हड़ताल ख़त्म कर काम पर लौटे डॉक्टर, अस्पतालों में सामान्य सेवाएं बहाल

हड़ताल ख़त्म होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई टाली. बीते 10 जून को पश्चिम बंगाल के एक अस्पताल में जूनियरों डॉक्टरों पर मरीज़ के परिजनों द्वारा कथित हमले के बाद सुरक्षा को लेकर डॉक्टर हड़ताल पर थे.

Bengaluru: A medical student during a demonstration protest to show solidarity with their counterparts against the assault in Kolkata, in Bengaluru, Friday, June 14, 2019. (PTI Photo/Shailendra Bhojak)
Bengaluru: A medical student during a demonstration protest to show solidarity with their counterparts against the assault in Kolkata, in Bengaluru, Friday, June 14, 2019. (PTI Photo/Shailendra Bhojak)

हड़ताल ख़त्म होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई टाली. बीते 10 जून को पश्चिम बंगाल के एक अस्पताल में जूनियरों डॉक्टरों पर मरीज़ के परिजनों द्वारा कथित हमले के बाद सुरक्षा को लेकर डॉक्टर हड़ताल पर थे.

Bengaluru: A medical student during a demonstration protest to show solidarity with their counterparts against the assault in Kolkata, in Bengaluru, Friday, June 14, 2019. (PTI Photo/Shailendra Bhojak)
(फोटो: पीटीआई)

कोलकाता/नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल और राजधानी नई दिल्ली समेत देश के दूसरे राज्यों में तकरीबन हफ्ता भर चली हड़ताल के बाद डॉक्टर काम पर लौट आए हैं. इस हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सेवाएं बाधित रही थीं.

पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा हड़ताली चिकित्सकों को राज्य के सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने के कदम उठाने का आश्वासन देने के बाद चिकित्साकर्मियों ने हफ्ते भर से चल रही हड़ताल को सोमवार रात को समाप्त कर दिया, जिसके बाद आज दिल्ली के डॉक्टर भी काम पर लौट आए.

पश्चिम बंगाल में सभी 14 मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों ने काम करना शुरू कर दिया है. ओपीडी, रोग विज्ञान और अन्य विभागों में सामान्य कामकाज बहाल हो गया है.

जूनियर डॉक्टरों के प्रदर्शन का केंद्र रहे नील रतन सरकार (एनआरएस) मेडिकल कॉलेज और अस्पताल समेत सभी अस्पतालों में भारी संख्या में मरीज पहुंचे.

जूनियर डॉक्टरों के एक संयुक्त फोरम के प्रवक्ता ने बताया, ‘हमारे ज्यादातर सहकर्मियों ने काम शुरू कर दिया है और वे मंगलवार सुबह से ओपीडी विभागों में नियमित सेवाएं देने में वरिष्ठ डॉक्टरों की मदद कर रहे हैं.’

उन्होंने बताया कि चूंकि कई जूनियर डॉक्टर प्रदर्शन में भाग लेने के लिए कोलकाता में थे तो वे मंगलवार सुबह दूरदराज के इलाकों में अपने कार्य स्थलों पर नहीं पहुंच पाए. उन्होंने कहा, ‘वे अस्पताल पहुंचते ही जल्द से जल्द काम शुरू कर देंगे.’

अपने भाई की दिल की बीमारी के इलाज के लिए अक्सर एनआरएस अस्पताल आने वाले मालदा जिले के अरिफुल हक ने कहा, ‘यह हमारे लिए राहत की बात है. हम गरीब हैं और सरकारी अस्पताल में जाने के अलावा हमारे पास अन्य कोई विकल्प नहीं है. हड़ताल ने हमारे इलाज पर असर डाला. मैं खुश हूं कि अब हड़ताल खत्म हो गई.’

थैलीसीमिया के मरीज सांतनु हाजरा भी खुश है कि डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी और अपने काम पर लौट गए. हाजरा का शहर के एसएसकेएम अस्पताल में इलाज चल रहा है.

जूनियर डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद सोमवार रात को अपनी सप्ताह भर चली हड़ताल खत्म कर दी थी. बनर्जी ने उन्हें राज्य में सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाने का आश्वासन दिया.

गौरतलब है कि एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बीते 10 जून की रात एक 75 वर्षीय मरीज की मौत के बाद जूनियर डॉक्टरों के दो सहयोगियों पर कथित रूप से हमला करने और उनके गंभीर रूप से घायल होने के बाद वे मंगलवार 11 जून से सरकारी अस्पतालों में खुद की सुरक्षा की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने पश्चिम बंगाल में आंदोलनरत डॉक्टरों के प्रति एकजुटता जताते हुए बीते 14 जून से तीन दिन के राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के साथ 17 जून को हड़ताल किया था. इसके अलावा आईएमए ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए केंद्रीय कानून बनाए जाने की मांग की थी.

बहरहाल, एनआरएस अस्पताल के प्रधानाचार्य प्रोफेसर सैबाल मुखर्जी ने कहा, ‘डॉक्टर ओपीडी में काफी व्यस्त हैं. मरीज पिछले हफ्ते यहां आए थे लेकिन हड़ताल के कारण उन्हें देखा नहीं जा सका. हम उनमें से ज्यादातर का इलाज करने की कोशिश कर रहे हैं.’

जूनियर डॉक्टरों की मांग के अनुसार, सहायक आयुक्त की रैंक के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ पर्याप्त पुलिस बल अस्पताल परिसर में तैनात हैं ताकि स्थिति पर निगरानी रखी जा सके.

दिल्ली में भी काम पर लौटे डॉक्टर

राष्ट्रीय राजधानी में विभिन्न अस्पतालों के डॉक्टर मंगलवार को वापस काम पर लौट आए. केंद्र द्वारा संचालित एम्स, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल तथा दिल्ली सरकार के जीटीबी अस्पताल और डीडीयू अस्पताल जैसे अस्पतालों तथा कुछ निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर थे.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एक बयान में कहा, ‘पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के हड़ताल खत्म करने के मद्देनजर, नई दिल्ली स्थित एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर भी तत्काल प्रभाव से ड्यूटी पर लौट आएं. हमें पूरी उम्मीद है कि केंद्र सरकार जल्द ही डॉक्टरों की सुरक्षा पर एक नया केंद्रीय कानून लाएगी, जैसा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने समयबद्ध तरीके से वादा किया था, जिसके विफल होने पर हम भविष्य में हड़ताल का सहारा लेंगे.’

हड़ताल ख़त्म होने के बाद डॉक्टरों की सुरक्षा के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली

पश्चिम बंगाल और दूसरे राज्यों में डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त हो जाने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए उच्चतम न्यायालय ने सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की सुरक्षा के लिये दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई स्थगित कर दी.

जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस सूर्यकांत की अवकाश पीठ ने कहा कि वह नोटिस (केंद्र को) जारी नहीं करेगी, परंतु डॉक्टरों की सुरक्षा के व्यापक मुद्दे को विचार के लिए खुला रखेगा.

पीठ ने कहा, ‘हम याचिका पर आज (मंगलवार को) सुनवाई के लिए सहमत हो गए थे क्योंकि पश्चिम बंगाल और दूसरे राज्यों में डॉक्टरों और उनकी मेडिकल बिरादरी ने हड़ताल कर रखी थी. चूंकि हड़ताल खत्म हो गई है और ऐसा लगता है कि अब याचिका पर सुनवाई की जल्दी नहीं है. इसे (मामले को) उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए.’

इस बीच, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी न्यायालय में दायर याचिका में पक्षकार बनने के लिए एक आवेदन दायर किया है. इस आवेदन में कहा गया है कि देश भर में चिकित्सकों को संरक्षण प्रदान किए जाने की आवश्यकता है.

पीठ ने कहा कि डॉक्टरों को सुरक्षा प्रदान करने के मामले में समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है.

पीठ ने कहा, ‘हम समझते है. कि यह एक गंभीर विषय है लेकिन हम दूसरे नागरिकों की कीमत पर डॉक्टरों को संरक्षण नहीं दे सकते. हमें व्यापक दृष्टिकोण अपनाना होगा. हमें व्यापक परिप्रेक्ष्य को देखना होगा. हम डॉक्टरों को संरक्षण प्रदान करने के विरुद्ध नहीं है.’

शीर्ष अदालत में बीते 14 जून को दायर याचिका में देश में सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती का केंद्रीय गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

याचिका में पश्चिम बंगाल सरकार को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था कि कोलकाता के अस्पताल में दो जूनियर डॉक्टरों पर हमला करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.

याचिका में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया था कि देश भर में 75 प्रतिशत से अधिक डॉक्टरों को किसी न किसी तरह की हिंसा का सामना करना पड़ा है.

याचिका में कहा गया है कि एसोसिएशन के अध्ययन के अनुसार, हिंसा की 50 प्रतिशत घटनाएं अस्पतालों के सघन चिकित्सा इकाइयों में हुई हैं और 70 फीसदी मामलों में मरीजों के रिश्तेदार ऐसी घटनाओं में संलिप्त रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)