए हमले की निंदा करते हुए एक बयान जारी करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘हम मुख्यमंत्री के फौरन हस्तक्षेप की भी मांग करते हैं.’ साथ ही सोमवार रात डॉक्टरों को सुरक्षा मुहैया करने में पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ न्यायिक जांच के दस्तावेजी साक्ष्य भी मुहैया किया जाए.
गौरतलब है कि एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बीते 10 जून की राज एक 75 वर्षीय मरीज की मौत के बाद जूनियर डॉक्टरों के दो सहयोगियों पर कथित रूप से हमला करने और उनके गंभीर रूप से घायल होने के बाद वे मंगलवार 11 जून से सरकारी अस्पतालों में खुद की सुरक्षा की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.
दत्ता ने कहा, ‘हम हमलावरों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा भी देने की मांग करते हैं.’
उन्होंने आंदोलन के मद्देनजर जूनियर डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों के खिलाफ समूचे राज्य में दर्ज किए गए झूठे मामलों और आरोपों को बेशर्त वापस लेने तथा सभी मेडिकल कॉलेजों में सशस्त्र बल के कर्मियों को तैनात करने की भी मांग की.
बहरहाल हड़ताल के कारण सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों तथा कई निजी अस्पतालों में नियमित सेवा प्रभावित हो रही है. हालांकि, कोलकाता स्थित नील रतन सरकार (एनआरएस) मेडिकल कॉलेज और अस्पताल सहित एक या दो अस्पतालों में आपात सेवा शुक्रवार सुबह में उपलब्ध रही.
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इस बीच, एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल और मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने बृहस्पतिवार रात को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर सैबल मुखर्जी और मेडिकल सुपरिंटेंडेंट सह उप-प्राचार्य प्रोफेसर सौरभ चट्टोपाध्याय ने मेडिकल संस्थान में संकट को दूर करने में विफल रहने के लिए चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
राज्य के डीएमई प्रोफेसर डॉ. प्रदीप कुमार डे ने बृहस्पतिवार रात को सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपलों और निदेशकों को निर्देश जारी किया था कि वे रोगी और आपातकालीन विभागों में तुरंत सामान्य सेवाओं की बहाली सुनिश्चित करें.
राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने बृहस्पतिवार को जूनियर डॉक्टरों से अपने कर्तव्यों का पालन करने की अपील की थी.
डॉक्टरों की एक टीम ने बृहस्पतिवार को राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की और एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में दम तोड़ने वाले एक मरीज के परिजनों द्वारा कथित तौर पर डॉक्टरों पर किए गए हमले के बारे में उन्हें अवगत कराया.
अधिकारियों ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों की ओर से राज्यपाल को सौंपे गए एक ज्ञापन को उपयुक्त कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को भेजा जा रहा है.
माफी मांगने में कोई शर्म नहीं, ममता को डॉक्टरों से माफी मांगनी चाहिए: अपर्णा सेन
प्रसिद्ध अभिनेत्री एवं फिल्मकार अपर्णा सेन ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कथित तौर पर धमकी देने के लिए आंदोलनकारी चिकित्सकों से माफी मांगनी चाहिए और गतिरोध को समाप्त करने के लिए जूनियर डॉक्टरों के साथ आमने-सामने बैठकर बातचीत करनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘ममता बनर्जी ने बंगाल के लिए बहुत कुछ किया है लेकिन मुझे यह कहते हुए अफसोस रहा है कि जिस तरीके से उन्होंने डॉक्टरों से बात की उसका मैं समर्थन नहीं करती. उन्हें उनसे विनम्रतापूर्वक बात करनी चाहिए थी क्योंकि धमकियों से कुछ हासिल नहीं होता है.’
सेन ने कहा, ‘माफी मांगने में कोई शर्म या बुराई नहीं है… इससे उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आएगी.’
फिल्मकार अपर्णा सेन के अलावा कलाकार कौशिक सेन, संगीतकार देवज्योति मिश्रा के अलावा कई वरिष्ठ चिकित्सक हड़ताली डॉक्टरों से मिलने एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल गए.
अभिनेता कौशिक सेन ने बनर्जी से स्वास्थ्य क्षेत्र पर और ध्यान देने का आग्रह किया.
अदालत ने डॉक्टरों की हड़ताल पर अंतरिम आदेश देने से किया इनकार
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दो चिकित्सकों पर हुए हमले के विरोध में सरकारी अस्पतालों के कनिष्ठ चिकित्सकों की हड़ताल पर कोई अंतरिम आदेश देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया.
Calcutta High Court gives 7 days to West Bengal govt to respond while hearing a PIL on doctors' strike in the state. Court asked state what steps were taken by the govt to end the impasse. Court also said that state will have to put an end to this & find a solution. pic.twitter.com/KIGgl00g64
— ANI (@ANI) June 14, 2019
मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन और जस्टिस सुव्रा घोष की खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वह हड़ताल कर रहे चिकित्सकों को काम पर लौटने और मरीजों को सामान्य सेवाएं देने के लिए राजी करे.
अदालत ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह 10 जून की रात को शहर के एक अस्पताल में कनिष्ठ चिकित्सकों पर हमले के बाद उठाए गए कदमों के बारे में उसे बताए.
जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने हड़ताल कर रहे चिकित्सकों को याद दिलाया कि उन्होंने सभी मरीजों की भलाई सुनिश्चित करने की शपथ ली थी.
पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 21 जून की तिथि तय की है.
आईएमए का तीन दिवसीय राष्ट्रव्यापी विरोध का आह्वान, 17 जून को होगी हड़ताल
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने पश्चिम बंगाल में आंदोलनरत डॉक्टरों के प्रति एकजुटता जताते हुए शुक्रवार से तीन दिन के राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के साथ सोमवार 17 जून को हड़ताल का आह्वान किया है.

भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने गुरुवार को घटना के खिलाफ तथा हड़ताली डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए शुक्रवार को ‘अखिल भारतीय विरोध दिवस’ घोषित किया है.
देश में डॉक्टरों के इस शीर्ष निकाय ने चिकित्सा सेवा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा पर नियंत्रण के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग से आगे जाते हुए कहा कि इस कानून का उल्लंघन करने वालों को सात साल की सजा का प्रावधान होना चाहिए.
आईएमए ने यह भी कहा कि शुक्रवार से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन शनिवार और रविवार को भी जारी रहेगा. इसमें डॉक्टर काले रंग के बिल्ले लगाएंगे और धरना देने के अलावा शांति मार्च निकालेंगे.
आईएमए के महासचिव आरवी असोकन ने कहा कि आईएमए एनआरएस मेडिकल कॉलेज में हिंसक भीड़ का शिकार बने डॉ. परिबाहा मुखर्जी के प्रति हुई हिंसा की निंदा करता है.
उन्होंने सोमवार को सभी चिकित्सा सेवा संस्थानों में गैर आवश्यक सेवाओं के राष्ट्रीय स्तर पर रोकने का आह्वान किया. सुबह छह बजे से ओपीडी सेवाएं बंद कर दी जाएंगी और इस दौरान आपातकालीन सेवाएं काम करती रहेंगी.
कई राज्यों में डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया
पश्चिम बंगाल में पिछले चार दिनों से चल रहे डॉक्टरों के आंदोलन को देश के अन्य राज्यों के डॉक्टरों ने समर्थन दिया है.
राजस्थान: भारतीय चिकित्सा परिषद (आईएमए) के आह्वान पर राजस्थान में चिकित्सकों ने शुक्रवार को सांकेतिक विरोध प्रदर्शन में भाग लिया. अनेक जगह पर चिकित्सकों ने काली पट्टी लगाकर व काले हेलमेट पहनकर रोगियों को देखा.

जयपुर के एसएमएस अस्पताल सहित अनेक जगहों पर चिकित्सक काले हेलमेट लगाकर रोगियों का इलाज करते दिखे. आईएमए, राजस्थान के महासचिव वीके जैन ने कहा कि राज्य में कई जगह चिकित्सकों ने दो घंटे ओपीडी का बहिष्कार भी किया.
छत्तीसगढ़: राजधानी रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के अनेक जिलों में जूनियर डॉक्टरों ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया.
रायपुर के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष भगवती चंद्र वर्मा ने बताया कि जूनियर डाक्टरों ने सुबह आठ बजे से दोपहर बाद दो बजे तक विरोध प्रदर्शन किया और ओपीडी तथा ऑपरेशन थिएटर का बहिष्कार किया. आपात चिकित्सा को आंदोलन के दायरे से बाहर रखा गया.
उन्होंने बताया कि वरिष्ठ चिकित्सक इस प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए लेकिन उन्होंने काली पट्टी लगाकर विरोध किया.
राज्य के अंबिकापुर और राजनांदगांव स्थित मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने भी विरोध प्रदर्शन किया.
उत्तर प्रदेश: राज्य के सरकारी डॉक्टरों ने शुक्रवार को विरोधस्वरूप काले फीते बांधकर काम किया. प्रोविंशियल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन, यूपी के महासचिव डॉ. अमित सिंह ने बताया कि सरकारी डॉक्टरों ने कामकाज करते समय काले फीते बांधे.
दोपहर में डॉक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा. सिंह ने बताया कि पीएमएस एसोसिएशन से जुडे़ 18,700 से अधिक डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया.
इसके अलावा नई दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक जैसे राज्यों में भी डॉक्टरों ने प्रदर्शन किया.
स्वास्थ्य मंत्री का डॉक्टरों से काम शुरू करने का अनुरोध, ममता को समाधान के लिए कहा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को इस संवेदनशील मामले को प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाने और सौहार्द्रपूर्ण तरीके से आंदोलन खत्म कराने का अनुरोध किया.
बनर्जी को एक पत्र में केंद्रीय मंत्री ने उनसे सौहार्द्रपूर्ण तरीके से प्रदर्शन खत्म कराने और डॉक्टरों के लिए काम-काज का सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने का अनुरोध किया.
Union Health Minister Dr. Harsh Vardhan writes to West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee on ongoing doctors' strike in the state, asking her to 'personally intervene to resolve the current impasse.' pic.twitter.com/nW2NpPfstF
— ANI (@ANI) June 14, 2019
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘डॉक्टरों को दूसरे सामान्य या सांकेतिक तरीके से प्रदर्शन करना चाहिए. चिकित्सा पेशेवर होने के नाते अपने मरीजों की रक्षा करना उनका दायित्व है. हड़ताल प्रदर्शन का श्रेष्ठ तरीका नहीं है. मरीजों को त्वरित और आपात चिकित्सा सुविधा से वंचित नहीं करना चाहिए.’
हर्षवर्धन ने कहा कि चिकित्सकों को बुरी तरह से पीटे जाने के बावजूद डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री से केवल यही कहा कि उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई जाए और हिंसा में शामिल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, लेकिन ऐसा करने की जगह उन्होंने डॉक्टरों को चेतावनी और अल्टीमेटम दे दिया, जिससे देशभर के चिकित्सकों में नाराजगी फैल गई और वे हड़ताल पर चले गए.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘अगर इस तरह के गंभीर परिदृश्य में मुख्यमंत्री संवेदनशील तरीके से काम करती हैं तो देशभर में मरीजों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. मैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वह इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं.’
उन्होंने डॉक्टरों को आश्वस्त किया कि सरकार उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और उनसे अनुरोध किया कि आवश्यक सेवाएं बाधित नहीं हो.
एम्स, सफदरजंग अस्पताल, डॉ राममनोहर लोहिया अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, यूनाइटेड रेजिडेंट एंड डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (यूआरडीए) तथा फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) के एक प्रतिनिधिमंडल ने हर्षवर्धन से मुलाकात की और पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा पर उन्हें एक ज्ञापन दिया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)